अबकी बार विपक्षी विधायकों की वजह से लटका आंदोलनकारियों के आरक्षण में संशोधन का मुद्दा
उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण बिल को लेकर लंबे समय से हो रही देरी अब विपक्ष के विधायकों की भूमिका के चलते और बढ़ चली है। आरक्षण बिल को लेकर सोमवार को संसदीय कार्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में प्रवर समिति की बैठक प्रस्तावित थी। इसमें विपक्षी विधायक नहीं पहुंचे। ऐसे में बैठक को स्थगित कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस संबंध में डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि आंदोलनकारियों के आरक्षण का फैसला हम मिलकर लेना चाहते हैं। इसलिए विपक्ष के विधायकों का बैठक में होना जरूरी था। विधायकों के नहीं आने के कारण बैठक को स्थगित किया गया है। अब ये बैठक बाद में आयोजित होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि विधानसभा सत्र के दौरान राज्य आंदोनलकारियों का आरक्षण बिल पेश किया गया था। इसमें कुछ संशोधन होने के कारण इसे सर्वसम्मति से प्रवर समिति को भेज दिया गया था। पिछली बैठक में प्रवर समिति ने राज्य आंदोलनकारी आरक्षण विधेयक में आश्रितों की श्रेणी में तलाकशुदा और परित्यक्ता बेटियों को भी शामिल करने का सुझाव दिया था। साथ ही राज्य सरकार की सभी भर्ती परीक्षाओं में राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की हिमायत की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बिल में आंदोलन के घायलों व सात दिन अथवा इससे अधिक अवधि तक जेल में रहे आंदोलनकारियों की जगह चिह्नित राज्य आंदोलनकारी करने, आंदोलनकारियों को लोक सेवा आयोग वाले समूह ग के पदों पर भी सीधी भर्ती में आयु सीमा और चयन प्रक्रिया में एक साल की छूट देने, लोकसेवा आयोग की सीधी भर्ती में राज्य महिला क्षैतिज आरक्षण की तरह 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने संबंधी संशोधन प्रस्तावित हैं। प्रवर समिति के सदस्यों में विधायक मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, उमेश शर्मा काऊ, शहजाद, मनोज तिवारी, भुवन चंद्र कापड़ी शामिल हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।