ग्राफिक एरा में विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन, सीएम धामी ने किया शुभारंभ, पीएम की पुस्तक का विमोचन
देहरादून में क्लेमंनटाउन स्थित ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में आज से छठा विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन शुरू हो गया है। इसमें 70 देश के प्रतिनिधि भागीदारी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस चार दिवसीय सम्मेलन में 60 से अधिक तकनीकि सत्र आयोजित किये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुभव पर आधारित पुस्तक रेजिलिएंट इंडिया का विमोचन भी किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान’ खोलने के लिए भूमि की व्यवस्था के साथ ही केन्द्र सरकार से अनुरोध किया जायेगा। राज्य में इस संस्थान की खोलने के लिए केन्द्र सरकार की जो भी अपेक्षा होगी, वह राज्य राज्य सरकार द्वारा पूरी की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिव्यांग और महिलाओं के लिए राज्य में आपदा की चुनौतियों का सामना करने के लिए विशेष प्राविधान किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के विश्व विद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में आपदा प्रबंधन के पाठ्यक्रम शामिल किये जायेंगे और कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने द्रोणनगरी देहरादून में आयोजित छठे विश्व आपदा प्रबन्धन सम्मेलन में देश-विदेश से आये सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड प्राचीनकाल से ही शोध, साधना, आध्यात्म, ज्ञान और विज्ञान की उद्गम स्थली रहा है। आदि गुरु शंकराचार्य जी, गुरु नानकदेव जी, स्वामी विवेकानंद जी से लेकर रविन्द्र नाथ टैगोर जी तक अनेक युग दृष्टाओं की आध्यात्मिक यात्रा में कहीं न कहीं हिमालय और विशेष रूप से उत्तराखंड के दर्शन अवश्य होते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि विश्व की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए यह आपदा प्रबंधन वैश्विक सम्मेलन महत्वपूर्ण है। उत्तराखण्ड प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हैं। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का उपाय है, प्रोएक्टिव अप्रोच। प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रतिक्रिया एकीकृत होने से आपदा से होने वाले नुकसान और जनहानि को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों का सामना सभी हिमालयी राज्यों को करना पड़ता है। इस संबंध में वैश्विक स्तर पर हो रहे अध्ययनों, शोधों एवं अनुभवों को साझा करना भी समय की जरूरत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इकोलॉजी, इकोनॉमी और टेक्नोलॉजी से चुनौतियों का सामना
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य में चिकित्सा सुविधाओं, सशक्त संचार व्यवस्था, ऑल वेदर रोड, हैलीपोर्ट्स के निर्माण, शहरी नियोजन जैसे कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आज हम आपदाओं का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन बेहतर रणनीतियों और प्रणालियों को लागू करके निश्चित रूप से इनके प्रभावों को अवश्य ही कम किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इकोलॉजी, इकोनॉमी और टेक्नोलॉजी के बेहतर समन्वय से हम प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने के लिए एक बेहतर प्रबंध तंत्र विकसित कर सकते हैं। यदि हम पृथ्वी समेत सभी प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग न करके उपयोग करेंगे तभी हम सच्चे अर्थों में प्रकृति संरक्षण के अपने कार्य में सफल हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून डिक्लेरेशन साबित होगा महत्वपूर्ण दस्तावेज
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रतिरोध की चुनौतियों पर चर्चा करना एवं उनका समाधान करना है। इस आयोजन के माध्यम से सारे विश्व में प्रकृति के प्रति मानव समाज के सामुदायिक दायित्वों और आपदा प्रबंधन में उसके महत्व को उजागर करते हुए देवभूमि से देहरादून डिक्लेरेशन के रूप में एक विशेष संदेश प्रसारित होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने आशा व्यक्त की कि आपदा प्रबन्धन की दृष्टि से पर्वतीय क्षेत्रों और सम्पूर्ण विश्व के लिए यह डिक्लेरेशन एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में विश्व भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के विषय विशेषज्ञ, जलवायु परिर्वतन एवं आपदा से सबन्धित ज्वलंत चुनौतियों और उनके समाधानों पर जो विचार मंथन करेंगे, जो आने वाले समय में आपदा प्रबंधन के लिए मददगार साबित होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखण्ड