सूरज से उठा अग्नि तूफान, बीच में आ रही धरती, क्या पृथ्वी को है खतरा, नासा ने किया सचेत
इस ब्रह्मांड के रहस्य इतने हैं कि आपको जितनी जानकारी मिल जाए, उतनी ही कम है। क्योंकि वैज्ञानिक हर दिन किसी ना किसी रहस्य से पर्दा उठाने का प्रयास करते हैं। कई देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां लगातार इस पर अध्ययन कर रही हैं। टेलीस्कोप से लगातार अंतरिक्ष और कई ग्रहों की चाल पर नजर रखी जाती है। ये बात तो सब जानते हैं कि कई बार आकाशीय घटनाओं का हमारी धरती पर भी सीधा असर पड़ता है। आकाश में कई ऐसे ग्रह हैं, जिनकी बदलती चाल का असर पृथ्वी पर पड़ता है। साथ ही इसका असर हमारे जीवन पर पड़ता है। कई बार ये असर अच्छा होता है तो कई बार ये मुश्किलें बढ़ाने वाला। अब पता चला है कि आसामान से एक ऐसी एक आफत तेजी से धरती की ओर बढ़ रही है। वर्ष 2023 का पहला सूर्य ग्रहण हाल में 20 अप्रैल को बीता है। इस सूर्य ग्रहण के बाद कुछ ऐसे घटना सामने आई है, जिसने सबकी चिंता बढ़ा दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूरज पर हुआ बड़ा विस्फोट
दरअसल सूर्य पर एक बड़ा विस्फोट हुआ है। इस विस्फोट के चलते एक अग्नि वाला तूफान उठा है। चिंता बढ़ाने वाली बात यह है कि ये सोलर तूफान तेजी से धरती की ओर से बढ़ रहा है। ये जानकारी अमेरिका की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी यानी नासा की ओर से जारी की गई है। नासा ने एक बार फिर सोलर फ्लेयर की आशंका जाहिर की है। यानी धरती की तरफ सौर तूफान बढ़ रहा है। जो बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सोलर फ्लेयर्स का किस तरह पड़ सकता है असर
नासा के साइंटिस्टों की मानें तो सौर तूफान की वजह से धरती पर बड़ा असर पड़ सकता है। दरअसल इस तरह तूफानों के कारण धरती के चुबंकीय एरिया बुरी तरह प्रभावित होते हैं। अब इन चुंबकीय क्षेत्रों के प्रभावित होने का मतलब है सैटेलाइट संबंधी चीजों पर असर पड़ना। जैसे इंटरनेट कनेक्शन से लेकर जीपीएस तक, मोबाइल नेटवर्क से लेकर अन्य तकनीकी चीजों पर सीधा असर पड़ता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या है सोलर फ्लेयर्ससोलर फ्लेयर्स को सरल शब्दों में समझें तो ये सूरज के बीचों बीच यानी सेंटर से निकलने वाली प्लाज्मा और चुंबकीय तरंगों का एक बड़े हिस्से में फटना होता है। ये किसी धमाके की तरह होता और तेजी से फैलने लगता है। इससे पहले आए सौर तूफान से हिंद महासागर पर भी काफी प्रभाव पड़ा था। इस दौरान कुछ वायरलेस कनेक्शन भी बंद हो गए थे। अब वैज्ञानिक यह देखने के लिए सूरज और सौर हवाओं पर बारीकी से नजर रख रहे हैं कि क्या सौर हवाएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, सैटेलाइट्स और धरती पर मौजूद टेक्नोलॉजी को भी प्रभावित करेंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
23 मार्च को देखा गया पहला छेद
सूरज में विस्फोट के रूप में पहला छेद 23 मार्च को देखा गया। इसका आकार पृथ्वी के आकार का 30 गुना है। इससे लगातार सौर हवा निकल रही है, जो दक्षिण में एरिजोना क्षेत्र में आश्चर्यजनक अरोराओं को ट्रिगर करता है। आपको बता दें कि अरोरा सौर हवाओं की वजह से बनता है और अरोरा के दौरान आकाश में काफी चमकीली रोशनी दिखाई पड़ती है। वहीं, हाल ही में सूर्यग्रहण के बाद देखा गया सूरज पर बना दूसरा छेद पृथ्वी के आकार का 20 गुना है, जिससे 1.8 मिलियन मील प्रति घंटे की रफ्तार से सौर हवा का उत्सर्जन हो रहा है। इन दोनों छिद्रों को नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी द्वारा कैप्चर किया गया है, जो सूर्य का अध्ययन करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फिलहाल धरती के लिए नहीं है खतरा
नासा ने कहा है कि कोरोनल होल चुंबकीय रूप से खुले क्षेत्र हैं, जो उच्च गति वाली सौर हवा का निर्माण स्रोत हैं। नासा ने कहा, कि ‘अत्यधिक पराबैंगनी प्रकाश के कई तरंग दैर्ध्य में देखे जाने पर वे काले दिखाई देते हैं और सौर वायु पृथ्वी पर उच्च अक्षांशों पर औरोरा उत्पन्न कर सकती है। हालांकि, सूरज की ये तस्वीरें देखने पर खतरनाक लग सकती हैं, लेकिन पृथ्वी के लिए ये फिलहाल उतनी खतरनाक नहीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हमारा वायुमंडल बचाता है सोलर तूफानों के कणों से
वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी का वायुमंडल हम मनुष्यों को इन सोलर तूफानों के कणों से बचाता है। वे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ इटरेक्ट कर सकते हैं और पृथ्वी की सतह पर मौजूद मजबूत विद्युत धाराओं को प्रेरित कर सकते हैं, जिसकी वजह से मानव निर्मित संरचनाओं जैसे उपग्रहों, पावर ग्रिड को प्रभावित कर सकते हैं और यहां तक कि हमारे इंटरनेट कनेक्शन को भी बाधित कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आने वाले दिनों में बड़े तूफान की आशंका
कोरोनल छिद्र सूर्य में बनने वाला एक सामान्य विशेषता है, हालांकि वे अलग-अलग स्थानों पर दिखाई देते हैं। वे आम तौर पर अधिक सामान्य होते हैं जब सूर्य अपने 11 साल के चक्र में कम सक्रिय बिंदु पर होता है। आपको बता दें कि, सौर तूफान को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निंया की वैज्ञानिक संगीता अब्दू ज्योति ने पिछले दिनों बताया था कि, आने वाल भविष्य में धरती को बड़े सौर तूफान का सामना करना पड़ सकता है। सौर तूफान का मतलब सूरज से निकलने वाला कोरोनल मास है, जो बेहद नुकसानदायक और प्रयलकारी साबित हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या होते हैं भू-चुंबकीय तूफान
सूरज से निकलने वाले तूफान के ये कण जब पृथ्वी के चुंबकमंडल में गड़बड़ी पैदा करते हैं, तो इसे भू-चुंबकीय तूफान कहा जाता है। हालांकि, SWPC की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस तूफान का हमारी तकनीक पर प्रभाव नाममात्र का होगा। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के प्रोफेसर दिब्येंदु नंदी ने समझाया कि पूर्ण प्रभाव का आकलन करना मुश्किल है। हम औरोरा देखने की उम्मीद कर रहे हैं। आयनोस्फीयर में धाराओं के इंजेक्शन की उम्मीद की जाती है, जो बदले में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव को प्रेरित करेगा। आपको बता दें कि, औरोरा एक तरह का बड़े सौर ऊर्जा की तरह प्रकाश पूंज होते हैं, जो आपने अकसर आसमान में देखा होगा। इसकी वजह से आपको काफी देर तक आसमान में अलग अलग प्रकाशपूंज दिखाई दे सकते हैं, और ये नजारा धरती से देखने पर दिवाली जैसा हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सैटेलाइट पर कितना पड़ेगा असर
अक्टूबर 2021 में भी इसी तरह का तूफान उठा था और उस वक्त दिब्येंदु नंदी ने कहा था कि, इस वजह से सोलर नेटवर्क और वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली रिसीवर में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं, लेकिन “हम उम्मीद करते हैं कि कोरोनल मास इजेक्शन (सूर्य के कोरोना से चुंबकीय प्लाज्मा का निष्कासन) मध्यम गति से होगा। इसलिए ये संभावनाएं कम हैं। प्रोफेसर नंदी आईआईएसईआर कोलकाता में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेज इंडिया का हिस्सा हैं, जिसने उस सौर चमक की भविष्यवाणी की थी। वो एक X1-क्लास सोलर फ्लेयर था, जो 28 अक्टूबर 2021 को सूरज में तूफान के बाद उत्पन्न हुआ था। आपको बता दें, कि सोलर फ्लेयर्स के लिए वर्गीकरण प्रणाली A, B, C, M और X अक्षरों का उपयोग करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पहले भी आ चुके हैं सोलर तूफान
इस सोलर तूफान का पृथ्वी पर क्या असर होगा, इसका पता तो बाद में चलेगा, लेकिन इससे पहले 1989 में सूरज से निकला तूफान पृथ्वी से टकराया था, जिसका काफी असर कनाडा पर पड़ा था। उस वक्त कनाडा के क्यूबेक शहर में करीब 12 घंटे के लिए बिजली गायब हो गई थी और लाखों लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। वहीं, उससे पहले 1959 में अभी तक का सबसे बड़ा और शक्तिशाली तूफान जिओमैग्नेटिक पृथ्वी से टकराया था, जिसने अमेरिका के टेलीग्राफ नेटवर्क को पूरी तरह से तबाह कर दिया था और उन नेटवर्क में काम करने वाले कर्मचारियों ने बिजली का काफी तेज झटका महसूस किया था। वहीं, सोलर तूफान की वजह से नार्दर्न लाइट इतनी तेज हो गई थी कि रात के करीब 12 बजे दिन जितनी रोशनी हो गई थी। ये रोशनी इतनी ज्यादा थी, कि लोग उसमें अखबार तक पढ़ पा रहे थे।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




