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December 23, 2024

राज्य स्थापना दिवस से एक दिन पहले आंदोलनकारी संगठनों ने किया सचिवालय कूच

उत्तराखंड राज्य की स्थापना नौ नवंबर 2000 में हुई थी। स्थापना दिवस से एक दिन पहले उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने छूटे हुए आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण और राज्य में कड़ा भूकानून बनाने सहित विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार आठ नवंबर को सचिवालय कूच किया। सचिवालय कूच देहरादून के परेड मैदान से शुरू हुआ। सचिवालय से कुछ पहले ही आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोक दिया। इस पर सचिवालय के समक्ष ही प्रदर्शन किया गया। साथ ही सचिवालय के जन संपर्क अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदर्शन में उत्तराखंड आन्दोलनकारी परिषद, जनवादी महिला समिति, सीपीएम, राष्टीय उतराखंड पार्टी, यूकेडी, महिला मंच, बेरोजगार मंच, पहाड़ी स्वाभिमानी पार्टी, नेताजी संघर्ष समिति आदि संगठन शामिल हुए। राज्य आंदोलनकारियों का कहना था कि आज राज्य को बने हुए लगभग 23 वर्ष होने को हैं। उत्तराखंड के लोग वह आंदोलनकारी आज भी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद कुछ मुट्ठी भर भू माफिया, शराब माफिया, नकल माफिया, खनन माफिया, आदि ने एक गिरोह बनाकर उत्तराखंड राज्य का बे हिसाब दोहन किया है। खनिज संसाधनों पर अपना कब्जा कर लिया है। इससे उत्तराखंड राज्य में युवा, महिला सहित आम जनता अपने को ठगा महसूस कर रही है। यह राज्य आम उत्तराखंड के नागरिकों के मूलभूत विकास के लिए बनाया गया था। राष्ट्रीय दलों ने उत्तराखंड राज्य को मुख्यमंत्री की प्रयोगशाला बना रखा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये हैं मांगे
-उत्तराखंड आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण शीघ्र पूरा हो, तथा छूटे हुए आंदोलनकारी को सूची में शामिल किया जाए। ताकि वे सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सके।
– सभी आंदोलनकारीयो को समान पेंशन 15000 रुपये दी जाए। साथ ही उन्हें पेंशन पट्टा प्रदान किया जाए।
– हिमाचल की तर्ज पर धारा 371 उत्तराखंड राज्य में लागू की जाए। साथ ही सशक्त भू कानून जल्द से जल्द बनाया जाए। इस भू कानून को शक्ति से लागू किया जाए। यहां के मूल निवासियों को स्वरोजगार के लिए सरकार की ओर से प्रशिक्षित किया जाए। आसान किस्तों में ग्रामीण अंचल में रोजगार सृजित करने के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाए।
– मूल निवास वर्ष 1950 के आधार पर लागू किया जाए, जो उच्चतम न्यायालय की गाइड लाइन के अनुसार15 साल का है।
-अस्थाई निवास प्रमाण पत्र व्यवस्था अवैध है, जिसे तुरंत समाप्त किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदर्शनकारियों में ये रहे शामिल
प्रदर्शनकारियों में उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद नवनीत गुसाई, विपुल नौटियाल, सुरेश कुमार, उत्तराखंड महिला मंच जनवादी महिला समिति से इन्दु नौडियाल, नुरैशा अंसारी, माकपा से सुरेंद्र सिंह सजवाण, राजेन्द्र पुरोहित, अनन्त आकाश‌, सीटू से लेखराज, रविन्द्र नौडियाल‌, नेताजी संघर्ष समिति से प्रभात डंडरियाल के साथ ही गणेश डंगवाल, अनुराग भट्ट, जगमोहन रावत, रामपाल, अमित पवार, अनुराग भट्ट, धर्मानंद भट्ट, सुशील विरमानी, मुन्नी खंडूरी, पुष्प लता सिल्माना, जितेंद्र चौहान, बलेश बवानिया, प्रेम सिंह नेगी, सुनील जुयाल, लोक बहादुर थापा, सत्या पोखरियाल, पार्वती राठौड़, मधु डबराल, प्रवीण गोसाई, कमला देवी, रेनू नेगी, प्रमोद मंदरवाल , बॉबी पवार, विशंभर दत्त बौंठियाल, मोहित डिमरी, चिंतन सकलानी, सुलोचना गोसाई सहित काफी संख्या में लोग शामिल थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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