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September 25, 2024

उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सबसे लंबी सुरंग का एक हिस्सा टूटा, 50 लोगों के फंसे होने का अनुमान

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उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सबसे लंबी सुरंग के एक हिस्से के टूटने की सूचना आ रही है। बताया जा रहा है कि इसमें काम कर रहे करीब 50 मजदूर फंसे हुए हैं। फिलहाल रेस्क्यू शुरू कर दिया गया है। चारधाम सड़क परियोजना के तहत यमुनोत्री हाईवे पर 850 करोड़ रुपये की लागत से सिलक्यारा से पोल गांव तक करीब 4.5 किमी लंबी ये सुरंग बनाई जा रही है। बताया जा रहा है कि सिलक्यारा की तरफ से 150 मीटर टनल का हिस्सा टूट गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बताया जा रहा है कि ये भूस्खलन सिलक्यारा से डंडालगांव तकसुरंग के अंदर हुआ है। सुरंग का निर्माण एनएचआईडीसीएल के निर्देशन में नवयुगा कंपनी कर रही है। बताया जा रहा है कि सुरंग के अंदर 50 से ज्यादा मजूदर फंसे हैं। जिला आपदा प्रबंधन उत्तरकाशी ने इसकी पुष्टि की है। फिलहाल अभी सही संख्या का पता नहीं चल पाया है कि सुरंग के अंदर कुल कितने श्रमिक फंसे हैं। कंपनी की ओर से मलबे को हटाने का कार्य किया जा रहा है। मौके पर पांच 108 एंबुलेंस तैनात की गई हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बताया जा रहा है कि अब सुरंग का करीब 500 मीटर ही निर्माण शेष बचा है। इस सुरंग में फायर सप्रेशन सिस्टम और स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्वीजीशन) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का भी प्रयोग किया जा रहा है। वहीं, सुरंग के अंदर सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 400 एमएम की एक कंकरीट की मजबूत दीवार बनाई जा रही है। इससे दायीं व बायीं ओर का ट्रैफिक अपनी-अपनी लेन से गुजरेगा। इस दीवार के कारण सुरंग के अंदर वाहनों के एक-दूसरे टकराने की आंशका शून्य हो जाएगी। सुरंग निर्माण के लिए करीब एक हजार मजदूर दिन-रात काम कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एनएचआईडीसीएल का दावा है कि बताया कि देश में यह पहली सुरंग होगी, जिसके बीच में कंकरीट की मजबूत दीवार बनाई जा रही है। सुरंग के अंदर यदि किसी वाहन में कोई खराबी आती है, तो उसे ले-बाई (सड़क किनारे कुछ समय के लिए वाहन खड़ा करने का स्थान) की सुविधा मिलेगी। हर 500 किमी पर एक ले-बाई की सुविधा मिलेगी। सुरंग के दायीं व बायीं दोनों तरफ कुल सात ले-बाई बनाई जाएगी। इसमें से चार का निर्माण पूरा कर लिया गया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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