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February 7, 2025

श्रमिक संगठनों और किसानों का राजधानी देहरादून में तीन दिवसीय महापड़ाव शुरू, उठाई गई ये मांग

केंद्रीय ट्रेड यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में तीन दिवसीय महापड़ाव शुरू हो गया है। इसमें प्रदेशभर से श्रमिक और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। महापड़ाव का आयोजन पंडित दीनदयाल पार्क में आयोजित किया जा रहा है। इस मौके पर सिलक्यारा टनल फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने, परियोजनाओं की समीक्षा की मांग भी की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आज संविधान दिवस भी है। इस मौके पर उपस्थित लोगों को पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं इंटक के अध्यक्ष हीरासिंह बिष्ट ने संविधान की रक्षा की शपथ दिलाई। सिलक्यारा मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने तथा राज्य की सभी परियोजनाओं की समीक्षा की मांग‌ का प्रस्ताव जनपक्षीय पत्रकार त्रिलोचन भट्ट ने रखा। इसे एक स्वर से पारित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा कि 2014 से निरन्तर केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा लगातार ‌किसान तथा मजदूरों‌ व आमजन के खिलाफ जनविरोधी कानून बनाये जा रहे‌‌ हैं। इसके खिलाफ निरन्तर आन्दोलन चल‌ रहा है‌। उद्योग, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार,नसार्वजनिक ‌प्रतिष्ठान पर एक के बाद हमले ने वर्षों से हमारे मूलभूत ढांचें‌ की बुनियादी ‌परिवर्तन कर कारपोरेट के लिये रास्ता खोल दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा कि हमारे राज्य में अनियोजित ‌विकास के चलते ‌सड़क‌, विद्युत‌ परियोजनाओं तथा भीमकाय योजनाओं ने हमारे राज्य की पर्यावरणीय तथा जलवायु को भारी क्षति पहुंचाने का कार्य किया है। इसके चलते 2013 केदारनाथ त्रासदी, 2020 में जोशीमठ ‌के पास टनल में 200 मजदूर जिन्दा दफन हुए। अब पिछले ‌15 दिनों से सिल्कयारा टनल ढहने‌ से 41 मजदूर अपने जीवन बचाने के लिए जुझ रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा कि गरीबों में खासकर अल्पसंख्यक समुदाय को अतिक्रमण के नाम पर बेदखल करना आम बात है। स्मार्ट सिटी एवं लोकलुभावन नीतियां अन्तत: कारपोरेट घरानों की सेवाओं के नाम पर, सरकार का प्रस्तावित इन्वेस्टर समिट अन्तत: कारपोरेट तथा अन्तर्राष्ट्रीय पूंजी घरानों को मदद पहुंचाएगा। इनकी ओर से लाई गयी योजनाएं अन्तत: राज्य ‌के लिऐ भयावह साबित होगीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

वक्ताओं ने कहा कि ये इन्वेस्टर अपनी शर्तों पर पूंजी लगाएंगे। पिछले कुछ सालों से बाहरी कम्पनियों के चलते स्थानीय प्रशासन एवं स्थानीय निकाय एवं पंचायतें अधिकारविहिन हुई हैं। ये कंपनियां सीधे तौर पर पीएमओ तथा राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय से संचालित होती आयी हैं। इसलिये कार्य स्थल पर निरन्तर ‌नियम‌ कानूनों की अनदेखी आम बात है। इसकी कीमत राज्य की जनता कौ चुकानी पड़ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा कि ऐसी की नीतियों के चलते हाल ही के दिनों रेलवे प्रॉजेक्ट के तहत ऐतिहासिक एवं हराभरा क्षेत्र मलेथा गांव कंक्रीट में बदल दिया है। कहने को तो हम ऊर्जा प्रदेश हैं, किन्तु हमारी जनता भारी बलिदान देने के बावजूद बिजली दरों भारी कीमत देने के लिए विवश हैं। राज्य का देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हरेक घर में सेना में जाने की परम्परा रही। वहीं, सेना का भी नीजिकरण कर स्थाई रोजगार छीनने का कार्य करना निन्दनीय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पड़ाव की मुख्य मांगे
-चार श्रम कोड वापस लेने ,ठेका प्रथा बन्द करने ,असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा की गारन्टी।
– खाद्य सुरक्षा की गारन्टी, पेट्रोलियम पदार्थों, रसोई गैस मूल्यवृद्धि वापस ली जाए।
-सार्वजनिक वितरण प्रणाली मजबूत करने तथा इसका दायरा बढ़ाया जाए।
-गन्ने का मूल्य 500 रूपये प्रति क्विंटल करने।
-जंगली जानवरों से फसलों एवं जानमाल की सुरक्षा के साथ मुआवजे की गारन्टी।
-प्रस्तावित बिजली बिल वापस लेने तथा बिजली प्री पेड स्मार्ट मीटर का प्रस्ताव वापस लेने।
-काम के अधिकार कौ मौलिक ‌अधिकार घोषित करने। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

