प्रोफेसर डॉ. पुष्पा खंडूरी की कविता-मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए
मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए।
मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए।
थोड़ी सी जमीं नहीं
सारा जहान चाहिए।
मैं तो अपाला, गार्गी विद्योत्तमा की वंशज हूँ
शास्त्रार्थ में सबसे आगे हूँ मैं
कोमल हूँ कमजोर नहीं मैं
भावों के प्रवाह में बहती जो
वो दृढ़ता का पारावार हूँ मैं
थक गई अग्निपरीक्षा देते – देते,
तप तपकर आज खरा कुन्दन हूँ मैं॥
मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए।
थोड़ी सी जमीं नहीं पूरा जहान चाहिए।
हर क्षेत्र में सबसे आगे हूँ मैं
श्री कृष्ण के आगे राधा हूं मैं
श्री राम के आगे सीता हूं मैं
अस्तित्व इस जगत का हूं मैं
क्योंकि जगमाता जग जननी हूं मैं।
जो ना होती वीर माता जीजाबाई,
तो वीर शिवाजी होता कौन।
जो रानी लक्ष्मीबाई ना होती,
तो गाथा झाँसी की गाता कौन॥
मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए।
थोड़ी सी जमीं नहीं
सारा जहान चाहिए॥
कवयित्री की परिचय
डॉ. पुष्पा खंडूरी
प्रोफेसर, डीएवी (पीजी ) कॉलेज
देहरादून, उत्तराखंड
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।