अमेरिका में पीएम मोदीः भारतीय मीडिया ने गिनी तालियों और अभिनंदन की संख्या, अमेरिकी मीडिया ने घेरा
इन दिनों भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं। ये उनकी पहली राजकीय यात्रा है। हालांकि, वह नौ साल में छठी बार अमेरिका पहुंचे हैं। उनकी अमेरिका के दौरे को लेकर मीडिया में इस तरह की खबरें आ रही हैं कि पीएम मोदी का अमेरिका में डंका बज गया। ऐसी खबरों में भारतीय मीडिया पीएम के अभिनंदन, स्वागत समारोह, उनके पहनावे पर ही फोकस करता रहा। भारतीय मीडिया की खबरों में ये खबर भी है कि यूएस कांग्रेस के संयुक्त सत्र में संबोधन के दौरान करीब 79 मौके ऐसे आए जब अमेरिकी संसद के सांसदों ने तालियां बजाकर पीएम मोदी के बयान का स्वागत किया। इसके अलावा 15 ऐसे मौके आए जब खड़े होकर उनका अभिनंदन किया। पीएम के ऑटोग्राफ लेने में उनमें होड़ सी मच गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उधर, खबर ये भी है कि भारत में लोकतंत्र के सवाल पर अमेरिकी मीडिया ने पीएम नरेंद्र मोदी को घेरने का प्रयास किया। अमेरिकी पार्लियामेंट भी भी मोदी मोदी की गूंज सुनने को मिली, लेकिन इससे पहले मीडिया से बातचीत में नौ साल में पहली बार किसी पत्रकार ने पहली बार पीएम मोदी से लोकतंत्र को लेकर सीधा सवाल किया। दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिका में दुनिया से सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के पीएम की अमेरिका की यात्रा के दौरा लोकतंत्र का सवाल उठा। इसके जवाब के तौर पर लोकतंत्र ही सहारा बना। पीएम मोदी ने भी लोकतंत्र के आसरे ही अपने अंदाज में इस सवाल का जवाब दिया और दावा किया कि भारत में कोई भेदभाव नहीं है। भारत में मजबूत लोकतंत्र है। भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सवाल ये है कि दुनियां के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में लोकतंत्र को लेकर पीएम मोदी से सवाल करने की जरूरत क्यों पड़ी। इससे पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी एक इंटरव्यू में भारत में लोकतंत्र के मुद्दे को लेकर पीएम मोदी को कटघरे में कड़ा कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने वाइट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इसके बाद प्रधानमंत्री और जो बाइडन ने बयान दिया। इस दौरान प्रेस ने सवाल लिए। ये पहली बार था, जब प्रधानमंत्री ने सीधे प्रेस कांफ्रेंस में किसी पत्रकार के सवाल का जवाब दिया हो. सवाल जो बाइडन से भी पूछे गए थे, लेकिन हम यहां सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी से हुए सवाल जवाब के बारे में बात कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वॉल स्ट्रीट जर्नल की सबरीना ने पूछा ये सवाल
पीएम मोदी से पूछा गया कि भारत खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहता है, लेकिन कई मानवाधिकार संस्थाओं का कहना है कि आपकी सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया है। आलोचकों का मुंह बंद किया है। आप वाइट हाउस के ईस्ट रूम में हैं, जहां कई विश्व नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लिया। मुस्लिम समुदाय और दूसरे अल्पसंख्यकों की रक्षा और फ्री स्पीच की रक्षा के लिए आप और आपकी सरकार क्या करेंगे? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम मोदी ने दिया ये जवाब
पीएम नरेंद्र मोदी ने जवाब में कहा कि मुझे वास्तव में आश्चर्य होता है, जब लोग ऐसा कहते हैं। भारत तो लोकतंत्र है ही। जैसा कि राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, भारत और अमेरिका, दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है। लोकतंत्र हमारी रगों में है। हम लोकतंत्र जीते हैं। हमारे पूर्वजों ने इस बात को शब्दों में ढाला है। ये हमारा संविधान है। हमारी सरकार लोकतंत्र के मूल्यों को ध्यान में रखकर बनाए गए संविधान पर ही चलती है। हमने सिद्ध किया है कि लोकतंत्र अच्छे नतीजे दे सकता है। हमारे यहां, जाति, उम्र, लिंग आदि पर भेदभाव की बिल्कुल भी जगह नहीं है। जब आप लोकतंत्र की बात करते हैं, अगर मानव मूल्य न हों, मानवता न हो, मानवाधिकार न हों, तब उस सरकार को लोकतंत्र कहा ही नहीं जा सकता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब आप लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं, उसे जीते हैं, तो भेदभाव की कोई जगह नहीं होती। भारत सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास, इस मूलभूत सिद्धांत पर चलता है। भारत में जनता को जो लाभ मिलते हैं, वो उन सभी के लिए हैं, जो उसके हकदार हैं। इसीलिए भारत के मूल्यों में कोई भेदभाव नहीं है। न धर्म के आधार पर, न जाति, उम्र या भूभाग के आधार पर। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीटीआई की ओर से पूछा गया सवाल
