इस साल अब नहीं बजेगी शहनाई, अगले वर्ष 22 अप्रैल से शुरू होंगे विवाह मुहूर्त, जानिए मुहूर्त की तिथियां, खरमास की कहानी
इस साल शादी के शुभ मुहूर्त का आज यानी 11 अप्रैल को आखरी दिन है। अब शादी के मुहूर्त नहीं हैं। शादी के शुभ मुहूर्त के लिए लोगों को अगले साल 22 अप्रैल तक का इंतजार करना होगा। अगले वर्ष विवाह मुहूर्त 22 अप्रैल से शुरू होंगे। कोरोना महामारी की वजह से मार्च मास में पहले से तय अधिकतर शादियां टल गई थी, जो अब हो रही है। आज शादियों का आखरी दिन है। इसके बाद शादियों का मुहूर्त समाप्त हो रहा है। अब वर्ष 2021 में विवाह मुहूर्त 22 अप्रैल से शुरू होंगे। नववर्ष में खरमास व गुरु और सूर्य ग्रह के अस्त होने आदि कारणों से जनवरी से मार्च और अगस्त से अक्टूबर तक विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे। यानी छह माह विवाह मुहूर्त रहेंगे। और छह माह में विवाह नहीं होंगे। अगले साल 14 दिसंबर को खरमास शुरू होगा। इसके एक माह बाद 15 जनवरी 2022 से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे। यहां डॉ. आचार्य सुशांत राज शादियों के मुहूर्त और खरमास के संबंध में विस्तार से बता रहे हैं।
इस कारण नहीं होते विवाह मुहूर्त
नए साल में 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होगा, जो 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी तक रहेगा। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक मलमास और इसके बाद गुरु व शुक्र ग्रह के अस्त रहने पर विवाह नहीं होंगे। इस दौरान वैवाहिक कार्यक्रम शुभ नहीं माना जाता। 17 जनवरी से 15 फरवरी तक देव गुरु बृहस्पति और 16 फरवरी से 18 अप्रैल तक शुक्र के अस्त होने के कारण कोई विवाह मुहूर्त नहीं होगा। मार्च में होलाष्टक भी रहेगा, जिसमें विवाह नहीं होते हैं। अगस्त से अक्टूबर तक भी खरमास के कारण मुहूर्त नहीं रहेंगे।
सर्व उत्तम मुहूर्त के लिए से नक्षत्र जरूरी
शादी के शुभ मुहूर्त के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु तथा मीन लग्न में से किसी एक का रहना जरूरी है। वहीं रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भाद्र, उत्तरा आषाढ़ में एक नक्षत्र की उपस्थिति अनिवार्य है। सर्व उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा और हस्त नक्षत्र का रहना जरूरी है।
ये भी हैं कारण
15 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में आने से खरमास आरंभ हो जाएगा। जो अगले वर्ष 14 जनवरी तक रहेगा। खरमास लगने के कारण शादी-विवाह नहीं होगा। इसके बाद 19 जनवरी को गुरु तारा अस्त हो जाएंगे जो 16 फरवरी तक रहेंगे। इसके बाद 16 फरवरी से 17 अप्रैल तक शुक्र तारा अस्त होगा। इसके कारण शादी ब्याह बाधित रहेगा। अगले साल 22 अप्रैल से ही शादी विवाह शुरू हो जाएंगे।
मिलेंगे ये दो मौके
गुरु तारा अस्त होने से पहले 18 जनवरी को कुछ पल के लिए शादी का मुहूर्त मान्य कहा गया है। इसी प्रकार बसंत पंचमी के दिन विवाह को भी मान्यता मिली है। इसके अलावा अन्य किसी दिन विवाह का मुहूर्त न होने की बात कही गई है।
5 माह नहीं बजेगी शहनाई
नववर्ष 2021 में विवाह, सगाई और लग्न के कम मुहूर्त देखने को मिल रहे हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार, सबसे कम विवाह मुहूर्त साल के पहले माह जनवरी में है। इसमें केवल 18 जवनरी को ही विवाह का मुहूर्त है। मई 2021 में इस वर्ष विवाह, सगाई और लग्न के सबसे अधिक 16 मुहूर्त देखने को मिल रहे हैं। वर्ष के शुरूआती माह फरवरी और मार्च में विवाह के लिए कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है। इसके अलावा तीन माह अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में भी विवाह का कोई मुहूर्त नहीं है। यदि आपके घर में किसी का विवाह, सगाई होने वाला है, तो आपको नववर्ष 2021 के प्रमुख विवाह मुहूर्तों को देखकर अपने लिए उचित तारीख और समय तय कर लेनी चाहिए।
मुहूर्त देखकर कर लें तैयारी
जनवरी 2021
जनवरी माह में केवल एक दिन ही विवाह का मुहूर्त है। 18 जनवरी को शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा है।
फरवरी 2021
फरवरी में विवाह के लिए एक भी शुभ दिन नहीं है।
मार्च 2021
मार्च में भी विवाह के लिए कोई शुभ दिन नहीं है।
अप्रैल 2021
अप्रैल माह में विवाह के लिए 8 शुभ दिन हैं। इन दिनों में शुभ विवाह संपन्न करा सकते हैं। अप्रैल में विवाह की शुभ तारीखें 22, 24, 25, 26, 27, 28, 29 और 30 हैं।
मई 2021
मई में सबसे अधिक शादियों की तारीखें हैं। इसमें विवाह के लिए 16 शुभ दिन हैं। मई में शुभ विवाह के लिए 1, 2, 7, 8, 9, 13, 14, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 28, 29 और 30 तरीख है।
जून 2021
जून में इस वर्ष कुल 8 शुभ दिन हैं, जिसमें विवाह हो सकते हैं। माह के 3, 4, 5, 16, 20, 22, 23 और 24 तारीख को शुभ विवाह होंगे।
जुलाई 2021