में सुरक्षित निवेश का संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 08-09 दिसम्बर को देहरादून में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश-विदेश के औद्योगिक समूहों, निवेशकों द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में निवेश को गति देने के लिए प्रतिभाग किया जायेगा। इस सम्मेलन से ठीक पहले आयोजित आपदा प्रबन्धन के वैश्विक सम्मेलन से उत्तराखण्ड में सुरक्षित निवेश-सुदृढ़ उत्तराखण्ड का संदेश देश-विदेश में प्रसारित होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन के माध्यम से समेकित विकास लक्ष्यों के साथ-साथ आपदा प्रबन्धन और जलवायु परिवर्तन जनित चुनौतियों का बेहतर रूप से सामना करने में सहायता मिलेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सफल अभियान के रूप में देखा जाएगाः डॉ घनशाला
देहरादून, 28 नवंबर। आपदा प्रबंधन पर छठे विश्व सम्मेलन में ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष डा. कमल घनशाला ने राज्य सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सिल्क्यारा में टनल आपदा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। विपरीत परिस्थितियों में सबको सुरक्षित रखना बहुत महत्वपूर्ण है, आने वाले समय में इसको एक सफल अभियान के रूप में देखा जाएगा। इससे आपदा प्रबंधन पर कई शोध भी सामने आएंगे। इससे पूर्व प्रो. (डा.) कमल घनशाला और ग्राफिक एरा ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशन्स की वाईस चेयरपर्सन राखी घनशाला ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का स्वागत किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पृथ्वी को बचाने के लिए सबको आना होगा साथ
कार्यक्रम में उत्तराखंड डिजास्टर मैनेजमेंट सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पृथ्वी को बचाने के लिए हम सबको एक साथ मिलकर आगे आना होगा। उन्होंने कहा हमारे युवा मुख्यमंत्री माननीय पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व में हम आज आपदा प्रबंधन पर चिंतन मंथन कर रहे हैं जिसका निष्कर्ष हमें बहुत ही अच्छा मिलने वाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बताया उत्तराखंड में आयोजन का कारण
डीएमआईसीएस (DMICS) के प्रेसिडेंट आनंद बाबू ने कहा कि इस वर्ल्ड इवेंट में अभी तक अनेकों साइंटिस्टों ने प्रतिभाग किया है। इस बार इस आयोजन को उत्तराखंड के देहरादून में रखने के पीछे एक अहम कारण है। हम हिमालय के बेहद करीब है और हमने आपदाओं को बहुत ही करीब से देखा है। इससे हमारे यहां पर साइंटिस्ट और रिसर्च स्कॉलर्स को काम करना आसान है। इसलिए यह आयोजन हमारे उत्तराखंड के देहरादून में हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
51 देशों का प्रतिनिधित्व शामिल
यूकास्ट के डीजी प्रो. दुर्गेश पंत ने अपने संबोधन में कहा कि इस आयोजन में 51 देशों का प्रतिनिधित्व शामिल है। इससे आपदा प्रबंधन के गंभीरता को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम जी-20 का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुके हैं और इसमें विश्व स्तर पर हमारे भारत के योगदान को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर बहुत गंभीर हैं और चिंतन मंथन करते हैं। साथ ही समय अनुसार एक्शन भी लेते रहते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री जी के कार्य शैलियों की सराहना करते हुए कहा कि उत्तरकाशी के टनल में फंसे हुए लोगों को मुख्यमंत्री जी प्राथमिकता से ले रहे हैं एवं उसका समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम के पत्र और अमिताभ बच्चन के संदेश की दी जानकारी
उन्होंने कहा कि “अर्थ इज माय मदर एंड आई एम हर चाइल्ड” के कांसेप्ट को हमें समझना होगा और उस पर अमल करना होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री से मिले हुए पत्र, (जो WCDM को अप्रिशिएसन लेटर के रूप में मिला है) को लोगों को दिखाया। साथ ही उन्होंने विजुअल के माधयम से सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की ओर से छठे विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन की सफलता के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड राज्य को बधाई और शुभकामनाएँ भी लोगों को दिखाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शहरों को स्मार्ट बनाने के साथ डिजास्टर प्रबंधन भी
