हल्द्वानी का तनाव बरेली तक पहुंचा, जुमे की नमाज के बाद गिरफ्तारी देने सड़कों पर उतरे लोगों का प्रदर्शन, पथराव

उत्तराखंड के हल्द्वानी में अवैध करार दिए गए मदरसा को ध्वस्त करने के दौरान हुए बवाल की आंच अब उत्तर प्रदेश के बरेली में भी पहुंच गई। उत्तराखंड की घटना के साथ ही देशभर में तमाम धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चलाने के विरोध में गिरफ्तारी देने जा रहे लोगों के जुलूस में हिंसा भड़क गई। नारेबाजी का विरोध करने श्यामगंज बाजार में जमकर पत्थरबाजी हुई। पुल के नीचे दुकान पर पत्थरबाजी की गई है। पत्थरबाजी की घटना में कई लोगों को चोट लगी है। बता दें कि हल्द्वानी हिंसा के विरोध में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने ‘जेल भरो आंदोलन’ का आह्वान किया था। मौलाना के आह्वान पर भारी भीड़ जमा हो गई थी। हालांकि, प्रशासन ने सूझबूझ से स्थिति को संभाल किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हल्द्वानी की घटना
गौरतलब है कि आठ फरवरी की शाम को बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण करार दिए गए मदरसे और नमाजस्थल को तोड़ने की कार्रवाई के दौरान पुलिस, प्रशासन की टीम पर पथराव हो गया था। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को लाठियां चलानी पड़ी। आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। फायरिंग करनी पड़ी। पथराव के दौरान छह लोगों की मौत की खबर है। वहीं, 60 पुलिस कर्मियों के साथ ही तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए। भीड़ ने कई वाहनों को जला डाला। साथ ही थाने में भी आग लगा दी। हल्द्वानी में कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही दंगाइयों को देखते गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मामले लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही से ये घटना हुई। ना तो स्थानीय लोगों को विश्वास लिया। साथ ही धार्मिक नेताओं और क्षेत्रीय शांति कमेटी का भी सहयोग भी नहीं लिया गया। ऐसे में माहौल खराब हो गया। पथराव की घटना की हर एक ने निंदा की, लेकिन प्रशासन की लापरवाही को भी माना। लोगों का कहना था कि जब मामला कोर्ट में पहुंच गया था, तो कुछ इंतजार किया जाना साथ ही लोकसभा चुनाव से ऐन पहले मस्जिद में बुलडोजर चलाने को राजनीतिक लाभ लेने की दृष्टि से भी देख रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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बरेली का बवाल
हल्द्वानी की घटना और देशभर के विभिन्न स्थानों में धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चलाने के विरोध में उत्तर प्रदेश के बरेली में मौलाना तौकीर रजा खान के ‘जेल भरो’ आह्वान किया था। नौ फरवरी को जुमे की नमाज के बाद हजारों की संख्या में समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए। नमाज के बाद तौकीर रजा ने लोगों को संबोधित किया और फिर गिरफ्तारी देने के लिए इस्लामिया ग्राउंड की तरफ जाने लगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे भड़की हिंसा
बताया जा रहा है कि इस दौरान उनके समर्थकों को रास्ते में पुलिस ने रोकने का प्रयास किया। इससे समर्थक भड़क उठे और उन्होंने बैरिकेड गिरा दी। हालांकि, पुलिस की मुस्तैदी और सूझबूझ के चलते स्थिति बिगड़ने नहीं पाई, लेकिन यहां से कुछ दूर शाहमतगंज इलाके में पत्थरबाजी हो गई। पत्थरबाजी करके माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया गया। बारादरी थाना क्षेत्र के शहामत गंज इलाके में हुए पथराव में कुछ लोग घायल हुए हैं। मामले में डीएम ने कहा कि जांच कर रहे हैं। आरोपियों पर एफआरआई दर्ज कराई जाएगी। मौके पर भारी फोर्स तैनात की गई। फ्लैग मार्च किया जा रहा है। शांति व्यवस्था कायम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मौलाना के समर्थकों की बड़ी संख्या भी तैयार थी। अपर पुलिस महानिदेशक बरेली जोन पीसी मीणा ने बताया कि मौलाना तौकीर रजा को समझा बुझाकर घर वापस भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन की तैयारी पर्याप्त थी। मौलाना तौकीर रजा ने आरोप लगाया कि पुलिस ने समर्थकों को रास्ते में रोका। उन्होंने कहा कि नाइंसाफी के खिलाफ जेल भरो आंदोलन जारी रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देशभर में माहौल बिगाड़ने का प्रयास
आरोप लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए बीजेपी सरकारें देशभर में माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रही हैं। कभी मजारों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, तो कभी मस्जिदों पर। जब राम मंदिर के उद्घाटन से कोई माहौल नहीं बना, उत्तराखंड में यूसीसी से संबंधित बिल विधानसभा में पारित होने के बाद भी कोई माहौल नहीं बना तो तब मदरसे पर बुलडोजर चलाया गया। राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि इस धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चलाना संवेदनशील मामला है। ऐसे मामलों में सभी पक्षों से बात जरूरी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिए गए उदाहरण
उदाहरण दिए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव निकट आते ही धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर की कार्रवाई तेज कर दी गई है। हल्द्वानी की तरह ही दिल्ली में भी एक मस्जिद ढहाई गई थी। हालांकि, वहां हल्द्वानी की तरह कोई विरोध नहीं हुआ। दिल्ली के दक्षिणी इलाके में 30 जनवरी की सुबह एक मस्जिद और मदरसे को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने ढहा दिया। बताया जा रहा है कि ढहाई गई मस्जिद और मदरसा 800 साल पुराने थे। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि मेहरौली की अखूंदजी मस्जिद और बहरुल उलूम मदरसे का निर्माण रजिया सुल्तान के शासनकाल में करवाया गया था। इसे भी अवैध करार दिया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, आठ फरवरी को दिल्ली के मेहरौली में बाबा हाजी रोजबीह की 900 साल पुरानी मजार तोड़ दी गई। डीडीए ने उस 900 साल पुरानी कब्र को अवैध मानकर बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। उत्तराखंड में भी पिछले सरकार ने अवैध धार्मिक स्थलों के खिलाफ अभियान चलाया था। इसके तहत साल मई से लेकर अगस्त 2023 तक 465 मजार (मकबरे), 45 मंदिर और 2 गुरुद्वारा को वनभूमि से हटाया गया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।