गढ़वाल विश्वविद्यालय के नकारात्मक रवैये से बीएड कॉलेजों में 50 फीसद सीट खाली, प्रवेश का संकटः डॉ. सुनील अग्रवाल

उन्होंने बताया कि इस सत्र में यूजीसी द्वारा नॉर्थईस्ट स्टेट्स के विश्वविद्यालयों के साथ हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों को भी प्रवेश के लिए सीइयूटी (ceut) की बाध्यता से मुक्त रखा गया था। विश्वविद्यालय ने सभी कोर्सों ( b.ed को छोड़कर) में यूजीसी के निर्णय का पालन किया। गढ़वाल विश्वविद्यालय हर वर्ष बीएड प्रवेश के लिए अपनी प्रवेश परीक्षा संपन्न करवाता है। उसके माध्यम से ही छात्रों को संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश किए जाते हैं। इस सत्र में छात्रों और कॉलेजों में यह धारणा रही जब यूजीसी द्वारा गढ़वाल विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेजों को ceut की बाध्यता से मुक्त रखा गया है तो b.ed में भी प्रवेश विश्वविद्यालय के प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही होंगे। वहीं, विश्वविद्यालय द्वारा इस सत्र में अपनी प्रवेश परीक्षा नहीं कराई गई और ceut के माध्यम से प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्रों को ही b.ed में प्रवेश की अनुमति दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह का प्रचार प्रसार व्यापक स्तर पर नहीं किया गया के इस सत्र में b.ed में प्रवेश सिर्फ ceut के माध्यम से ही होंगे इन परिस्थितियों में प्रदेश के अधिकांश छात्र ceut की परीक्षा नहीं दे पाए और गढ़वाल विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा का इंतजार करते रहे विश्वविद्यालय द्वारा प्रवेश हेतु सिर्फ ceut के माध्यम से प्रवेश परीक्षा देने वालों को ही संबद्ध कॉलेजों में भी प्रवेश हेतु निर्देशित किया गया। सीईयूटी के माध्यम से प्रवेश परीक्षा देने वाले गढ़वाल के छात्रों की संख्या कम होने के कारण कॉलेजों में कॉलेजों में 50 फीसद से अधिक सीट खाली हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इस संबंध में विश्वविद्यालय को विभिन्न कॉलेजों की तरफ से और एसोसिएशन की तरफ से यह अनुरोध किया गया कि ceut के संबंध में छात्रों को पूर्ण जानकारी नहीं थी और छात्र गढ़वाल विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा का इंतजार कर रहे थे। यूजीसी द्वारा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों को सीईयूटी की बाध्यता से इस सत्र में मुक्त रखा गया था। इस कारण से छात्र ceut की परीक्षा नहीं दे पाए और कॉलेजों में 50फीसद से ज्यादा सीटें खाली रह गई है। इसलिए या तो विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश परीक्षा करवाए या एनसीटी के नियम के मुताबिक योग्य छात्रों को प्रवेश की अनुमति दें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय से इस संबंध में लगातार संपर्क करने व पत्राचार करने के बावजूद विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया। ना ही प्रवेश की तिथि बढ़ाई गई। सीईयूटी की परीक्षा देने वाले छात्र ही उपलब्ध नहीं हैं, तो प्रवेश की तिथि बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसी स्थिति में छात्र बीएड में प्रवेश तो लेना चाह रहे हैं, लेकिन ceut की परीक्षा ना देने के कारण प्रवेश लेने से वंचित हैं। वहीं, विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा छात्रों और कॉलेजों के हित में कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जा रहा है। इन परिस्थितियों में कॉलेजों का संचालन भी मुश्किल होता जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अखिल भारतीय अनएडिड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों को तो जनता के टैक्स के पैसे से सैलरी मिलती है, लेकिन कॉलेजों का संचालन करने वालों को अपने स्तर पर सारी व्यवस्थाएं करनी होती है। फिर कॉलेजों पर आरोप लगाया जाता है कि वह नियमों का पालन नहीं करते। वर्तमान परिस्थितियों में तो कॉलेजों का संचालन है मुश्किल हो चुका है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।