फिर से पैदा हो गए रुग्गा पेलवान के गुर्गे, मन की बात नहीं सुनने पर लगा दिया फाइन, पढ़िए रुग्गा की कहानी
उत्तराखंड में एक बड़ी खबर से आई कि प्रधानमंत्री की मन की बात नहीं सुनने पर स्कूल प्रबंधन से छात्रों पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया। बात जुर्माने की नहीं है। बात हो रही है, जबरन किसी राजनेता को सुनने या सुनाने की। क्योंकि मन की बात के 100वें एपिसोड को सुनने के लिए उत्तराखंड में राज्य सरकार ने स्कूलों में भी फरमान जारी किया था। हालांकि, इसमें जबरन सुनने की शर्त नहीं थी। फिर भी यदि सरकार का फरमान हो तो कौन सी शिक्षण संस्था ऐसी होगी, जो इस पर अमल ना करे। इस खबर को लिखते हुए मुझे अचानक रुग्गा पेलवान (पहलवान) की याद आ गई। जो कि एक नाटक का पात्र था। क्योंकि आजकल भी ऐसा हो रहा है। ऐसे में इस नाटक की प्रासंगिता आज भी नजर आती है। इस नाटक का नाम था-आपके कर कमलों से। ये नाटक भोपाल के किसी लेखक ने लिखा था। लेखक का नाम याद ना आने के कारण क्षमा प्रार्थी हूं। वर्ष 1983 से लेकर करीब दस से पंद्रह साल तक इस नाटक को उत्तराखंड की प्रमुख नुक्कड़ नाट्य संस्था ‘दृष्टि’ इस नाटक का प्रदर्शन नुक्कड़ों में करती थी। पहले हम नाटक की बात करेंगे, फिर मन की बात को जबरन सुनने और सुनाने की। हालांकि, बाद में बताया जा रहा है कि स्कूल प्रबंधन ने नोटिस वापस ले लिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नाटक के बारे में
कहानी शुरू होती है रुग्गा पेलवान के चरित्र से। उसके दो गुर्गों आपस में बात करते हैं कि रुग्गा पेलवान ने बड़ा हाथ मार दिया। पूरे इलाके में उसकी तूती बोलती है। गुर्गे अपने गुरु की महिमा को लेकर बात करते हैं। एक कहता है कि उसने ग्वालन का अपहरण कर लिया। तभी रुग्गा आ जाता है। रुग्गा के साथी कहते हैं आपकी बात कर रहे थे। इस पर वो कहता है कि तुम्हें भी पता चल गया। मथुराप्रसादजी का आफर है, इसलिए पहले पूछा साथियों से बात कर लूं, तभी मैं अपना फैसला करूंगा। रुग्गा पेलवान अनपढ़ है। हत्या और लूट और अपहरण उसका पेशा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कौन है मथुरा प्रसाद
साथी चौंक जाते हैं मथुरा प्रसाद। रुग्गा कहता है कि तुम तो कह रहे थे, हमें सब पता है, क्या पता है। चेले बोलते हैं ग्वालन वाली बात। रुग्गा कहता है कि वो तो पुरानी हो गई। तब वो बताता है कि मथुरा प्रसाद उन्हें राजनीति में आने को कह रहे हैं। चेले कहते हैं कि राजनीति शरीफों का काम है। हम इस पचड़े में क्यों फंसे। रुग्गा कहता है कि मथुरा प्रसाद का कहना है कि आज देश को हमारे जैसे लोगों की जरूरत है। जो हर जगह अड़ और भिड़ सकें। मथुरा प्रसाद एक बड़े नेता हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फिर होती है ट्रैनिंग
रुग्गा की ट्रेनिंग के लिए एक मास्टर रखा जाता है। वह छुरी रखने को मना करता है। रुग्गा बिगड़ता है। इस पर वह कहता है कि बंदूक रख सकते हो, इससे आपका आत्म सम्मान बढ़ेगा। इज्जत रहेगी। साथ ही वह रुग्गा को कुर्ता पजामा पहनने की सलाह देता है। गुंडागर्दी छोड़ने को कहता है, साथ ही कहता है कि चेलों से करा सकते हो। वह उसे शोक सभा या अन्य आयोजन के लिए भाषण देना सिखाता है। फिर फीता काटना, कैंची चलाना, भाषण देना, उद्घाटन करना रुग्गा की दिनचर्या में शामिल हो जाता है। यानि रुग्गा के- कर कमलों से। इसीलिए इस नाटक का नाम भी आपके-कर कमलों से, है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रुग्गा बन जाता है विधायक
रुग्गा पेलवान विधायक बनता है। गुर्गे खूब सरकारी संपदा को लूटते हैं। जंगलों पर आरी चलाते हैं। कोई विरोध करता है तो रिश्वत देते हैं। यदि नहीं मानता तो पिटाई करते हैं। रुग्गा मंत्री फिर मुख्यमंत्री बन जाता है। वह मथुरा प्रसाद को भी पीछे छोड़ देता है। परिवाहन भाड़ा बढ़ाना, महंगाई बढ़ाना, निजीकरण लाना, ये सब रुग्गा की नीतियां थी। वह भाषण देता है, तो लोग रोटी, रोजी मांगते हैं। चेले विरोध करने वालों को पीटते हैं। विरोध करने वालों से जबरन भारत माता की जय बुलवाते हैं। कहते हैं कि राशनकार्ड से नाम कटवाना है क्या। चुपचाप नेताजी को सुनो। खैर आखिर में जनता उठ खड़ी होती है और रुग्गा पेलवान (पहलवान) को सत्ता से उतार देती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब रुग्गा की तर्ज पर जबरन मन की बात
रुग्गा की तर्ज पर ही जबरन मन की बात नहीं सुनने पर उत्तराखंड के देहरादून में जीआरडी निरंजनपुर एकेडमी में भी एक प्रकरण सामने आया। जिस तरह रुग्गा की बात को जबरन सुनाया जाता था, उसी तर्ज पर ऐसा ही नजारा नजर आया। देहरादून में पीएम मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुनने के लिए स्कूल नहीं पहुंचे छात्रों से 100 रुपये फाइन वसूलने का आरोप लगा है। इस संबंध में नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। शिक्षा विभाग ने स्कूल को नोटिस जारी करते हुए तीन दिन में जवाब मांगा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आरिफ खान ने किया खुलासा
आरिफ खान ने बताया कि जीआरडी अकेडमी ने उन बच्चों को 100 रुपये फाइन लाने या फिर मेडिकल प्रमाणपत्र जमा कराने का आदेश जारी किया है, जो रविवार को मन की बात कार्यक्रम के लिए स्कूल नहीं पहुंचे थे। स्कूल प्रबंधन द्वारा इस संबध में स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप में आदेश जारी किए गए हैं। अभिभावकों ने उन्हें इस आदेश का स्क्रीनशॉट भी दिखाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्कूल से मांगा है जवाब
मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि शिकायत का संज्ञान लेते हुए एकेडमी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अगर स्कूल तीन दिन में अपना पक्ष नहीं रखता है तो यह समझा जाएगा कि स्कूल की तरफ से छात्रों से पैसे मांगे गए थे। इसके बाद विभाग कार्रवाई करेगा। शिकायत करने वाली एसोसिएशन से भी सबूत मांगे गए हैं।
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