विधानसभा में कांग्रेस विधायकों का निलंबन अलोकतांत्रिक, राज्यपाल का बयान गरिमा के खिलाफः करन माहरा
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के विधायकों के निलम्बन को अलोकतांत्रिक बताते हुए विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी भूषण से विधायकों के निलम्बन को तत्काल वापस लिये जाने की मांग की है। कांग्रेस पार्टी के सभी विधायकों के निलम्बन पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि अलोकतांत्रिक तरीके से विपक्षी दल के सभी विधायकों के निलम्बन की कार्रवाई का उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस पुरजोर विरोध करते हुए इस कार्रवाई की कठोर शब्दों में निन्दा करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सभी मानकों एवं मापदंडो पर कुठाराघात करते हुए अलोकतांत्रिकता का परिचय है। कांग्रेस पार्टी के उन विधायकों को प्रदेश की जनता के हितों की रक्षा के लिए कर्तव्य निर्वहन की जिम्मेदारी जनता ने दी है। उसी के अनुसार वे सरकार को चेताने का काम कर रहे थे। उन्हें विधानसभा से निलंबित कर दिया गया है। यह भाजपा के फासीवादी एवं तानाशाही चरित्र का द्योतक है। इसे लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी दल सहन नहीं करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की सदैव लोकतंत्र में गहरी आस्था रही है तथा पार्टी विधानसभा सदन की कार्रवाई में विश्वास रखती है। इसलिए कांग्रेस पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से जनहित के मुद्दों को सदन के उठाना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी जनहित के मुद्दों को लेकर 13 मार्च को गैरसैण में विधानसभा का घेराव किया। इन्हीं जनहित के मुद्दों को कांग्रेस के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की ओर से विधानसभा सदन में उठाया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक आदेश चौहान ने विशेषाधिकार के तहत जनहित का मामला सदन में उठाया। इसके लिए कांग्रेस पार्टी के सभी विधायकों को सदन से निलम्बित कर दिया गया। चुने हुए जनप्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों से च्युत करना लोकतंत्र के प्रति अपराध है। असहमति के स्वरों को सुनना एवं स्वीकार करना स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सदन लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा का सर्वोच्च मंच है। प्रदेश की आम जनता की आवाज उठाने पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की गई यह कार्रवाई लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश नहीं है। चुने हुए विधायकों को विधानसभा से बाहर करने की यह घटना लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में अंकित की जायेगी। भाजपा ने विपक्षी दल के विधायकों के साथ जिस प्रकार की कार्रवाई की है वह भाजपा के तानाशाही चेहरे को उजागर करती है। भारतीय जनता पार्टी के नेता विपक्ष के विचारों को सुनना नही चाहते हैं तथा विपक्ष की आवाज को हिटलरशाही रवैये से दबाना चाहते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरकार का मुखौटा बन कर बयान नहीं दे सकते हैं राज्यपाल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तराखंड विधानसभा में सत्र के दौरान उत्तराखंड के राज्यपाल ले.ज. (अ.प्रा.) गुरमीत सिंह के अभिभाषण में सरकार के पक्ष में दिये गये बयान को उनके संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ बताया है। उन्होंने राज्यपाल के बयान पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि कहा कि किसी भी राज्य के राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि होते हैं। विधानसभा सत्र के दौरान अपने अभिभाषण के माध्यम से सरकार की नीतियों को सदन में रखना उनका दायित्व है। वे किसी सरकार के पक्ष में मीडिया या प्रेस के माध्यम से अपने पद की गरिमा के खिलाफ जाकर किसी सरकार का मुखौटा बन कर उसके पक्ष में बयान नहीं दे सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के राज्यपाल ने वर्षों से चली आ रही परम्पराओं को तोड़ने का काम किया है। इसके चलते कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने राज्यपाल के इस्तीफे की मांग की है, जो न्यायोचित है। करन माहरा ने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान महामहिम राज्यपाल द्वारा सरकार के मुखौटे के रूप में बयान देना राज्यपाल के संवैधानिक पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कहा जायेगा। उन्होने कहा कि राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है न कि किसी पार्टी विशेष का। उन्हें ऐसी बयानबाजी से दूरी बनानी चाहिए थी।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।