एनपीएस में बदलाव की तैयारी, लागू हो सकता है आंध्र का मॉडल, आठवें वेतन पर साफ नहीं रुख, फिर भी उम्मीद
देशभर के सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं। हालांकि, गैर बीजेपी शासित राज्यों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू कर दिया है। वहीं, ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर लगातार आंदोलन भी हो रहा है। पिछले दिनों भी दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर से आए सरकारी कर्मचारियों ने सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए धरना प्रदर्शन भी किया था। वहीं, केंद्र सरकार साफ कह चुकी है कि फिलहाल ओपीएस बहाली की कोई योजना नहीं है। वहीं, अब खबर ये आ रही है कि केंद्र सरकार नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में अहम बदलाव करने जा रही है। वित्त मंत्रालय साल के अंत तक सरकारी कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में बदलाव की घोषणा करने की योजना बना रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आंध्र के मॉडल पर विचार
मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक, एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया है कि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश मॉडल को अपनाने पर विचार कर रही है। आंध्र मॉडल कर्मचारी के अंतिम मूल वेतन के 40 से 50 फीसद के आधार पर पेंशन (Pension) की गारंटी देता है। प्रस्तावित योजना बाजार से जुड़ी होगी, जिसमें सरकार पेंशन कोष में किसी भी कमी को पूरा करेगी। कर्मचारी पहले की तरह योगदान देते रहेंगे, जबकि सरकार का योगदान बढ़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आंध्र प्रदेश में ये है योजना
आंध्र की पेंशन योजना के तहत पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ते (DA) के साथ उनके अंतिम मूल वेतन का 50% मिलता है, जो महंगाई से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के नियामक, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय पेंशन योजना के प्रबंधन के तहत 9 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति में राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों की हिस्सेदारी 79% है। 31 मार्च 2023 तक एनपीएस (NPS) के तहत विभिन्न योजनाओं के तहत ग्राहकों की संख्या 6.3 करोड़ थी। कुल ग्राहकों में से राज्य सरकार के कर्मचारी 60.72 लाख थे, जबकि केंद्र सरकार के 23.86 लाख कर्मचारी थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जल्द हो सकती है घोषणा
वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि नई योजना की घोषणा जल्द हो सकती है। समिति योजना के तौर-तरीकों पर काम कर रही है जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश मॉडल पर आधारित है। ये बाजार से जुड़ा होगा और केंद्र यह सुनिश्चित करेगा कि पेंशनभोगियों को उनके अंतिम वेतन का कम से कम 40-50% मिले। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरकार कर चुकी है साफ
सोमवार 11 दिसंबर, 2023 को संसद में भी ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछा गया। तब सरकार ने बताया कि उसे कई दफा ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने को लेकर अनुरोध पत्र मिलता रहा है। साथ ही सरकार ने साफ कर दिया कि एक जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त किए गए केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने का भारत सरकार के सामने कोई प्रस्ताव नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रश्नकाल में वित्त मंत्री से लोकसभा सांसद ए गणेशमूर्ति और ए राजा ने सवाल किया कि क्या सरकारी कर्मचारियों के एसोसिएशन ने योगदान वाले पेंशन स्कीम की जगह आखिरी वेतन के आधार पर दिये जाने वाले ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने की मांग की है और इन मांगों पर सरकार का क्या रुख है? इस प्रश्न पर लिखित जवाब में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा, एक जनवरी 2004 को या उसके बाद नियुक्त किए गए कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने का भारत सरकार के सामने कोई प्रस्ताव नहीं है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से जुड़े मुद्दे को देखने के लिए तथा किसी आवश्यक परिवर्तन के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बताई पेंशनभोगियों की संख्या
चौधरी ने लोकसभा को बताया कि देश में 11,41,985 सिविल पेंशनभोगी, 33,87,173 रक्षा पेंशनभोगी (सिविल पेंशनभोगी सहित रक्षा पेंशनभोगी), 4,38,758 दूर संचार पेंशनभोगी, 15,25,768 रेलवे पेंशनभोगी और 3,01,765 डाक पेंशनभोगी हैं। इसे मिलाकर देश में कुल 67,95,449 पेंशनभोगी हैं। चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार के पेंशनभोगियों को लेकर कोई डेटाबेस नहीं रखती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन राज्यों में लागू हो चुका है OPS
सरकार ने लोकसभा में बताया कि राजस्थन, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लागू कर दिया है। इसे लेकर इन राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार, पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) को अपने निर्णय के बारे में बता दिया है। इन राज्य सरकारों ने अंशदान की वापसी/निकासी और उस पर प्रापत लाभ के लिए अनुरोध किया है। हालांकि, पंजाब सरकार ने भारत सरकार को सूचित भी किया है कि यह NPS में कर्मचारी और सरकारी अंशदान का भुगतान जारी रखेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुरानी पेंशन योजना
नई और पुरानी, दोनों पेंशन के कुछ फायदे और नुकसान हैं। पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। पुरानी स्कीम में पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से पैसा नहीं काटा जाता। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है। पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद कर्मचारियों को DA डीए दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नई पेंशन स्कीम में क्या है खास
NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। एक तरफ जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दोनों योजनाओं में अंतर
दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है। अब खुद ही समझ जाएं कि चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इस योजना को लागू किया गया। वहीं, पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आठवें वेतन आयोग पर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं
कर्मचारियों की ओर से आठवें वेतना आयोग की भी मांग की जा रही है। वहीं, सरकार ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। हालांकि, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सरकारी कर्मचारियों को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। सरकार आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर अभी कुछ नहीं कहेगी। दरअसल, इसकी प्लानिंग में अभी समय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अभी 8वें वेतन आयोग के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं। चर्चा ये है कि साल 2024 के आम चुनाव के बाद सरकार इसे अमलीजामा भी पहना सकती है। मतलब नए वेतन आयोग का गठन संभव है। फिलहाल सैलरी में इजाफा महंगाई भत्ते (DA Hike) के साथ होता रहेगा। लेकिन, सैलरी रिविजन आठवें वेतन आयोग के वक्त ही होगा। साल 2024 में आठवें वेतन आयोग में होने वाला इजाफा काफी बड़ा हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कब से लागू हो सकता है नया पे-स्ट्रक्चर
8वें वेतन आयोग का गठन अगर साल 2024 के आखिर तक हो जाता है तो अगले 2 साल में इसे लागू करना होगा। मतलब 2026 से इसे (8th Pay Commission) लागू करने की स्थिति बन सकती है। अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अब तक का सबसे बड़ा सैलरी हाइक होगा। सूत्रों की मानें तो 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के मुताबले 8वें वेतन आयोग में कई बदलाव भी हो सकते हैं। 10 साल में एक बार वेतन आयोग के गठन के फैसले में भी बदलाव किया जा सकता है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
1998 शिक्षा कर्मी को OPS का लाभ मिलना चाहिए,उनका हक है।
मध्य प्रदेश
जय श्री महाकाल