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November 14, 2024

ये कैसा लव जिहाद, जहां सिर्फ मुसलमानों का बनाया जा रहा निशाना, एक आरोपी हिंदू भी

इन दिनों उत्तराखंड में उत्तरकाशी का पुरोला कस्बा लव जिहाद के नाम पर सुलग रहा है। लव जिहाद के नाम पर कहें तो सिर्फ मुसलमानों को ही निशाना बनाया जा रहा है। नफरत की आग को फैलाने के लिए व्हाट्सएप से संदेश लोगों को भेजे जा रहे हैं। ऐसे संदेशों में हिंदू को खतरा और एकजुट होने का आह्वान किया जा रहा है। साथ ही एक समुदाय विशेष के लोगों से घर और दुकान खाली कराने का आह्वान किया जा रहा है। ऐसे संदेश राजधानी दून में भी खूब फारवर्ड हो रहे हैं। वहीं, लव जिहाद के खिलाफ उत्तरकाशी में 15 जून को महापंयात भी बुलाई गई है। साथ ही जिले भर में प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब सवाल उठता है कि क्या  सरकार, पुलिस, प्रशासन का ऐसे लोगों को मौन समर्थन है। क्योंकि सरकार जानती है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनाव जीतने के लिए उसके पास अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए ज्यादा कुछ है नहीं। चाहे रोजगार का सवाल हो। या फिर स्वास्थ्य सेवाएं। या फिर फिर पेयजल व बिजली की आपूर्ति हो या फिर स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था। सरकारी नौकरी का हाल ये है कि बार बार पेपर कैंसिल हो रहे हैं। पहले कार्यकाल में सीएम धामी ने छह माह में 22 हजार सरकारी पद को भरने का दावा दिया। तब से अब तक दूसरा कार्यकाल मिलाकर दो साल होने को हैं। 22 हजार नौकरी ना तो छह माह में मिली। वहीं, 68 हजार से ज्यादा पद सरकारी विभागों में खाली है। बार बार परीक्षाएं भर्ती घोटालों की भेंट चढ़ीं। नकल कराने और पेपर लीक में दो बीजेपी नेता भी गिरफ्तार हो चुके हैं। क्या युवाओं का भविष्य छीनने वाले ऐसे नेताओं के खिलाफ कोई संगठन खड़ा हुआ। जो अबकी बार उत्तरकाशी को लेकर लोगों की भावनाओं को भड़का रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे में लव जिहाद और लैंड जिहाद के नाम पर सबसे आसान तरीका और क्या हो सकता है, जिससे लोगों को भावनाओं को भड़काया जाए। या भावनाओं को भड़काने वालों को मौन समर्थन दिया जाए। इन दिनों उत्तरकाशी का पुरोला शहर लव जिहाद की आग में सुलगा पड़ा है। ये कैसा लव जिहाद है, जिसमें बच्ची के अपहरण के प्रयास में एक आरोपी हिंदू भी निकला। फिर सवाल उठता है कि मुस्लिम लोगों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। जब अंकिता हत्याकांड हुआ तो क्या उस समय आरोपी के घरवालों को निशाना बनाया गया था। या फिर कई बीजेपी नेताओं पर दुष्कर्म के आरोप लगे तो क्या उनके घरवालों को निशाना बनाया गया। अब ऐसे में सिर्फ एक ही वर्ग को निशाना बनाकर सांप्रदायिकता की आग को भड़काया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये है घटना
उत्तरकाशी जिले में पुरोला एक छोटा कस्बा है। यहां 26 मई को यहां एक नाबालिग लड़की के अपहरण की कोशिश हुई। नाबालिग को भगाने के आरोप में बिजनौर के रहने वाले हिंदू युवक जितेंद्र सैनी पुत्र अंतर सैनी और मुस्लिम युवक उवेद खान पुत्र अहमद को कुछ लोगों ने पकड़ा और पुलिस को सौंप दिया। दोनों युवकों के खि‍लाफ पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज द‍िया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

इसके बाद बात खत्म नहीं होती और इस मामले ने लव जिहाद का रूप लिया। पुरोला के साथ-साथ उत्तरकाशी जिले के छोटे बड़े कस्बों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। आरोपी तो हिंदू भी था, लेकिन अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाने लगा। चार जून की रात को देवभूमि रक्षा संगठन ने पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों के बाहर पोस्टर च‍िपका द‍िए। पोस्‍टर्स में 15 जून को महापंचायत का आह्वान किया गया। इसके पहले मुस्लिम व्यापारियों को दुकानें खाली करने की चेतावनी दी गई। वहीं, पुलिस कह रही है कि पोस्टर लगाने वालों की पहचान की जा रही है। वहीं, इस संगठन के नेता की तस्वीरें उत्तराखंड के डीजीपी के साथ बैठे होने की वायरल हो रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

छोड़ने लगे हैं मुस्लिम व्यापारी पुरोला
महापंचायत और दुकानें खाली करने की चेतावनी के बाद मुस्लिम व्यापारि‍यों का पुरोला छोड़कर जाने का स‍िलसि‍ला शुरू हो गया। भाजपा अल्पसंख्य​क मोर्चा के जिलाध्यक्ष जाहिद ने दुकान खाली कर दी। मंडल अध्यक्ष शकील अहमद ने भी अपनी दुकान खाली कर दी। शकील प‍िछले 45 वर्षों से पुरोला में रह रहे हैं। शकील ने कहा कि मकान मालिक ने दुकान खाली कराने के लिए कहा है। इसलिए दुकान खाली करनी पड़ी। पुरोला में उनका अपना मकान है, इसलिए अधिकांश सामान घर पर रख दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके अलावा तीन दुकानों को खाली करने के लिए मकान मालिक ने नोटिस दिए हैं। इस घटना के बाद से मुस्लिम व्यापारियों की एक भी दुकान अभी तक नहीं खुली है। बीते दिनों में 14 मुस्लिम व्यापारियों ने दुकानें खाली की हैं। इनमें 12 व्यापारियों ने पुरोला पूरी तरह से छोड़ दिया है, जबकि दुकान छोड़ने वाले दो व्यापारी पुरोला में अपने मकान पर रह रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वीडियो में भी देखें समाचार

महापंचायत को रोकने के प्रयास
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के ट्वीट के बाद गरमाये माहौल के बीच 15 जून को बुलाई गई महापंचायत रोकने के लिए जिलाधिकारी सोमवार को पुरोला पहुंचे। दोनों समुदाय को समझाने के बावजूद बात नहीं बनी। उधर, पुरोला मसले पर कुछ मुस्लिम विधायकों ने सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने साफ कहा, किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

