राजस्थान में महिला को निर्वस्त्र घुमाया, गोदी मीडिया ने मणिपुर से जोड़ा, बीजेपी ने खेली सियासत, दोनों में फर्क जानिए

राजस्थान में आदिवासी बहुल प्रतापगढ़ जिले में एक महिला को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो वायरल हुआ तो इसे लेकर सियासत भी गरमा गई है। गोदी मीडिया ने तो इस घटना को मणिपुर से जोड़ दिया। वहीं, बीजेपी भी सियासत करने से पीछे नहीं रही। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर छोटे राज्य उत्तराखंड के अध्यक्ष महेंद्र भट्ट तक इस मामले में राजस्थान की सरकार को घेर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राजस्थान की घटना को मणिपुर की घटना से जोड़ना कितना सही है। क्योंकि मणिपुर में तो दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना पुलिस के संज्ञान में आने के दो माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तब जाकर सरकार और पुलिस हरकत में आई। वहीं, राजस्थान की घटना में पुलिस ने दो दिन के भीतर ही 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में किस तरह से दोनों घटनाओं की तुलना कर सकते हैं। सबसे पहले हमें ये जान लेना चाहिए कि राजस्थान में क्या हुआ और मणिपुर में क्या हुआ था। इससे दोनों घटनाओं में फर्क समझ आ जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजस्थान की घटना
घटना प्रतापगढ़ के धरियावाद में 31 अगस्त की शाम की है। शुक्रवार एक अगस्त को घटना का वीडियो वायरल हुआ। वायरल वीडियो में अभियुक्त जबरन महिला को निर्वस्त्र करते हुए नज़र आ रहा है, जबकि महिला रोते हुए ऐसा नहीं करने की गुहार लगा रही है। पुलिस के अनुसार महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया गया है। वीडियो में नज़र आ रहा है कि तमाशबीन भीड़ घटना का विरोध नहीं कर रही है। इस भीड़ में महिलाएं भी नज़र आ रही हैं। शनिवार सुबह को ही डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि चार अभियुक्तों को हिरासत में लिया गया है। इसके बाद सात अन्य दो भी शाम तक गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के मुताबिक, महिला ने अपने पति कान्हा गमेती और उसके साथी सूरज, वेणिया, नेतिया, नाथू और महेंद्र के ख़िलाफ़ मोटर साइकिल पर लेकर जाने और निर्वस्त्र कर घुमाने की शिकायत पुलिस में दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएम ने किया दौरा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को प्रतापगढ़ का दौरा किया और मीडिया को इन गिरफ़्तारियों की जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में जिनके भी नाम सामने आएंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने पीड़ित महिला से भी मुलाकात की और 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की। अशोक गहलोत ने कहा कि अपराधियों के ख़िलाफ़ फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुक़दमा चलाया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मणिपुर की घटना
गौरतलब है कि मणिपुर में आरक्षण को लेकर दो जातियों के बीच (मैतेई और कूकी समुदाय) तीन मई से हिंसा शुरू हुई। इस हिंसा में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पांच हजार से ज्यादा घरों को जला दिया गया है। 50 हजार से ज्यादा लोग शिविरों में रह रहे हैं। कई चर्च भी हिंसा के दौरान तोड़े गए हैं। इस बीच चार मई को दो महिलाओं को पुलिस की सुरक्षा से छुड़ाकर निर्वस्त्र घुमाया गया। भीड़ ने एक महिला के पिता और एक के भाई की हत्या कर दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दो माह बाद हुआ वीडियो वायरल
वहीं, एक महिला के साथ रेप भी किया गया। घटना चार मई की थी और 18 मई थाने में तहरीर दी जाती है, लेकिन मुकदमा 21 मई को होता है। वहीं, किसी आरोपी पर कार्रवाई नहीं होती। महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो 19 जुलाई को वायरल हुआ। वीडियो वायरल होने पर बताया जा रहा है कि महिलाएं तीन थी, लेकिन वीडियो में दो ही नजर आ रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, तब हुई कार्रवाई
वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले को स्वतः संज्ञान लेता है। साथ ही पीएम मोदी पहली बार मणिपुर में महिलाओं के अपमान की निंदा तो करते हैं, लेकिन वह गैरभाजपा शासित राज्य सरकारों को भी ऐसे मामलों में नसीहत दे देते हैं। वह मणिपुर की जनता से शांति की अपील नहीं करते हैं। इसके बाद ही 20 जुलाई को इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया जाता है। वहीं, अब तक आठ लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। बताया तो ये भी जा रहा है कि ऐसी घटनाएं कई महिलाओं के साथ हो चुकी है। वहीं, जिस घटना का वीडियो वायरल हुआ, उसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई चल रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कैसे करें दोनों में तुलना
मणिपुर में जातीय संघर्ष हुआ। वहां, तीन मई से हिंसा हो गई थी। सरकार इसे रोकने में नाकाम रही और हिंसा बढ़ती गई। वहीं, राजस्थान की घटना का किसी को पहले से कैसे पता हो सकता है। क्योंकि ऐसी अपराधिक घटनाएं तो किसी भी राज्य और शहर में हो सकती हैं। यहां ये भी बताना जरूरी है कि यदि अपराध का खुलासा सामने होने के बाद पुलिस कोई कार्रवाई ना करे, तब सरकार पर सवाल उठाए जा सकते हैं। मणिपुर में तो 18 मई को तहरीर देने के बाद भी दो माह तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। यहां ये भी बताना जरूरी है कि मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। वहीं, राजस्थान में तो सीएम अशोक गहलौत पीड़िता से मिल चुके। उधर, एक बार भी पीएम मोदी ने मणिपुर की तरफ रुख नहीं किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सियासत में कूदी बीजेपी, जेपी नड्डा ये बोले
