देहरादून में एलिवेटेड रोड परियोजना से बस्तियों को बचाने के लिए निकाला गया कैंडल मार्च

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एलिवेटेड रोड से मलिन बस्तियों को बचाने की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। पटेलनगर क्षेत्र में विभिन्न जनसंगठनों और प्रभावितों ने कैंडल मार्च निकाला। साथ ही ऐसी परियोजनाओं में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशो का पालन करने की मांग की गई। बस्ती बचाओ आंदोलन के तहत ये कैंडल मार्च सतोवाली, संगम बिहार, गांधीग्राम, न्यू पार्क रोड आदि क्षेत्रों से होकर गुजरा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि देहरादून में बिंदाल और रिस्पना नदी के ऊपर चार लेन की एलिवेटेड रोड का निर्माण प्रस्तावित है। वहीं, एनजीटी ने नदी किनारे बस्तियों को हटाने का आदेश दिया, जो कि सरकार की एनजीटी और हाईकोर्ट में कमजोर पैरवी का परिणाम है। हाईकोर्ट में बस्तियों के पक्ष में भी सरकार समुचित पैरवी नहीं कर पाई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा कि बस्तिवासियों को सही जानकारी नहीं दी जा रही है। ऐसे में लोगों में भी भ्रम की स्थिति है। प्रभावितों के विस्थापन, पुनर्वास तथा मुआवजा के सन्दर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। सरकार ऐसा करती हुई नहीं दिख रही है। इससे हजारों परिवारों पर विस्थापन खतरा मंडरा रहा है। वहीं सरकार की कमजोर पैरवी के परिणामस्वरूप एनजीटी ने बस्तियों की वैधता पर प्रश्नचिह्न लगाए। इससे बस्तियों को हटाने के लिए चिह्नीकरण किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा है कि चुनावों के दौरान सीएम के साथ ही अन्य विधायकों, पार्षदों ने जनता के पास आकर बड़े -बड़े वायदे किये। बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक का वायदा किया गया। चुनाव जीतने के कुछ दिन बाद ही गैर जरूरी एलिवेटेड रोड बनाने की घोषणा की, जो कि देहरादूनवासियों के हितों के अनुरूप नहीं है। इस सरकार एवं जनप्रतिनिधि चुपचाप हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा कि जरूरी हो गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी योजना को लागू करने से पहले प्रभावितों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान सरकार को याद दिलाया जाये। कई मामलों में सरकार एवं आथरिटि को यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि सरकारी योजनाएं, नीतियों को लागू करने में प्रभावित व्यक्तियों और समुदायों के अधिकारों और हितों का सम्मान करें। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जब कोई योजना या परियोजना लोगों को विस्थापित कर सकती है, तो सरकार को पुनर्वास और पुनर्स्थापन नीतियों को लागू करना चाहिए। ताकि प्रभावित व्यक्तियों के जीवनस्तर में सुधार सुनिश्चित हो सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये की गई मांग
(1) एलिवेटेड रोड से उत्पन्न समस्याओं का सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप अक्षरश: समाधान किया जाये।
(2) सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुरूप प्रत्येक प्रभावित को समुचित मुआवजा तथा उनका पुर्नवास सुनिश्चित किया जाये।
(3) एनजीटी के बेदखली के फैसले पर रोक लगाई जाये।
(4) बस्तियों आदि के खिलाफ हाईकोर्ट उत्तराखंड में दायर याचिका पर सरकार जोरदार पैरवी कर बस्तियों की बेदखली रोके।
(5) सरकार अपने वायदे के अनुरूप बस्तीवासियों को मालिकाना हक प्रदान करे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शन में शामिल लोग
इस अवसर बस्ती बचाओ आन्दोलन के संयोजक अनन्त आकाश, एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष नितिन मलेठा, कांग्रेस के मंडल अध्यक्ष मौ अल्ताफ, संजय भारती, सेवा भारती की अनिक शर्मा, अदनान आदि ने विचार व्यक्त किये। साथ ही प्रदर्शन में विप्लव अनन्त, हरीश कुमार, अन्जु भारती, प्रभा, सुरैशी नेगी, तमरेज, विनिता, अंचला, सुमन लता, मीना देवी, उमादेवी, सरबरी, उपेंद्र, मुस्कान, सुनीता, शमशुद्दीन, हामिद, रुकसाना, इरशाद,नवीन, सरोज, युनुस, अनुज, राजेश आदि शामिल थे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।