जी 20 चीफ़ साइंस एडवाइजर्स वर्किंग ग्रुप में विदेशी प्रतिनिधियों का सीएम धामी ने किया स्वागत, पहली बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल जिले के रामनगर में आयोजित 20 चीफ़ साइंस एडवाइजर्स वर्किंग ग्रुप में प्रतिभाग करने आए विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों से भेंट की। मुख्य्मंत्री ने मेहमानों के स्वागत में आयोजित रात्रि भोज में भी प्रतिभाग किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि विश्व की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला हिमालय की गोद में बसा हमारा यह प्रदेश उत्तराखंड, “देवभूमि” के रूप में विख्यात है। क्योंकि यह केदारखंड और मानसखंड मंदिर समूहों तथा बद्रीनाथ धाम जैसे पौराणिक धाम की पवित्र भूमि है। यह हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे आध्यात्मिक केंद्रों तथा योग, आयुर्वेद और प्राणायाम का एक वैश्विक हब हैं। इतना ही नहीं यह प्रदेश सनातन धर्म और संस्कृति जिसे हिंदू धर्म के रूप में भी जाना जाता है, का प्राचीनतम केंद्र भी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी महान वैज्ञानिकों द्वारा एक बेहतर विश्व बनाने के प्रयासों के अंतर्गत ऐसी महान धरती पर किया जा रहा यह चिंतन अवश्य ही संपूर्ण मानवता के लिए हितकारी सिद्ध होगा। -20 की थीम One Earth, One Family, One Future भारतीय संस्कृति की “वसुधैव कुटुंबकम की सोच पर आधारित है। हमारे देश की प्राचीन और महान संस्कृति ने ही सर्वप्रथम “वसुधैव कुटुम्बकम” अर्थात “समस्त विश्व ही एक परिवार है” की अवधारणा समस्त विश्व के समक्ष रखी थी। G-20 की यह विशेष बैठक Chief Science Advisors Roundtable (CSAR) हमारी सनातन संस्कृति की इसी मूल अवधारणा को पुष्चित व पल्लवित करने में सहायक सिद्ध होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे राज्य को G-20 की तीन बैठकों का आयोजन करने का अवसर दिया गया। इस महत्त्वपूर्ण दायित्व को निभाते हुए हम स्वयं को गौरवांवित अनुभव कर रहे हैं, यह सभी उत्तराखंडवासियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। आशा है कि इस राउण्डटेबल में किया गया मंथन, चर्चा व अनुभवों की साझेदारी साइंस और पॉलिसी के बीच के गैप को कम करने में सहायक सिद्ध होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है, क्योंकि यहां विश्व की प्रमुख और उभरती हुई साइंटिफिक पावर जो कि विश्व के लगभग 85 प्रतिशत साइंटिफिक नॉलेज पर अधिकार रखती है, एक ही स्थान पर मौजूद हैं। साइंस एण्ड टेक्नॉलॉजी के ऐसे बहुत से अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दे हैं, जिन पर वैश्विक स्तर पर सरकारों के मध्य बातचीत होनी चाहिए। इसमें ग्लोबल सांइस एण्ड टेक्टनॉलॉजी पॉलिसी व गवनंस से लेकर सांइटिफिक नॉलेज क्रिएशन तथा इसके उपयोग जैसे विषयों को लिया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएम धामी ने कहा कि हमें वास्तव में लॉन्गटर्म विजन के साथ एक इन्कलूसिव ग्लोबल सांइस एडवाइस सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, जो कि इस -20 सीएसएआर की बैठक का एजेण्डा भी है। मुझे प्रसन्नता है कि इस-20 सीएसएआर के एजेंडे के तहत वन हेल्थ को भी लिया गया है। निश्चित ही कोरोना काल के बाद यह सिद्ध हो चुका है कि वैश्विक संक्रमण पर बेहतर नियंत्रण तथा आने वाली महामारियों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए वन हेल्थ का कॉन्सेप्ट वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। वन हैल्थ की यह भावना भविष्य में आने वाली किसी भी समस्या से निपटने में हमारे के लिए एक कवच का कार्य करेगी। आप में से बहुत से विदेशी मेहमान पहली बार देवभूमि उत्तराखंड आए होंगे इसलिए मैं चाहूंगा कि आप अपनी इस यात्रा के दौरान हमारे देश के साथ-साथ हमारे प्रदेश उत्तराखंड को भी जानें और समझें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य उत्तराखंड को विज्ञान, तकनीक और इनोवेशन के क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय स्तर का प्रदेश बनाना है जिससे सामान्य लोगों कावन और अधिक सहज, सरल और समृद्ध हो सके। इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, ब्राजील के उपमंत्री प्रो. मरसिया क्रिस्टिना बरनाड्रेस, उत्तराखंड सरकार के मंत्री, विधायक, भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहाकार अजय कुमार सूद, G-20 देशों के सभी मुख्य वैज्ञानिक सलाहाकार, वैज्ञानिक सलाहाकार एवं प्रमुख वैज्ञानिकगण उपस्थित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जी-20 मुख्य विज्ञान सलाहकार गोलमेज सम्मेलन की पहली बैठक, इन मुद्दों पर चर्चा
