आर पी जोशी “उत्तराखंडी” की कविता- जाने पहचाने, फिर भी अनजाने

चेहरे हैं जाने पहचाने फिर भी हैं अनजाने लोग,
कुछ हम उम्र नजर आते है कुछ हैं बहुत सयाने लोग।
कई बरस के बाद में गुजरा जब फिर से उन बाजारों में,
यादें कई पुरानी लौटी जब मुझको मिले पुराने लोग।
धूंधले धूंधले अक्श जहन में नाम पता सब भूल चुका,
नजरें नजरों से टकराई तो मुड़ मुड़ देख रहे थे लोग।
कितना कुछ है बदल चुका पर कुछ कुछ वही पुराना है,
वही पटालें, वही दुकानें, भीड़ वही, गुमनाम थे लोग। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
मिलन चौक पर कदम रुके पर अब मिलने वाला कोई नहीं,
कौन मिलेगा किसको फुरसत सब अपने काम लगे हैं लोग ।
दोस्त न जाने कहां खो गए कुछ दुनियां कुछ शहर छोड़ गए,
मालरोड की रौनक में अब कम ही मिलते पुराने लोग ।
चेहरे हैं जाने पहचाने फिर भी हैं अनजाने लोग,
कुछ हम उम्र नजर आते है कुछ हैं बहुत सयाने लोग ।
कवि का परिचय
आर पी जोशी “उत्तराखंडी”
अनुदेशक, राजकीय आईटीआई सोमेश्वर, हाल खूंट, जनपद अल्मोड़ा।
मूल निवासी – तल्ली मिरई, द्वाराहाट, जनपद अल्मोड़ा, उत्तराखंड
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।