पीटीआई की ओर से पूछा गया कि भारत और अमेरिका, दोनों जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की बात करते हैं, लेकिन एक मत है कि बड़े-बड़े लक्ष्य तो बनाए जाते हैं, लेकिन कार्यान्वयन कमज़ोर है। विकसित देशों पर आरोप है कि वो तकनीक और बजट के मामले में विकासशील देशों की सहायता से कतराते हैं। इस पर आपका क्या कहना है? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम मोदी का जवाब
पीएम मोदी ने कहा कि जहां तक भारत का सवाल है, पर्यावरण हमारी सांस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हम प्रकृति के दोहन में विश्वास नहीं करते हैं। सृष्टि को चलाने के लिए प्रकृति से कुछ चीज़ें ली जा सकती हैं, लेकिन उसका गलत तरीके से दोहन नहीं। भारत अपने यहां तो प्रयास कर ही रहा है, वैश्विक मंच पर भी पहल कर रहा है. G 20 देशों ने पेरिस में जो वादे किए थे, उनमें से सिर्फ भारत ही एक देश है, जिसने अपने वादे निभाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हमने 500 गीगावॉट का लक्ष्य रखा है। 2030 तक भारतीय रेल का नेटवर्क कार्बन न्यूट्रल हो जाएगा। ये पहल बहुत बड़ी है। रोज़ पूरे ऑस्ट्रेलिया के बराबर लोग भारतीय रेल में सफर करते हैं। 10 फीसदी इथनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य हमने समय से पहले पूरा कर दिया है। हम ग्रीन हाइड्रोजन पर काम कर रहे हैं. हमने इंटरनैशनल सोलर अलायंस लॉन्च किया है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हमने द्वीपों पर बसे देशों की मदद की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं में इंफ्रास्ट्रक्चर का काम से कम नुकसान कैसे हो, हम इसपर काम कर रहे हैं। हर व्यक्ति को पर्यावरण के अनुरूप अपना जीवन ढालना होगा। हमें अपनी भावी पीढ़ा की चिंता है। भारत ने पर्यावरण का नुकसान नहीं किया, लेकिन हम उसे सहेजने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। समृद्ध देशों से तकनीक और वित्तीय मदद पर भी काम चल रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत और अमेरिका के संबंधों के इतिहास में विशेष दिन
पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन भारत और अमेरिका के संबंधों के इतिहास में एक विशेष संबंध रखता है। आज की हमारी चर्चा और हमारे द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय से हमारा कॉम्प्रिहेंसिव ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप में एक नया अध्याय जुड़ा है। एक नई दिशा और नई उर्जा मिली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर
उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका की व्यापार की निवेश साझेदारी दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। आज अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। हमने निर्णय लिया है कि व्यापार से जुड़े लंबित मुद्दों को समाप्त कर नई शुरूआत की जाएगी। भारत-अमेरिका की व्यापार की निवेश साझेदारी दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। आज अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वाणिज्य दूतावास खोलने के निर्णयका स्वागत
पीएम मोदी ने कहा कि हमने निर्णय लिया है कि व्यापार से जुड़े लंबित मुद्दों को समाप्त कर नई शुरूआत की जाएगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, स्पेस, क्वांटम और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में अपना सहयोग बढ़ाकर हम एक मज़बूत और फ्यूचरिस्टिक साझेदारी कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों को और गहरा करने के लिए हम अमेरिका द्वारा बेंगलुरू और अहमदाबाद में वाणिज्य दूतावास खोलने के निर्णय का स्वागत करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में नई छलांग
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आर्टेमिस समझौते में शामिल होने के लिए सहमत हुए हैं। हमने अपने अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में एक नयी छलांग लगाई है। ICET यानी इनिशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड एमजिर्गं टेक्नोलॉजी हमारे तकनीकी सहयोग के महत्वपूर्ण रूपरेखा के रूप में उभरा है। AI, सेमीकंडक्टर, स्पेस जैसे क्षेत्रों में अपना सहयोग बढ़ाकर हम एक महत्वपूर्ण और फ्यूचरिस्टिक साझेदारी की रचना कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विश्व की आकांक्षाओं को कर सकते हैं पूरा
नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्लाइमेट यह हमारे सांस्कृतिक परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। हम एक्सप्लोइटेशन ऑफ नेचर में हम विश्वास नहीं करते हैं। 2030 तक भारत की रेलवे का नेट जीरो का लक्ष्य रखा है। भारत की रेलवे कहने का अर्थ यह है कि हर दिन हमारे यहां रेल के डिब्बे में पूरा ऑस्ट्रेलिया होता है, इतना बड़ा हमारा देश है। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत और अमेरिका, वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि में योगदान दे सकते हैं। मुझे विश्वास है कि इन मूल्यों के आधार पर हम विश्व की आकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।