जी-20 मुख्य विज्ञान सलाहकार गोलमेज सम्मेलन (जी-20 सीएसएआर) की पहली बैठक रामनगर, उत्तराखंड में आयोजित की गई, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। जी-20 सीएसएआर, भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत एक एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका नेतृत्व भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय कर रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक दिवसीय गोलमेज बैठक में निम्न विषयों पर हुई चर्चा
बेहतर रोग नियंत्रण और महामारी की बेहतर तैयारी के लिए ‘वन हेल्थ’ में अवसर, विशिष्ट वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुंच का विस्तार करने के लिए वैश्विक प्रयासों का समन्वय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) में विविधता, समानता, समावेश और पहुंच की सुविधा तथा समावेशी, सतत और कार्य-उन्मुख वैश्विक विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति संवाद के लिए एक संस्थागत व्यवस्था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रोग नियंत्रण और महामारी की हो तैयैारी
बेहतर रोग नियंत्रण और महामारी की बेहतर तैयारी के लिए ‘वन हेल्थ’ में अवसर” विषय के तहत महामारी को ध्यान में रखते हुए सशक्त, अनुकूल और समय पर कार्रवाई के लिए महामारी से जुड़ी तैयारी की योजना; मनुष्यों, पशुधन और वन्य जीवन के लिए एकीकृत रोग निगरानी तंत्र, वन हेल्थ के रोगों के लिए अनुसंधान एवं विकास का रोडमैप तथा विश्लेषण में निवेश (जैसे रोग मॉडलिंग, एआई/एमएल उपकरण) और डेटा मानक आदि पर चर्चा हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वैज्ञानिक ज्ञान के पहुंच के प्रयासों का हो समन्वय
“विशिष्ट वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुंच का विस्तार करने के वैश्विक प्रयासों का समन्वय” विषय के तहत, निःशुल्क, तत्काल और सार्वभौमिक पहुंच सुविधा; पत्रिकाओं को ग्राहक शुल्क और उनके द्वारा लगाए जाने वाले निबंध प्रसंस्करण शुल्क को कम करना; अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान-भण्डार, अभिलेखागार के साथ राष्ट्रीय ज्ञान-भण्डार के लिए परस्पर संचालित लिंक की स्थापना और सार्वजनिक वित्त पोषित वैज्ञानिक अनुसंधान के ज्ञान आउटपुट को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए खुली पहुंच (ओपन एक्सेस) का कार्यादेश आदि पर चर्चा की गयी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक का तीसरा विषय
तीसरा विषय विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) में विविधता, समानता, समावेश और पहुंच की सुविधा। भाग लेने वाले देशों ने बड़े वैज्ञानिक उद्यम तक कम-प्रतिनिधित्व प्राप्त, कम-विशेषाधिकार प्राप्त, वंचित, अल्पसंख्यक समुदायों के साथ-साथ जनजातीय/मूल समुदायों की पहुंच को सुविधाजनक बनाने के अपने प्रयासों को साझा किया। सत्र में, वैज्ञानिक सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान प्रणाली (टीकेएस) को ज्ञान की औपचारिक प्रणाली में शामिल करना और भाषा विविधता की क्षमता की पहचान करना एवं वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुंच में आने वाली बाधाओं को दूर करना आदि पर भी चर्चा की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चौथे सत्र में संस्थागत व्यवस्था की जरूरत पर जोर
चौथे सत्र में समावेशी, सतत और कार्य-उन्मुख वैश्विक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति संवाद के लिए एक संस्थागत व्यवस्था की आवश्यकता पर चर्चा हुई। इस बात पर सहमति बनी कि वैज्ञानिक सलाहकार, साक्ष्य-संचालित विज्ञान सलाह प्रदान करके नीतिगत विकल्पों को स्वरूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सहयोग तथा संवाद की भावना के साथ, यह मुख्य विज्ञान सलाहकारों की जिम्मेदारी है कि वे अंतर्राष्ट्रीय संवाद में सहयोग करें और इसमें शामिल हों, ताकि सम्पूर्ण वैज्ञानिक उद्यम को प्रभावित करने वाले वैश्विक मुद्दों का समाधान किया जा सके एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी सभी को लाभ प्रदान कर सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अगली बैठक में भी जारी रहेगी चर्चा
चर्चा किए गए विषयों पर विचार-विमर्श, अगस्त 2023 तक जारी रहेंगे, जब अगली बैठक निर्धारित की जाएगी। अगली बैठक में एक विज्ञान नीति विज्ञप्ति भी जारी की जाएगी। इस बैठक के बाद भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय सूद; प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) कार्यालय में वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी और जी-20 सचिवालय में अवर सचिव श्री नमन उपाध्याय ने स्थानीय मीडिया के साथ बातचीत की।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।