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December 12, 2024

उत्तराखंड विधानसभा में पारित हुआ यूसीसी बिल, लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

उत्तराखंड विधानसभा में लंबी चर्चा के बाद आज बुधवार सात फरवरी को यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। यूसीसी के लिए विधानसभा में विशेष सत्र पांच फरवरी से शुरू हुआ था। मंगलवार छह फरवरी को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी बिल को पेश किया था और फिर इसपर चर्चा शुरू हुई। यूसीसी बिल पर दो दिन चर्चा होने के बाद आज इसे पारित कर दिया गया है। विधानसभा से पास होने के बाद यूसीसी बिल अब कानून बन जाएगा। बता दें कि यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना है। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है। यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के समान कानून लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों। हालांकि, इससे जनजातियों को बाहर  रखा गया है। इसके पीछे बताया गया कि प्रदेश की जनजातियों की अपनी विशिष्ट पहचान, संस्कृति और परंपराएं हैं। विशेष यह कि जनजातियों का विषय केंद्र के अधिकार क्षेत्र का है। इस कारण जनजातियों को संहिता के दायरे से बाहर रखा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पूरा बिल देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

BILL UCC

समान नागरिक संहिता के प्रमुख बिंदु
– तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।
-तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा।
-गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।
-संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा।
-अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा।
-सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 21 वर्ष  होगी, जो वर्तमान में 18 साल है होगी।
-लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा।
– प्रदेश की जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी।
-एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा, बहुपत्नी प्रथा होगी समाप्त। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यूसीसी लागू होने पर ये होंगे ये बड़े बदलाव 
-यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से सभी समुदाय के लोगों को एक समान अधिकार दिए जाएंगे।
-लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
-समान नागरिक सहिंता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा।
-कानून के तहत सभी को व्यक्ति को समान अधिकार दिए जाएंगे।
-लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ा दी जाएगी, ताकि वह कम से कम ग्रेजुएट हो जाएं।
-ग्राम स्तर पर शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी। बगैर रजिस्ट्रेान के सरकारी सुविधा बंद हो जाएगी।
-पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार और अधिकार उपलब्ध होंगे। अभी पर्सनल लॉ बोर्ड में अलग-अलग कानून हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

-बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
-उत्तराधिकार में लड़के-लड़की की बराबर की हिस्सेदारी (पर्सनल लॉ में लड़के का शेयर ज्यादा होता है) होगी।
-नौकरीपेशा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी शामिल होगी।
-पत्नी की मौत के बाद उसके अकेले माता-पिता का सहारा महिला का पति बनेगा।
-मुस्लिम महिलाओं को गोद लेने का हक मिलेगा, प्रक्रिया आसान कर दी जाएगी।
-हलाला और इद्दत पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

-लिव-इन रिलेशन का डिक्लेरेशन देना होगा।
-बच्चे के अनाथ होने पर गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसानी की जाएगी।
-पति-पत्नी में झगड़े होने पर बच्चे की कस्टडी ग्रैंड पैरेंट्स (दादा-दादी या नाना-नानी) को दी जाएगी।
-जनसंख्या नियंत्रण पर भी बात होगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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