औवेसी के बयान ने दी हवा
पुरोला में महापंचायत और समुदाय विशेष के लोगों के पलायन के मामले को सोमवार को औवेसी के ट्वीट ने नई हवा दे दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा-भाजपा सरकार का काम है कि गुनहगारों को जेल भेजे और जल्द अमन कायम हो।15 जून को होने वाली महा पंचायत पर तुरंत रोक लगाई जाए। वहां रह रहे लोगों को सुरक्षा प्रदान की जाए। वहां से पलायन कर गए लोगों को वापस बुलाने का इंतजाम किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ट्रेंड करने लगा सेव उत्तराखंड
ट्वीटर पर यह मामला “सेव उत्तराखंड,” “सेव उत्तराखंड हिंदू,” “सेव उत्तराखंड मुस्लिम” हैशटैग से ट्रेंड करने लगा। सियासत गरमाई तो सरकार भी हरकत में आई। एक ओर जहां पुरोला ब्लॉक के ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष अंकित सिंह रावत ने एसडीएम को ज्ञापन देकर शांतिपूर्ण महापंचायत के प्रति अपना रुख स्पष्ट कर दिया तो दूसरी ओर जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने महापंचायत रोकने की अपील की। प्रधान संगठन ने इससे साफ इंकार कर दिया। देर रात तक डीएम रुहेला और एसपी अर्पण यदुवंशी की कोशिशें जारी थीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भाजपा ने कहा-लव जिहाद, लैंड जिहाद अस्वीकार्य
पुरोला विवाद पर ओवैसी की प्रतिक्रिया प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को नागवार गुजरी। पार्टी ने पलटवार करते हुए कहा, ओवैसी की लव जिहाद व लैंड जिहाद की पैरोकारी अस्वीकार्य है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनबीर सिंह चौहान ने कहा, ओवैसी न तो मुस्लिम समुदाय के स्वीकार्य नेता और न ही उनके हितैषी हैं। नफरत फैलाकर हर जगह वोट बैंक की राजनीति करते हैं। राज्य में डेमोग्राफी चेंज की कोशिसों को किसी भी तरह से सफल नहीं होने दिया जाएगा। किसी को भी कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए, कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। उनके जहरीले बोल देवभूमि के शांत वातावरण को अशांत नहीं कर सकते। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दुकान में तोड़फोड़ का वीडियो वायरल
पुरोला विवाद के बीच वायरल हुआ तोड़फोड़ का वीडियो पुलिस ने जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेज दिया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, यह वीडियो प्रथमदृष्टया बड़कोट का लग रहा है। ऐसे में एफएसल की जांच के बाद ही सत्यता पता चल सकती है। साथ ही आगामी 15 जून को प्रस्तावित महापंचायत की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ. वी मुरुगेशन ने एसपी उत्तरकाशी को निर्देशित किया है। उन्होंने कहा कि जो भी कानून हाथ में लेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुस्लिम संगठन ने भी 18 को बुलायी महापंचायत
राजधानी देहरादून में मुस्लिम समुदाय की महापंचायत 18 जून को पुरोला विवाद के बीच मुस्लिम समुदाय ने देहरादून में 18 जून को महापंचायत का ऐलान किया है। इसमें पर्वतीय इलाकों से मुस्लिम समाज के लोगों के पलायन पर चर्चा की जाएगी। पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद के शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि पर्वतीय इलाकों से समाज के लोगों का पलायन करना दुख की बात है। इसके विरोध में गांधी रोड स्थित पुराने बस स्टैंड के पीछे महापंचायत होगी, जिसमें प्रदेशभर से समाज के लोग प्रतिभाग करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

लव जिहाद, लैंड जिहाद और गोडसे
इन दिनों उत्तराखंड सहित पूरे देशभर में सिर्फ तीन मुद्दे बीजेपी के पास हैं। इनमें एक लव जिहाद, दूसरे लैंड जिहाद और तीसरा मुद्दा अब नाथूराम गोडसे का है। प्रचार किया जा रहा है कि गोडसे देशभक्त था। या कहें कि लोकसभा चुनावों की कुछ इस अंदाज में तैयारी चल रही है। क्योंकि महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी पर बात भूलकर भी नहीं करनी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पहले किया विरोध, फिर मांगी माफी
गोडसे को लेकर बयानों की शुरूआत हुई तो सबसे पहले साध्वी प्रज्ञा का बयान आया था। मालेगांव बम धमाकों के आरोपों में घिरी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था। ये बात 2019 की है। तब बीजेपी ने इस बयान से किनारा किया। वहीं प्रज्ञा ने बयान वापस लेते हुए माफी भी मांगी। तब मोदी ने कहा था कि मैं दिल से माफ नहीं करूंगा। और ऐसा माफ किया कि प्रज्ञा को लोकसभा का टिकट दे दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीजेपी नेता भी बने निशाना
उत्तराखंड में बीजेपी नेता एवं पूर्व विधायक व वर्तमान में नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम की बेटी की शादी मुस्लिम युवक से तय हो जाती है तो धर्म के ठेकेदारों ने उनका इतना विरोध किया कि उन्हें शादी समारोह को ही रद्द करना पड़ा। शादी दोनों परिवारों की सहमति से तय की गई है। फिर इसमें लव जिहाद कहां से आ गया। हांलाकि, तब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा था कि ये उनके परिवार का निजी मामला है। इसमें मैं कुछ नहीं कहूंगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फिर पूर्व सीएम ने उठाया गोडसे का मुद्दा
अब फिर से पुराना मुद्दा उछाला जाने लगा है, प्रज्ञा ठाकुर ने उठाया था। उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यूपी के बलिया में बयान दिया था कि नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, उनकी देशभक्ति पर संदेह नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गांधी जी को मारा वो एक अलग मुद्दा है‌। जहां तक मैंने गोडसे को जाना और पढ़ा है, वह भी एक देशभक्त थे। गांधी जी की जो हत्या हुई, उससे हम सहमत नहीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

