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February 6, 2025

एक डिग्री तापमान वाले सर्द पहाड़ों में मूल निवास के मुद्दे ने गरमाया माहौल, भिकियासैंण में निकाली रैली

उत्तराखंड में इन दिनों हाड कंपाने वाली सर्दी पड़ रही है। इस सर्दी में भी मूल निवास का मुद्दा गरमाया हुआ है। अल्मोड़ा जिले में जहां आज अधिकतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस रहा और न्यूनतम तापमान एक डिग्री के करीब रहेगा, वहां भी मूल निवास के मुद्दे ने सर्द पहाड़ों में इस मांग को लेकर माहौल गरमा दिया। अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण में मूल निवास की आवाज गूंजी। यहां स्थानीय लोगों ने इस मांग को लेकर रैली निकालकर प्रदर्शन किया। 28 जनवरी को नैनीताल जिले के हल्द्वानी में मूल निवास स्वाभिमान महारैली है। इसे लेकर ही पहाड़ों में माहौल तैयार किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण में मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून को लेकर स्थानीय लोगों का आक्रोश सड़कों पर फूट पड़ा। मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के तत्वावधान में स्थानीय जनता ने इंटर कॉलेज भिकियासैंण से किनारी बाजार, रामलीला ग्राउंड होते हुए तहसील तक रैली निकालकर प्रदर्शन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मौके पर समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास हमारा नैसर्गिक अधिकार है। आज अपने ही राज्य में मूल निवासी दोयम दर्जे का नागरिक बनकर रह गया है। बाहर से आने वाले लोग मूल निवासियों की नौकरियों से लेकर जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। हमारे संसाधनों पर डाका डाल रहे हैं। बाहर के लोगों ने हमारी जमीन पर रिसोर्ट बनाकर हमारे लोगों को नौकर और चौकीदार बना दिया है। यह लड़ाई हमारे स्वाभिमान, अस्मिता और अस्तित्व को बचाने की है। जिसमें हम सभी को मिलकर लड़ना है। सरकार आंदोलन को तोड़ने के लिए तमाम षड्यंत्र कर रही है। इसे बेनकाब करने के लिए हमें एकजुट रहना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

समन्वय संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि आज बाहर से आने वाले लोगों ने अपने फर्जी स्थाई निवास बनाकर हमारे संसाधनों पर डाका डाल दिया है। नौकरियां, जमीन से लेकर हर तरह के संसाधनों को लूटा जा रहा है। मूल निवासी अपने ही राज्य में धक्के खाने के लिए मजबूर हैं। आज हमारी सांस्कृतिक पहचान खतरे में है। जब हमारा राज्य बचेगा, तभी हमारे त्योहार बचेंगे। आज डेमोग्राफी बदलने से सबसे खतरा उत्तराखंड की संस्कृति को होने जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

राज्य आंदोलनकारी चारु तिवारी, समिति के कोर मेंबर दीपक भाकुनी, संघर्ष समिति के कोर मेंबर प्रांजल नौडियाल ने कहा कि राज्य के मूल निवासियों का अस्तित्व अब तभी बचेगा जब घर घर से मूल निवास आंदोलन की चिंगारी निकलेगी। धनगढ़ी पुल सँघर्ष समिति के अध्यक्ष सुनील टम्टा, समिति के कोर मेम्बर राकेश सिंह बिष्ट ने कहा कि आज न तो उत्तराखंड के मूल निवासियों को उनके अधिकार मिल रहे हैं और ना ही सरकार गैरसैण को स्थाई राजधानी बना रही है। परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होने से पहाड़ से विधानसभा सीटें घट रही है। एक ओर इस राज्य में फर्जी स्थायी निवास बन रहे वही दूसरी ओर स्थानीय निवासियों की धनगढ़ी पुल बनाने की मांग को नजरअंदाज किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्त आनंदनाथ, वरिष्ठ नेता श्याम सिंह, पूर्व ब्लाक प्रमुख पुष्कर पाल सिंह ने कहा कि भिकियासैंण की धरती एक ऐतिहासिक भूमि रही है, उत्तर प्रदेश के समय इस धरती से जसवंत सिंह बिष्ट जैसे जननेता को यहां से उत्तराखण्ड क्रांति दल से 1980 में स्थानीय जनता ने चुन के भेजा। अब फिर से भिकियासैंण में मूल निवास भू कानून की मशाल जल चुकी है जो गाँव गॉंव पहुंचेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यूकेडी के अल्मोड़ा जिलाध्यक्ष दिनेश जोशी, टाइगर फोर्स संयोजक प्रयाग शर्मा, किसान यूनियन के आनंद सिंह नेगी, राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र नेगी ने कहा कि अब मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन उत्तराखण्ड आंदोलन की तर्ज में आगे बढ़ता जा रहा है और जिस तरह से इस आंदोलन में प्रदेश भर की जनता जुड़ रही है वह बताता है की इन 23 वर्षों में राज्य के हालात किस कदर बिगड़ चुके है। तहसील में प्रदर्शन के पश्चात आंदोलनकारियों ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदर्शन में कुसुम लता बौड़ाई, रविंद्र नेगी विकास उपाध्याय, भुवन चन्द्र कठायत, प्रकाश उपाध्याय, महेश उपाध्याय, मनीष सुंदरियाल, बिशन सिंह, राकेश सिंह अधिकारी, अरविंद सिंह नेगी रविंद्र सिंह, पुष्कर पाल सिंह, विजय उनियाल श्याम सिंह, आनंद शर्मा, भोले शंकर आदि ,हितश बिष्ट, जगदीश जोशी, भगवत सिंह, दुर्गा सिंह बंगारी, मनमोहन सिंह बंगारी, छोटू पधान, रवि रौतेला प्रह्लाद बिष्ट आदि मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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