-किसानों की कर्ज माफी घोषित करना।
-संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला बन्द किया जाए।
-कारपोरेटपरस्त बीमा योजना समाप्त करते हुए फसलों के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा योजना स्थापित करने।
-वनाधिकार अधिनियम को कढ़ाई से लागू किया जाए।
-राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 26 हजार लागू हो।
-सभी आवासहीनों को आवास दिया जाए।
-नियमित रूप से श्रम सम्मेलन हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

– सभी के लिये मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ, पेयजल, स्वच्छता ‌का अधिकार हो। नई शिक्षा नीति वापस ली जाए।
-उपनल, संविदा व ठेका कर्मियों को हाई कोर्ट व सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार समान काम का समान वेतन, भत्ते की सुविधा, वर्षो से कार्यरत इन श्रमिकों नियमित किया जाए।
-गढ़वाल मंडल विकास निगम को पीपीपी मोड में देने पर रोक लगे।
-उत्तराखंड में केंद्रीय संस्थानों में कार्यरत संविदा, ठेका मजदूरों के शोषण पर रोक लगाई जाए। इनके निकालने पर रोक लगाई जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

की गई नाटक की प्रस्तुति
इस अवसर पर किसान सभा‌ केन्द्रीय नेता पुष्पेंद्र त्यागी ने केन्द्र सरकार ‌कि किसान विरोधी नीतियों कि जमकर आलोचना की। साथ ही उत्तराखंड में सफल महापड़ाव के लिये राज्य नेतृत्व कौ बधाई दी। कार्यक्रम में पौड़ी से आई अंकुर नाट्य संस्था ने एक नाट्य प्रस्तुति की। इसमें सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

संयुक्त रूप से की गई अध्यक्षता
पहले दिन आज पड़ाव की अध्यक्षता सीटू के प्रांतीय सचिव राजेन्द्र सिंह नेगी, महेन्द्र जखमोला, इ्न्टक के एपी अमोली, बिरेंद्र नेगी, एटक के अशोक शर्मा, समर भंडारी, किसान सभा के सुरेन्द्र सिंह सजवाण, एक्टू से के बौरा, किसान एकता केंद्र के तेजेन्द्र ने की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, बैंक कर्मचारी नेता समदर्शी बड़थ्वाल, एसएस नेगी, नन्दलाल शर्मा, अनिल कुमार, प्रवीण, एस एस त्यागी, जगदीश कुड़ियाल, किशन गुनियाल, जीडी डंगवाल, जगतार सिंह बाजवा, तन्मय ममगाईं, किसान नेता कमरूद्दीन, दलजीत सिंह, राजेन्द्र पुरोहित, विजय भट्ट, भूपालसिंह रावत, मदन मिश्रा, गिरिधर पण्डित, ईश्वरपाल सिंह, एमएस वर्मा, एके दास, मुनिरका यादव, राजाराम सेमवाल, याकूब अली, पुरूषोतम बडौनी, जगदिश कुकरेती, बिक्रम सिंह पुंडीर, भगवन्त पयाल, रविंद्र नौडियाल, ज्ञानेंद्र खन्तवाल, हरिओम पालि, रामसिंह भण्डारी, चौधरी हरेन्द्र वालियान, जयकृत कण्डवाल, हरजिंदर सिंह, बलबीर सिंह, आरपी जखमोला, एम के सिन्हा, सुभाष त्यागी, मनमोहन सिंह, सुरेन्द्र रावत, चिन्तामणी थपलियाल, अषाढ़ सिंह, दौलत सिंह रावत, जयसिंह नेगी, अनन्त आकाश, जगतारसिंह, रमेंश नौडियाल, कमला गुरूंग, बुद्धि चौहान, अतुल, कुलदिप, निहारिका, प्रदीप उनियाल आदि उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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