आपदा से निपटने के लिए दीर्घकालिक, वैज्ञानिक तथा ठोस रणनीति की जरूरतः राजकुमार

राजकुमार
उत्तरकाशी जिले के धराली में बादल फटने की घटना से मची तबाही को लेकर देहरादून जिले की राजपुर विधानसभा सीट से पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि आपदा से निपटने के लिए दीर्घकालिक, वैज्ञानिक तथा ठोस रणनीति की जरूरत है। लगातार दूसरे शासनकाल में भी बीजेपी सरकार ने इस दिशा में ठोस पहल नहीं की है। ऐसे में बार बार दुखद घटनाएं सामने आ रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के धराली में पांच अगस्त को बादल फटने से भारी तबाही मची। पहली सूचना के मुताबिक, चार लोगों की मौत और बड़ी संख्या में लोगों के लापता होने की खबर आई। अब एक शव और बरामद किया गया है। वहीं, कई लोगों के मलबे में दबे होने या फिर जल बहाव में बहने की भी आशंका है। हालांकि, लापता लोगों का आंकड़ा अभी तक सरकार ने जारी नहीं किया है। वहीं, मौके पर सुरक्षा बलों ने रेस्क्यू अभियान तेज कर दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पढ़ेंः देखें दिल दहलाने वाले वीडियोः उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही, चार की मौत, कई लापता
राजपुर रोड विधानसभा के पूर्व विधायक राजकुमार ने इस आपदा के संबंध में कहा कि धराली (उत्तरकाशी) क्षेत्र में बादल फटने से हुए भारी नुकसान का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हो रहा है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि सभी प्रभावित परिवारों को सबल और सुरक्षा मिले। साथ ही स्थानीय प्रशासन और आपदा राहत टीमें जल्द से जल्द राहत और बचाव का कार्य संपन्न करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का प्राकृतिक घटनाओं जैसे बाढ़, भूस्खलन, वनाग्नि, बादल फटने, भूकम्प आदि से पुराना सम्बन्ध है। धीरे-धीरे समय और विकास के साथ ये घटनाएं अब मानवजनित आपदाओं का रूप ले रही हैं। उत्तराखंड के अनेक पर्वतीय गांव प्रतिवर्ष आपदाओं का शिकार हो रहे है। वहीं, पुनर्वास योजनाएं, सुरक्षित स्थानांतरण की प्रक्रियाएं तथा आपदा-पूर्व चेतावनी प्रणाली को विकसित करने में सरकार निरंतर फेल हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि प्रशासनिक तंत्र अनेक अवसरों पर संसाधनों की कमी, योजना की अनुपस्थिति और तात्कालिक निर्णयों की उपेक्षा के कारण आपदा प्रतिक्रिया में विफल नजर आ रहा है। राजकुमार ने कहा कि उत्तराखंड में लगातार बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं केवल पर्यावरणीय घटनाएं नहीं हैं, अपितु वे हमारे विकास मॉडल, नीति-निर्धारण एवं प्रकृति के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण पर गहरे प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकार द्वारा अनियोजित शहरीकरण और अनियोजित निर्माण हो रहा है, वह विनाश की किसी भी विभीषिका की तीव्रता को कई गुना बढ़ा रहा है। निर्माण की तेज रफ्तार ने सारे प्राकृतिक निकासों को पाट दिया है। नतीजा जलजमाव और जल भराव के रूप में सामने है। यह पानी ऐसे समय में मुसीबत का मुख्य कारक है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में लगातार बढ़ती आपदाओं से निपटने के लिए सरकार के आपदा-उत्तर राहत प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि इसके लिए दीर्घकालिक, वैज्ञानिक तथा ठोस रणनीतियों की आवश्यकता है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।