त्रिवेंद्र सिंह राहत की आलोचना शुरू हुई, इसी बीच केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने भी गोडसे को बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि अगर गांधी जी के हत्यारे हैं तो गोडसे भारत के सपूत भी हैं, वे भारत में ही जन्मे हैं, औरंगजेब और बाबर की तरह अक्रांता नहीं हैं। जिसको बाबर की औलाद कहलाने में खुशी महसूस होती है। वह कम से कम भारत माता का सच्चा सपूत नहीं हो सकता। उनके इस बयान के बाद कांग्रेस बीजेपी पर हमलावर है। वहीं, केद्रीय रक्षा राज्य मंत्री एवं उत्तराखंड से सांसद अजय भट्ट भी त्रिवेंद्र के बयान का समर्थन कर चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भी पीएम पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पहले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया। अब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उसकी तारीफ की है, लेकिन जिस व्यक्ति ने पहले से चले आ रहे निर्मल भारत अभियान की रीब्रांडिंग स्वच्छ भारत अभियान के रूप में की और महात्मा के चश्मे को उसका लोगो बनाया, वह कुछ नहीं बोलता है। और न ही अपने सहयोगियों को ऐसा बोलने से रोकने के लिए कोई कार्रवाई करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

ऐसे चलती है नफरत की फैक्ट्री
अब देखो नफरत की फैक्ट्री कैसे चलती है। कुछ दिन पहले बुलंदशहर के चार मंदिरों में कुछ मूर्तियां खंडित हुई तो एक चैनल के प्रोग्राम में इसे प्रमुखता से दिखाया। एंकर ब्लैकमेलिंग में तिहाड़ जेल भी जा चुका है। उसने तो संदेह व्यक्त किया गया कि मूर्ति तोड़ने वाले अल्पसंख्यक हैं। बाद में पुलिस ने खुलासा किया तो पकड़े गए आरोपियों में सारे हिंदू ही निकले। इसी तरह कई चैनलों ने फर्जी खबरों को चला दिया। ओडिशा के बालासोर में रेल हादसा हुआ तो उसमें स्टेशन मास्टर भी मुस्लिम खोज निकाला। बाद में खुलासा हुआ कि जो मुस्लिम स्टेशन मास्टर है, वह किसी दूसरे स्टेशन पर तैनात था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गोवंश मामले में हुई थी मुस्लिमों को फंसाने की साजिश
इसी तरह रामनवमी के मौके पर उत्तर प्रदेश के आगरा में गोवंश काटने के मामले में खुलासा हुआ कि मुस्लिम युवकों को फंसाने के लिए हिंदुत्ववादी संगठन के लोगों ने खुद गौहत्या करके साज़िश रची, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी से मामले का खुलासा हो गया। मामला आगरा के एत्माद्दौला थाना क्षेत्र के गौतम नगर का हैं, रामनवमी के दिन माहौल खराब करने के लिए अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने एक गाय काट दी थीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे कई मामले हैं, जहां माहौल खराब करने के लिए एक की चश्में से लोगों को देखा जा रहा है। क्योंकि महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी आदि मुद्दों पर नफरत की आग ज्यादा भारी पड़ जाती है। इसलिए उलझे रहो ऐसे मुद्दों में, जिससे किसी का भला नहीं हो सकता है। सिर्फ लोगों को दंगाई बनाने की दिशा में झोंकने के अलावा। वहीं, उत्तराखंड में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल लव जिहाद के नाम पर एक ही संप्रदाय के लोगों के खिलाफ कार्रवाई का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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