उत्तराखंड में बीजेपी सरकार को आई पंडित नेहरू की पत्नी की याद, मेधावी छात्राओं की माताओ को मिलेगा कमला नेहरू पुरस्कार
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पानी पी पी कर कोरते रहते हैं। वह देश की हर समस्या के लिए पंडित नेहरू को ही जिम्मेदार बताते रहे हैं। साथ ही बीजेपी का आईटी सेल भी नेहरू को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। इसके बावजूद उत्तराखंड में बीजेपी सरकार नेहरू के नाम से ही एक योजना शुरू करने जा रही है। इसे अनजाने में कहें या फिर जानबूझकर किया जा रहा है। या फिर ये उत्तराखंड से एक प्रयोग है, ये तो सरकार ही जानती होगी, लेकिन इसे लेकर आरएसएस के लोगों में भी चर्चा ने जन्म दे दिया है। नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर आरएसएस के लोगों ने ही लोकसाक्ष्य को फोन कर इस नाम से पुरस्कार देने का विरोध किया। इनका कहना है कि उत्तराखंड में कई वीर नारियां हैं। उनके नाम से पुरस्कार दिया जाना चाहिए था। हम यहां किसी के नाम से योजना करने का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन सवाल उठा रहे हैं कि पंडित नेहरू और उनके परिवार को कोसने में बीजेपी कभी कोई कसर नहीं छोड़ती है। ऐसे में उनकी पत्नी के नाम से पुरस्कार दिया जाने के पीछे की राजनीति क्या है, ये साफ नहीं हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
15 हजार छात्राओं की माताओं को मिलेगा कमला नेहरू पुरस्कार
मीडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं की माताओं को उत्तराखंड सरकार 1000 रुपये देकर सम्मानित करेंगी। ऐसे प्रदेश में तकरीबन 15000 छात्र छात्राएं हैं, जिनकी माताओ को शिक्षा विभाग कमला नेहरू पुरस्कार से सम्मानित करेगा। इसके तहत हाईस्कूल में 78.40 फीसदी तक अंक प्राप्त करने वाले कुल 7479 छात्र-छात्राएं है। जबकि 12वी में 76.20 प्रतिशत तक अंक प्राप्त करने वाले कुल 7456 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। प्रत्येक मेधावी विद्यार्थियों की माताओं को पुरस्कार स्वरूप एक-एक हजार के धनराशि का चैक दिया जाया जायेगा। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने इसके लिए सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शैक्षिक गतिविधियों को मिलेगा बढ़ावा
इस पुरस्कार को लेकर सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि राज्य सरकार प्रदेश में शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ावा देने व स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के प्रोत्साहन की दिशा में लगातार काम कर रही है। इसी क्रम में राज्य के सभी शासकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं की माताओं को सम्मानित किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करीब 15 हजार हैं छात्राएं
डा. रावत ने बताया कि परिषदीय परीक्षा-2023 की मैरिट सूची के आधार पर सर्वोच्च अंक हासिल करने वाले 14 हजार 935 प्रतिभावान छात्र-छात्राओं की माताओं को स्व. कमला नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। इसमें हाईस्कूल स्तर पर 78.40 फीसदी तक अंक प्राप्त करने वाले कुल 7479 छात्र-छात्राएं तथा इंटरमीडिएट स्तर पर 76.20 प्रतिशत तक अंक प्राप्त करने वाले कुल 7456 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सम्मान समारोह में मेधावी छात्र-छात्राओं की माताओं को कमला नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। जिन्हें पुरस्कार स्वरूप एक-एक हजार की सम्मान राशि व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। डॉ. रावत ने बताया कि मेधावी छात्र-छात्राओं की माताओं को सम्मानित करने को लेकर सभी जनपदों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को जरूरी निर्देश दे दिये गये हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कमला नेहरू का परिचय
कमला नेहरू दिल्ली के प्रमुख व्यापारी पंड़ित ‘जवाहरलालमल’ और राजपति कौल की बेटी थीं। एक भारतीय परंपरागत कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में कमला का जन्म 1 अगस्त, 1899 को दिल्ली में हुआ था। कमला कौल के दो छोटे भाई और एक छोटी बहन थी। इनके नाम क्रमश: चंदबहादुर कौल, कैलाशनाथ कौल और स्वरूप काट्जू थे। कमला कौल का विवाह सत्रह साल की छोटी सी उम्र में ही 8 फरवरी 1916 को जवाहरलाल नेहरू से हो गया था। उनका पूरा नाम कमला कौल नेहरू था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ब्रिटिश लेखिका कैथरिन प्रैंसक ने अपनी पुस्तक ‘इंदिरा: द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी’ में लिखा है कि दिल्ली के परंपरावादी हिंदू ब्राह्मण परिवार से सम्बंध रखने के कारण हिंदू संस्कार कमला नेहरू के चरित्र का एक प्रमुख हिस्सा थे, लेकिन पश्चिमी परिवेश वाले नेहरू ख़ानदान में उन्हें एकदम विपरीत माहौल मिला। इसके बावजूद कमला नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने पति जवाहरलाल नेहरू का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। नेहरू के राष्ट्रीय आंदोलन में कूदने पर कमला नेहरू को भी अपनी क्षमता दिखाने का अवसर मिला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आन्दोलनों में लिया भाग
1921 के असहयोग आंदोलन में उन्होंने इलाहाबाद में महिलाओं का एक समूह गठित किया और विदेशी वस्त्र तथा शराब की बिक्री करने वाली दुकानों का घेराव किया। इतिहासकारों का कहना है कि कमला नेहरू में गज़ब का आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता थी। जब उनके पति को एक बार राष्ट्रद्रोही भाषण देने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया तो वह उनकी जगह गयीं और कमला जी ने नेहरू जी का भाषण पढ़ा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दो बार हुई थीं गिरफ़्तार
ब्रिटिश प्रशासन ने उन्हें दो बार गिरफ़्तार भी किया। उन्होंने महात्मा गांधी की ऐतिहासिक दांडी यात्रा में भी भाग लिया। सौम्य, छरहरी तथा विनम्रता की मूर्ति कमला नेहरू ने 19 नवम्बर 1917 में बेटी इंदिरा प्रियदर्शनी को जन्म दिया। जिन्होंने अपने पिता की तरह ही भारत का नेतृत्व किया और कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष भी रहीं। कमला ने नवंबर 1924 में एक लड़के को भी जन्म दिया था, किंतु वह समय से पहले पैदा हो गया और 2 दिन बाद ही उसका निधन हो गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महात्मा गांधी के आश्रम में भी बिताया समय
कमला नेहरू ने कुछ समय कस्तूरबा गांधी के साथ महात्मा गांधी के आश्रम में भी व्यतीत किया, जहां उनकी जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती देवी से गहरी मित्रता हो गयी थी। 28 फरवरी, 1936 को स्विटज़रलैंड में कमला नेहरू की बेहद कम उम्र में टीबी से मृत्यु हो गयी। टी. बी. उस समय भयंकर बीमारी मानी जाती थी। उनके पति श्री जवाहरलाल नेहरू उस समय जेल में थे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।