देखें वीडियोः रक्षाबंधन के दिन जल संस्थान की पाइप लाइनों ने दिया धोखा, दून बड़े इलाके में जलापूर्ति बाधित, अधिकारी व कर्मचारी नदारद
गर्मियों के मौसम में जहां उत्तराखंड जल संस्थान को वाटर लेवल गिरने से पानी की कमी का सामना करना पड़ता है और पेयजल आपूर्ति लचर हो जाती है। वहीं, बरसात में दूसरी मुसीबत से परेशानी दोगुनी हो जाती है। भारी बारिश और भूस्खलन से पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। ऐसे में दून के कई इलाकों में पानी की समस्या बनी रहती है। रक्षाबंधन के त्योहार के दिन जहां लोगों को ज्यादा पेयजल की जरूरत पड़ती है, वहीं देहरादून में उत्तरी जोन के बड़े हिस्से में इस दिन यानि कि 11 अगस्त को ना तो सुबह की जलापूर्ति हो पाई और ना ही शाम के वक्त। ऐसे में लोगों के त्योहार का मजा भी किरकिरा हो गया। वजह से थी कि ग्लोगी स्रोत ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचने वाली मुख्य पेयजल लाइन ही ध्वस्त हो गई। ठेकेदारों के लोग सुबह से लेकर देर रात तक वेल्डिंग मशीन लेकर पाइप लाइन को जोड़ने में जुटे रहे। खास बात ये है कि इस दौरान जल संस्थान का एक भी जिम्मेदारी अधिकारी या फिर कर्मचारी मौके पर झांकने तक के लिए नहीं पहुंचा। अब बताया जा रहा है कि लाइन को जोड़ दिया गया है। वहीं, कई स्थानों पर पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने और चौक होने के कारण अंतिम सिरे से जुड़े लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं जलापूर्ति के स्रोत
दून में वर्तमान में 279 ट्यूबवेल के साथ ही तीन नदी व झरने के स्रोत हैं, लेकिन ज्यादातर पेयजल आपूर्ति ट्यूबवेल से ही की जाती है। गर्मी बढ़ते ही भूजल स्तर गिर जाता है। ट्यूबवेल की क्षमता भी घटने लगती है। वहीं, अब बरसात के दिनों में पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। इस कारण पेयजल संकट गहराने लगा है। आमतौर पर दून में पेयजल की मांग 242.17 एमएलडी है, जबकि उपलब्धता 228 एमएलडी है। लीकेज और वितरण व्यवस्था की खामियों के कारण वर्षों से यह समस्या बनी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तरी जोन में पेयजल आपूर्ति
देहरादून शहर के उत्तरी भाग के एक बड़े हिस्से में ग्लोगी पावर हाउस के साथ ही मासीफाल स्रोत से जलापूर्ति की जाती है। ये ग्रेविटी वाले स्रोत हैं। यहां से पेयजल लेने के लिए बिजली के पंप की जरूरत नहीं पड़ती है। पानी अपने आप ही ढलान वाले क्षेत्र में पाइप लाइनों में बहता है और एक बड़े क्षेत्र में जलापूर्ति होती है। ग्लोगी स्रोत के पानी के लिए पुरुकुल में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है। वहीं, मासीफाल स्रोत के पानी के लिए शहनशाही आश्रम में ट्रीटमेंट प्लांट है। इन प्लांट के रखरखाव पर भी लाखों रुपये ठेकेदारों के माध्यम से खर्च किए जाते हैं, इसके बावजूद इन दोनों प्लांट से गंदे और मिट्टी युक्त पानी की आपूर्ति होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपर जोन की मुख्य पाइप लाइन हुई क्षतिग्रस्त
अपर जोन की मुख्य पाइप लाइन ग्लोगी पावर हाउस से पुरुकुल ट्रीटमेंट प्लांट तक आती है। इससे देहरादून शहर में पानी की सप्लाई करती है। गुरुवार को ये लाइन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। पेयजल लाइन क्यारकुली भट्टा के पास क्षतिग्रस्त हुई। इस पर ठेकेदारों के कर्मचारी पूरे दिन भर लाइन की मरम्मत में जुटे रहे। रक्षाबंधन के त्योहार के दिन भी एक बड़े इलाके में पेयजल आपूर्ति ठप रही। देर रात तक ही वेल्डिंग मशीन से पाइप लाइनों को जोड़ा जा सका। ऐसे में अब पेयजल आपूर्ति सामान्य होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि जहां पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हुई, वहां विभागीय अधिकारी और कोई कर्मचारी झांकने तक नहीं पहुंचे। सभी रक्षाबंधन त्योहार को मनाने में मशगूल रहे। वहीं उपभोक्ताओं के त्योहार का मजा किरकिरा हो गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन इलाकों में नहीं आया एक बूंद पानी
ग्लोगी स्रोत की पाइप लाइन टूटने के कारण पुरुकुल गांव, भगवंतपुर, गुनियाल गांव, चंद्रोटी, जौहड़ी गांव, मालसी, सिनौला, कुठालवाली, अनारवाला, गुच्चूपानी, नया गांव, विजयपुर हाथी बड़कला, किशनपुर, जाखन, कैनाल रोड, बारीघाट, साकेत कालोनी, आर्यनगर, सौंदावाला, चिड़ौवाली, कंडोली सहित कई इलाकों में जलापूर्ति ठप रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नहीं सुधर रही आर्यनगर क्षेत्र की जलापूर्ति
सामान्य दिनों में ग्रेविटी वाले स्रोत से पानी की आपूर्ति लगातार होती रहती है। इन दिनों स्रोत में पानी की कमी नहीं है। इसके बावजूद आर्यनगर के एक बड़े हिस्से में पिछले 20 दिन से पेयजल आपूर्ति ठप है। जो पानी पाइप लाइनों में आ रहा है, वह ढलान वाले इलाकों में बह जाता है। ऐसे में कुछ ऊंचाई वाले घरों में पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसका कारण जगह जगह पेयजल लाइनों में लीकेज और लाइनों के चौक होने को बताया जा रहा है। हालांकि, जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि लाइनों की ठीक करने के लिए काम निरंतर चल रहा है। आरोप है कि कई स्थानों पर केबिल बिछाने वालों ने लाइनों तो तोड़ दिया है। फिर भी 20 दिन से लाइनों की मरम्मत ना होना भी आश्चर्यजनक है। जब उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ये हाल है तो राज्य के दूरस्थ इलाकों की स्थिति कैसी होगी। इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