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा कि राजस्थान के प्रतापगढ़ का वीडियो चौंकाने वाला है। इससे भी बुरी बात यह है कि राजस्थान में शासन व्यवस्था पूरी तरह से नदारद है। मुख्यमंत्री और मंत्री गुटीय झगड़ों को निपटाने में व्यस्त हैं और बचा हुआ समय दिल्ली में एक राजवंश को खुश करने में बीत रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नड्डा ने आगे लिखा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि राज्य में महिला सुरक्षा के मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। आए दिन महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की कोई न कोई घटना सामने आती रहती है। राजस्थान की जनता राज्य सरकार को सबक सिखाएगी। राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में एक आदिवासी महिला के साथ उसके ससुराल वालों ने दरिंदगी की। उसे पूरे गांव के सामने बिना कपड़ों के घुमाया। महिला चीखती रही, छोड़ने की गुहार लगाती रही, लेकिन दरिंदगी करने वालों का दिल नहीं पसीजा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड बीजेपी का बयान
उत्तराखंड बीजेपी ने राजस्थान में सरेआम एक आदिवासी महिला को निर्वस्त्र घुमाने की घटना को शर्मनाक बताते हुए इसे कांग्रेस सरकारों का मातृ शक्ति मॉडल की पोल खोलने वाला बताया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इसे मानवता को शर्मशार करने वाली घटना बताया और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग प्रदेश मे कानून व्यवस्था को लेकर झूठे आरोप प्रत्यारोप के जरिये प्रदेश की छवि खराब करने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हे राजस्थान को महिला अपराधों के लिए सुरक्षित स्थान बनाने पर शर्मिंदगी कब होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भट्ट ने कहा कि राज्य की धामी सरकार ने सभी अपराधिक घटनाओं पर कठोर कार्यवाही की है। जिस पर न्यायालय और जनता दोनों ने संतुष्टि जताई है, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस शासित मुख्यमंत्री इसे परिवार का मसला बताकर इस पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी महिला अपराधों को लेकर संवेदनशीलता और गैरजिम्मेदाराना सोच इससे से पता चलती है, जब वह सदन के अंदर कहते हैं कि बलात्कार के अधिकांश मामले फर्जी होते हैं और तो और इनके मंत्री कहते हैं कि राजस्थान मर्दों का है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि समूची मातृ शक्ति के अपमान की इस शर्मनाक घटना को लेकर कांग्रेस सरकार का रवैया ठीक वैसा ही है, जैसा 2014 में हल्द्वानी की मासूम बच्ची परी के दरिंदगों को पकड़ने के दौरान उनकी सरकार का रहा। तत्कालीन कांग्रेस सरकार का रवैया बेहद पीड़ादायक था कि और इस घटना की एफआईआर भी लगातार जनांदोलन के बाद लिखी गयी। आरोपियों को गिरफ्तार करने में लंबा समय जाया किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि आज महिलाओं के साथ इसी तरह के जघन्य अपराध बंगाल, छत्तीसगढ़ में भी लगातार हो रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी समेत इनके किसी प्रदेश नेता को कोई पश्चाताप नही होता। वहीं कानून व्यवस्था को लेकर अनर्गल और झूठे आरोप लगाकर राज्य की छवि खराब करने की होड़ प्रदेश कांग्रेस नेताओं में लगी रहती है। बेहतर होगा कि मोहब्बत की दुकान खोलने का दावा करने वालों को राजस्थान में महिला अपराधों की होलसेल लगाने पर शर्मिंदा होना चाहिए और तत्काल अपने मुख्यमंत्री गहलोत का इस्तीफा लेना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजस्थान में तो कार्रवाई हो चुकी है, फिर ऐसी बयानबाजी क्यों
सवाल उठता है कि राजस्थान में जब आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया तो बीजेपी के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष गलत बयानबाजी क्यों कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री इसे परिवार का मसला बताकर इस पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, सच्चाई ये है कि सीएम गहलौत ने खुद प्रतापगढ़ का दौरा किया। पीड़ित को सहायता की घोषणा की। ऐसे में साफ ये है कि दिसंबर माह में राजस्थान सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनााव के मद्देनजर बीजेपी विपक्ष पर हमलावर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हालांकि, उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्याकांड के मामले में बीजेपी नेता के पुत्र व अन्य लोगों की गिरफ्तारी हुई। इस मामले में पुलिस ने तत्परता दिखाई। वहीं, एस मामले की सीबीआई जांच की मांग को सरकार ने खारिज कर दिया। साथ ही अंकिता पर किस वीआईपी की सेवा के लिए दबाव बनाया जा रहा था और ना मानने पर उसकी हत्या कर दी गई, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया है। वीआईपी के मामले को कांग्रेस ने मुद्दा बनाया हुआ है। इसे लेकर समय समय पर प्रदर्शन भी हो रहे हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।