पर्यावरणविद् पद्म भूषण अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कांग्रेस है जो यहां आयोजित किया जा रहा है। हम सिटी को और स्मार्ट से स्मार्ट बनाने जा रहे हैं, परंतु हमारा देश डिजास्टर के मामले में भी आगे बढ़ते जा रहा है। हम चाहते हैं कि डिजास्टर फ्री डेवलपमेंट की बात की जाए जहां पर डेवलपमेंट तो हो परंतु डिजास्टर के जो संभावना है वह बिल्कुल न्यूनतम हो। उन्होंने उत्तरकाशी टनल हादसे की बात करते हुए कहा कि आज के इस दौड़ में हमारे पास इतनी सारी टेक्नोलॉजी और सिस्टम उपस्थित है परंतु हम बिल्कुल हेल्पलेस महसूस कर रहे हैं। हमारे साइंटिस्ट और सिस्टम को रिव्यू करने की जरूरत है कि इस तरह के हादसे को कैसे कम किया जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आपदा लाती है सबसे ज्यादा डिसेबिलिटी
समर्थनम इंटरनेशनल बेंगलुरु के संस्थापक डॉक्टर डी महंतेश ने कि आपदा सबसे अधिक लोगों में डिसेबिलिटी लाती है और इसका प्रभाव ज्यादातर महिलाओं एवं बच्चों के ऊपर पड़ता है। उन्होंने कहा डिसएबल लोगों के लिए हमारी संस्था समर्थन इंटरनेशनल काम करती है, हमने उत्तराखंड में भी कोरोना महामारी के दौरान काम किया है और आपदाओं के समय पर हम उत्तराखंड के लोगों के लिए हमेशा साथ खड़े रहते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने विभिन्न देशों से आए हुए लोगों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हर वक्त डेवलपमेंट प्रोजेक्ट डिजास्टर नहीं लाता है, परंतु हमें कुछ ऐसे ट्रीटमेंट की व्यवस्था करनी चाहिए जो की डिजास्टर को नियंत्रित कर सके। उन्होंने कहा हमें डेवलपमेंट को नेचुरल बैलेंस के साथ सम्मिलित कर आगे बढ़ना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजेंद्र रतनू (IAS) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है और यह पूरी दुनिया के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा हमें डिजास्टर रिस्क रिडक्शन पर काम करना चाहिए। उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि आपदा के समय सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले महिलाएं एवं बच्चे होते हैं। हमें उम्मीद है कि हम इस सम्मेलन के माध्यम से इस पर विचार विमर्श करेंगे एवं इसके लिए ठोस निष्कर्ष निकलेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर सरकार गंभीर
यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने कहा कि उत्तराखंड सरकार के तरफ से डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर बहुत ही गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं। आपदा “मैन मेड और नेचुरल” दोनों तरह से होती है। जैसे प्राकृतिक आपदा बाढ़, भूकंप, लैंडस्लाइड, सुनामी के रूप में आती है। वहीं मैन मेड दो देशों के बीच में हुए युद्ध के रूप में आती है। उन्होंने कहा यूनाइटेड नेशन आर्गेनाईजेशन भारत को हर संभव मदद करने के लिए तत्पर रहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आपदा का संसाधनो पर भी पड़ता है असर
उन्होंने कहा कि आपदा से लोगों के साथ-साथ कृषि भूमि एवं अन्य आवश्यक संसाधनों पर भी असर पड़ता है। हम देख सकते हैं कि दुनिया भर के 125 देश के पास डिजास्टर पॉलिसी सिस्टम है परंतु यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा भारत अर्ली वार्निंग सिस्टम में काफी कुछ कर चुका है और अब भारत में कोई भी डिजास्टर आने वाला होता है तो उसे 24 घंटे पहले ही सूचना मिल जाती है जिसे जान माल का नुकसान कम करने और लोगों को संभलने के लिए वक्त मिल जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उप राज्यपाल ने दी आपदा संबंधित जानकारी
अंडमान एवं निकोबार के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडमिरल डीके जोशी ने कहा कि उत्तराखंड और अंडमान एंड निकोबार दोनों डिजास्टर के मामले में काफी करीब हैं। अंडमान एंड निकोबार में सुनामी और स्टॉर्म आता है, तो उत्तराखंड में लैंडस्लाइड, अतिवृष्टि जैसे आपदा आती रहती है। उन्होंने कहा है कि आज के समय में हमारे पास बहुत से ऐसी टेक्नोलॉजी और नए सिस्टम आ चुके हैं जो हमें डिजास्टर से पहले अलर्ट जारी कर देते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि हमारे यहां पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसे संस्था बनाई गई हैं। इससे कम्युनिटी को हो रहे नुकसानों को उनकी मदद से कम किया जा सकता है और हर वक्त उनकी तैयारी रहती है। इससे लोगों को मदद मिलते रहती है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी और एप्स के माध्यम से भी हम इवेक्युएशन को जल्दी लागू कर सकते हैं। जान माल का नुकसान भी कम कर सकते हैं। हमारे पास GIS सिस्टम, सेंसर और ड्रोन जैसे महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी है जिससे हम लोगों को अब मदद कर सकते हैं और डिजास्टर में होने वाले नुकसान की संभावनाओं को भी कम कर सकते हैं।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।