जुलाई में विवाह के लिए केवल 5 शुभ दिन हैं। जुलाई में 1, 2, 7, 13 और 15 तारीख को शादियां हो सकती हैं।
अगस्त 2021
इस माह में विवाह की कोई शुभ तारीख नहीं है।
सितंबर 2021
इस माह में भी विवाह के लिए कोई शुभ दिन नहीं है।
अक्टूबर 2021
अक्टूबर में भी शादी के लिए एक भी शुभ दिन नहीं है।
नवंबर 2021
3 माह के लंबे अंतराल के बाद नवंबर माह में विवाह के लिए 7 शुभ दिन हैं। इस माह की 15, 16, 20, 21, 28, 29 और 30 तारीख को विवाह हो सकता है।
दिसंबर 2021
साल 2021 के आखिरी माह में विवाह के लिए 6 शुभ दिन हैं। दिसंबर में 1, 2, 6, 7, 11 और 13 तारीख को शुभ विवाह हो सकता है।
15 दिसंबर से लगने जा रहा है खरमास
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की 15 दिसंबर से खरमास लगने जा रहा है। 15 दिसंबर को सूर्य का धनु राशि में गोचर के साथ ही खरमास लग जाएगा। इसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है। हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक-शुभ काम नहीं करने चाहिए। यही कारण है कि खरमास के शुरू होने के साथ ही सही प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।
पूजा अर्चना और मंदिर दर्शन के लिए बेहतर समय
जब सूर्य राशि परिवर्तन करते समय गुरु की राशि धनु या मीन में गोचर करते हैं, तभी खरमास लगता है। पौष माह को खरमास का महीना माना गया है। इस माह भले ही शादी-विवाह, घर, मकान लेने जैसे कार्यों पर रोक लग जाती है, लेकिन यह माह भगवान की पूजा-अर्चना और मंदिर दर्शन और तीर्थ यात्रा के लिए बेहतर माना गया है। खरमास में घर में कोई नई खरीददारी करना या कोई मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माना गया है। ऐसे में 15 दिसंबर यानी कि खरमास से पहले ही खरीददारी कर लें। क्योंकि इसके बाद कोई भी शुभ मुहूर्त मकर संक्रांति से पहले नहीं पड़ेगा।
मकर संक्रांति पर समाप्त होगा खरमास
मकर संक्रांति शुरू होने के साथ ही खरमास का समापन होगा। मकर संक्रांति 14 जनवरी 2021 में पड़ रही है। मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है। मकर संक्रांति की हिंदू धर्म में काफी महिमा बताई गई है। क्योंकि मकर संक्रांति की शुरुआत से ही रुके हुए सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे।
खरमास में क्या ना करें
इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।
खरमास में जमीन पर सोना चाहिए, पत्तल पर भोजन करना चाहिए।
इस महीने किसी की निंदा और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
मांस, शहद, चावल का मांड, चौलाई, उड़द, प्याज, लहसुन, नागरमोथा, गाजर, मूली, राई, नशे की चीजें, दाल, तिल का तेल और दूषित अन्न खाने से बचना चाहिए।
खरमास में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रत उद्यापन आदि वर्जित माने जाते हैं।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। कहते हैं एक बार उनके घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक गए थे। भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें यह आभास हुआ कि अगर रथ रूका तो यह सृष्टि भी रुक जाएगी। उधर तालाब के किनारे दो गधे भी मौजूद थे। ऐसे में सूर्य देव को एक उपाय सूझा। उन्होंने घोड़ों को आराम देने के लिए रथ में गधों को जोत लिया। इस स्थिति में सूर्य देव के रथ की गति धीमी हो गई, लेकिन रथ रुका नहीं। इसलिए इस समय सूर्य का तेज कम हो जाता है। इस समय ठंड भी अपने चर्म पर होती है।
खरमास से जुड़े नियम
इस महीने सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि खरमास में दान पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इस महीने गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन खिलाना चाहिए। संभव हो तो उन्हें कंबल बांटें। खरमास में गौ पूजन और गौ संवर्धन करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
खरमास का धार्मिक महत्व
खरमास में धार्मिक यात्रा करने को श्रेष्ठ माना गया है। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की उपासना और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।खरमास के दौरान पवित्र नदी में नित्य स्नान करने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। इस मास में पड़ने वाली एकादशी पर व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
खरमास में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करना चाहिए। खरमास में पीपल पूजन करना चाहिए। जिन लोगों को किसी प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है उन्हें खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करा कर उपहार प्रदान करना चाहिए।
आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शनि मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
मो. 9412950046
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।