वीडियो में देखेंः पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत का बयान- राम जन्म भूमि का आंदोलन मोदी ने शुरू नहीं किया, कांग्रेस ने बनाया मुद्दा
1 min readकल 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। इसे बीजेपी ने एक इवेंट के रूप दे दिया है। इस आयोजन को टीवी में लाइव देखने के लिए सरकारी दफ्तरों में आधे दिन की छुट्टी है। स्कूलों में पूरे दिन की छुट्टी है। दिल्ली में तो केंद्र सरकार के अस्पतालों में भी कल आधे दिन ओपीडी ठप रहेगी। साथ ही लैब आदि में भी काम नहीं होगा। सिर्फ आपातकालीन सेवाएं ही जारी रहेंगी। एक तरफ राम मंदिर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महिमामंडित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे लेकर एक विवादित बयान दे दिया। हालांकि, ये बयान विवादित नहीं है, बल्कि उन्होंने सच्चाई बयां की। ये सच्चाई भी किस प्रसंग को लेकर बयां की, इसकी हमें पूर्ण जानकारी नहीं है। फिलहाल पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इसमें वह कह रहे हैं कि राम जन्म भूमि का आंदोलन नरेंद्र मोदी ने शुरू नहीं किया। ये 500 साल पुराना आंदोलन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देखें वीडियो
कांग्रेस ने पूर्व सीएम के बयान को बनाया मुद्दा
उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान गिने चुने मीडिया में 21 जनवरी को जारी हुआ था। हालांकि, कई गोदी मीडिया ने इससे किनारा कर लिया। पूर्व सीएम ने कहा था कि राम जन्मभूमि का आंदोलन मोदी जी ने नहीं किया, बल्कि 500 साल पहले इसे लेकर आंदोलन शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक चश्मे से देखने की जरूरत नहीं है। हमें नहीं पता कि त्रिवेंद्र रावत ने ये बयान किस संदर्भ में दिया और पूरी वीडियो में क्या कहा। क्योंकि कांग्रेस वीडियो का उतना भाग की शेयर कर रही है, जिसमें उसे राजनीतिक फायदा मिल सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश प्रवक्ता ने दिया ये बयान
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान के बाद उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दसौनी ने कहा कि झूठ के पांव नहीं होते और एक न एक दिन सच सबके सामने आ ही जाता है। उसी की बानगी त्रिवेंद्र रावत की प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखने को मिली। दसौनी ने त्रिवेंद्र रावत की प्रशंसा करते हुए कहा की कम से कम त्रिवेंद्र रावत में बाकी के भाजपाइयों की तरह झूठ बोलने की गंदी आदत नहीं है। दसौनी ने कहा की त्रिवेंद्र रावत ने प्रेस वार्ता के दौरान बहुत ही साफगोई के साथ इस बात को स्वीकार किया की ना ही राम मंदिर के निर्माण में और ना ही राम मंदिर के आंदोलन में मोदी जी की कोई भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि ये एक बड़ा बयान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि इसे देश की विडंबना ही कहा जा सकता है कि राजनीति और धर्म को एक ही समझने की भूल की जा रही है। जहां एक ओर धर्म की रक्षा, उसका संरक्षण उसके प्रहरी के रूप में धर्माचार्य और शंकराचार्य का जिम्मा है, वहीं राजनीतिक दल और राजनीति के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों का काम प्रदेश और देश का विकास करना है। अब ये सब काम उल्टे हो रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि राजनीतिक दलों को सत्ता में बेरोजगारी और महंगाई को दूर करने के लिए, स्वास्थ्य शिक्षा सड़क और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए चुनती है। वहीं, 1980 में पैदा हुई भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा से ही धर्म की राजनीति की है। ऐसा इसलिए है कि भारतीय जनता पार्टी अपने अधर्मों, कुकर्मों और कुनीतियों को राम नाम की आड़ में ढकना चाहती है। जितने भ्रष्टाचारी बलात्कारी और अपराधी भाजपा में हैं, उतने किसी दल में नहीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि यदि आज देश के शंकराचार्य तर्कसंगत एवं तथ्यपरक बातें कर रहे हैं तो उनका संज्ञान लिया जाना चाहिए। यदि वह राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा पर आपत्ति जता रहे हैं तो उनकी बात को अनसुना नहीं किया जाना चाहिए। दसौनी ने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य ही है की धर्म के सर्वोच्च स्थान पर बैठे हुए शंकराचार्यों को आज अनर्गल बातें सुनाई जा रही है। साथ ही उनका अपमान हो रहा है। यह देश के लिए अत्यधिक चिंतनीय स्थिति है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि मंदिर निर्माण अभी अधूरा है, ना उसमें गुंबद है, ना ध्वज ना पताका है। वेदों के अनुसार बिना ध्वज का मंदिर सिर कटी हुई मूर्ति के समान होता है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हमेशा ही अपनी साफगोयी के लिए जाने जाते हैं। जिस तरह से उन्होंने राम मंदिर और उसके आंदोलन का श्रेय लेने वाले प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष किया है, वह बिल्कुल सत्य है। सच भी यही है कि राम मंदिर का निर्माण सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के तहत हो रहा है और 90 दिनों तक चली सुनवाई में कभी भी बीजेपी या आरएसएस का कोई व्यक्ति पक्षकार नहीं रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण का श्रेय हिंदू समुदाय का पक्ष रख रहे उन वकीलों को जाता है, जिन्होंने मजबूत पैरवी की। साथ ही उन तमाम लोगों को श्रेय जाता है, जिन लोगों ने अयोध्या में राम मंदिर होने के साक्ष्य और सबूत जुटाने का काम किया। दसौनी ने कहा कि यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि भगवान के दरबार में भी अब आम और खास जैसा भेदभाव हो रहा है। तीन दिनों तक मंदिर आम लोगों के लिए बंद रहेगा। यहां तक कि अयोध्या की स्थानीय जनता तक राम मंदिर में प्रवेश से वर्जित की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा की भगवान ने तो कभी अपने भक्तों में भेदभाव किया ही नहीं। फिर भाजपा आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद कौन होते हैं कि आम और खास की लकीर खींची जाए। आखिर किस नियम के तहत कंगना रनौत खास हो गई और बाकी श्रद्धालु आम हो गए। भारतीय जनता पार्टी को उसका जवाब देना चाहिए। दसौनी ने कहा जब भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री स्वयं इस बात को स्वीकार रहे हो कि मोदी का इस राम मंदिर की यात्रा में कोई योगदान नहीं रहा तो फिर दूसरों के कहने को कुछ बाकी नहीं रह जाता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि शंकराचारयों की बात को तो आरएसएस और भाजपा ने अनदेखा और अनसुना कर दिया। अब वे अपने ही मुख्यमंत्री की बात से कैसे इनकार कर सकेंगे। दसौनी ने कहा कि भाजपा व आरएसएस का बस नहीं चल रहा, वरना चारों पीठ भी अपने ही लोगों को सौंप दिए होते।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।