Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

June 23, 2025

अत्यधिक सर्दी और कोहरे के दौरान अस्थमा रोगी को सलाह, बरतें विशेष सावधानी

उत्तराखंड सहित देश के कई भागों में इन दिनों अत्यधिक सर्दी पड़ रही है। साथ ही कोहरा भी छा रहा है। ऐसे में यदि कोई अस्थमा रोगी है, तो उन्हें अलर्ट रहने की जरूरत है। ठंड और कोहरे की यह समस्या सबसे अधिक अस्थमा रोगियों के लिए नुकसानदेय है। एम्स ऋषिकेश ने अस्थमा रोगियों को इस मौसम में विशेष एहतिहात बरतने की सलाह दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मौसम विज्ञानियों के अनुसार अमूनन दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में होने वाली बारिश इस बार नहीं हो पाई। मौसम की इस बेरूखी से इस बार सूखी ठंड ज्यादा पड़ रही है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ठंड और कोहरे का सर्वाधिक दुष्प्रभाव अस्थमा के रोगियों पर पड़ता है। अस्थमा को सामान्य भाषा में दमा रोग भी कहा जाता है। ऐसे मौसम में सर्दी बढ़ने और कोहरा छाने से वायुमण्डल में आद्रता बढ़ जाती है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार यह स्थिति श्वास रोगी और दमा रोगियों के लिए सीधेतौर पर नुकसानदायक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने बताया कि ठंड और कोहरे के कारण वायुमण्डल में जल की बूंदे संघनित होकर हवा के साथ मिल जाती हैं। यह हवा जब सांस के माध्यम से शरीर के भीतर प्रवेश करती है, तो सांस की नलियों में ठंडी हवा जाने से उनमें सूजन आने लगती है। ऐसे में अस्थमा रोगी गंभीर स्थिति में आ सकते हैं। इससे बचने के लिए उन्होंने मास्क का इस्तेमाल करते हुए ठंड से पूरी तरह बचने की सलाह दी है। प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने बताया कि अस्थमा किसी भी व्यक्ति को और किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन समय पर इसके लक्षणों की पहचान होने से इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

संस्थान के पल्मोनरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश सिंधवानी ने बताया कि यह रोग संक्रमण से नहीं फैलता है, किन्तु यह एलर्जी से होने वाली बीमारी है। जुकाम और बार-बार आने वाली छींकों से उत्पन्न यह एलर्जी जब नाक व गले से होते हुए छाती में फेफड़ों तक पहुंचती है तो अस्थमा का रूप ले लेती है। अस्थमा रोगियों को रात के समय ज्यादा दिक्कत होती है। उन्होंने बताया कि समय पर इलाज नहीं लेने से मरीज की सांस फूलने लगती है और दम घुटने के कारण उसे अस्थमा अटैक पड़ जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉक्टर सिंधवानी ने सलाह दी कि अस्थमा के रोगी नियमिततौर पर दवा का सेवन करना नहीं भूलें। उन्होंने बताया कि बीच-बीच में दवा छोड़ने से यह बीमारी घातक रूप ले लेती है। डॉ. सिंधवानी के अनुसार लोगों में भ्रान्तियां हैं कि इनहेलर का उपयोग केवल संकट के समय ही किया जाता है। जबकि यह पूर्णतौर से गलत है। उन्होंने बताया कि इनहेलर का इस्तेमाल अस्थमा के रोगी को नियमिततौर से करना चाहिए। इस बीमारी में इनहेलर सबसे उत्तम उपाय है। इससे बचना, नुकसानदेह होता है। उन्होंने बताया कि एम्स में इस बीमारी की सभी जांचों और उपचार की बेहतर सुविधा उपलब्ध है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अस्थमा के प्रमुख लक्षण
खांसी, जुकाम, छींकें आना, सांस फूलना, सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना
अस्थमा को बढ़ाने वाले कारक
ठंड, कोहरा, धुंध, धुंआ, धूल, प्रदूषण, संक्रमण, पेन्ट्स की गन्ध, परागकण। इसके अलावा बन्द घरों के भीतर रहने वाले पालतू कुत्ते और बिल्लियों के बालों से भी अस्थमा मरीजों की परेशानी बढ़ती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अस्थमा से बचाव
फ्रिज का पानी, ठंडी और बासी चीजों का सेवन नहीं करें। सर्दी से बचाव करने हेतु सभी उपाय जैसे गर्म कपड़े पहनना, धूप आने से पहले बाहर नहीं निकलना, कमरों के भीतर बैठने की बजाए धूप में बैठने को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। धूप में विटामिन- डी प्रचुर मात्रा में होती है और यह जनरल बूस्टर का कार्य करते हुए शरीर की इम्यूनिटी क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा दवा का सेवन नियमिततौर से करें।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Rozdiely medzi dvoma obrázkami chlapca: hľadajte ich len Tajomstvo 3 rozdielov medzi Ako najlepšie podvodiť svoje oči: