शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की कविता-नव दुर्गा भवानी मां
नव दर्गा भवानी मां
पहला रूप हिमालय सुता का
दूजा ब्रह्मचारिणी
तीजा चन्द्रघण्टा मां का
कूष्माण्डा है चौथा
पांचवा स्कन्दमाता
छठा है कात्यायनी
सातवां कालरात्रि रूप मां
महागौरी आठवीं
नवां सिद्धि देने वाली
नव दुर्गा भवानी मां की प्रकृति है
माता रानी तेरा आराधन करते हैं
नवरातों का
नवरूपों का
मां के रूप निराले
अब जीवन का सब भार माता
तेरे ही हवाले
हम कुबुद्धि कुमति माता
भक्ति हम न जाने
तेरी शक्ति तेरा रूप
हम ना सके पहचाने
एक बार सर पर हाथ रख दे माता
जिसके सर मां हाथ हो तेरा
खुल जाता है रिद्धि सिध्दि का खजाना
हे मां कल्याणी
योगमाया शक्ति माता
सुरकण्डा देवी ज्वाल्पा मां
वैष्णो देवी
मां राज राजेश्वरी मां नन्दा देवी
देवों की शक्ति तू ही मां
भक्तों की भक्ति तू मां
दक्षिण की कलकत्ते की काली तू ही मां
भक्त रामकृष्ण परमहंस को दर्शन
देने वाली तू ही मां
करूणामयी दया का भण्डार तू ही मां
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। वह कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां देते रहते हैं।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।