टिहरी बांध विस्थापितों की समस्याओं को लेकर मौन उपवास पर बैठे पूर्व सीएम हरीश रावत
टिहरी बांध विस्थापितों के भूमि अधिकारों की मांग को लेकर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने आज देहरादून के गांधी पार्क में धरना दिया। इस दौरान वह मौन उपवास पर बैठे। इस दौरान धरने पर बैठे प्रधानों ने कहा कि यदि सरकार ने जल्द इस समस्या को लेकर कोई कदम नहीं उठाया तो वे चुनाव बहिष्कार करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में जिस समय जोरदार बारिश हो रही थी, उस समय गांधी पार्क पर महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित कर दोपहर 12 बजे गांधी पार्क में हरीश रावत धरने पर बैठे। उनके साथ टिहरी डैम के विस्थापित क्षेत्रों के कई ग्राम प्रधान अन्य नेता भी उपवास स्थल धरने पर बैठे। मौन उपवास के समापन पर हरीश रावत ने कहा कि टिहरी की महान जनता के अभूतपूर्व त्याग के परिणाम स्वरूप टिहरी डैम का निर्माण संभव हो पाया। सैकड़ों परिवार इस डैम के निर्माण के कारण विस्थापित हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत बड़ी संख्या में टिहरी के लोगों को हरिद्वार जिले के पथरी वन भूखंड में बसाया गया। पानी भराव वाले इस क्षेत्र में जटिलतम परिस्थितियों का सामना करते हुये इन लोगों ने आवंटित भूमि को आबाद किया और अपने घर बनाए। आज 42-43 साल बाद भी इन लोगों को इस भूमि का भूमिधरी अधिकार प्रदान नहीं किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 के दिसंबर में तत्कालीन सरकार ने भूमिधरी अधिकार देने का निर्णय लिया। इसका अनुपालन नहीं हो पाया। पिछले विधानसभा सत्र में यह मामला विधानसभा में उठा और सरकार द्वारा सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया गया। हरिद्वार के विधायकों के साथ हुई एक बैठक में मुख्यमंत्री ने भी इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। आज 9 महीने व्यतीत होने के बावजूद भी कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। वन विभाग द्वारा इस मामले को उलझाने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया है। जिसमें विस्थापितों के पास आवंटित भूमि के अतिरिक्त 23 हैक्टेयर भूमि अतिरिक्त बताई जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इस आवंटित भूमि पर बसाने का काम भी विभाग और सरकार ने ही किया है। इस भूमि को जल भराव से रोकने के लिए दीवार बनाने का काम भी सरकार द्वारा ही करवाया गया है। सरकार के सारे रिकॉर्ड और वन विभाग के रिकॉर्ड, इस आवंटित क्षेत्रफल को 912 एकड़ बताते हैं और आज अचानक यह क्षेत्रफल 23 हैक्टेयर अधिक बताया जा रहा है। उद्देश्य भूमि धरी अधिकार देने की सारी प्रक्रिया को उलझाना है। पथरी के भाग-1, 2, 3, 4 में वन विभाग के इस कदम से व्यापक असंतोष व चिंता व्याप्त है। वही देहरादून में भी भानियावाला, देहरा खास, बंजारावाला, कारगी आदि में भी लोग बसाये गये थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरकार से की ये मांग
-उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर 15 दिन के अंदर भूमि धरी अधिकार देने का फैसला किया जाए।
– वन विभाग द्वारा करवाए जा रहे सर्वेक्षण व उसके निष्कर्षों को वापस लिया जाए।
– विस्थापितों से किए गए वादों के पुनर्विक्षण हेतु मंत्री महोदयान के साथ टीएचडीसी एवं पुनर्वास निदेशक की एक संयुक्त कमेटी गठित हो।
– वर्ष 2013 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश सहित विस्थापितों, विस्थापित क्षेत्रों एवं डूब क्षेत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिए गए सभी निर्णयों और निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
– बंजारावाला, भानियावाला, पशुलोक, देहरा खास सहित टिहरी के विस्थापित जहां कहीं बसे हैं उनसे किए गए वादों को पूरा किया जाए।हनुमंत राय कमेटी की रिपोर्ट पर भी कारवाही की जाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धरने पर ये रहे मौजूद
उपवास स्थल पर आये कई जनप्रतिनिधियों व ग्राम प्रधानों ने भूमिधरी अधिकार शीघ्र प्राप्त ना होने पर लोकसभा चुनाव के बहिष्कार तक की घोषणा की। धरने पर राजपाल खरोला, महावीर रावत, पूरण रावत, वीरेंद्र रावत, विक्रम खरोला, महेंद्र नेगी गुरुजी, राम विलास रावत, पूनम कंडारी, प्रकाश नौटियाल, खुशीदास, प्रमोद नौटियाल, विशाल डोभाल, खुशाल सिंह पवार, विशाल सिंह, चक्रधर प्रसाद रतूड़ी, आनंद स्वरूप, वीरेंद्र पोखरियाल, मोहन काला आदि शामिल हुए। संचालन पूरन रावत व महावीर रावत ने संयुक्त रूप से किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।