आइटीआइ अनुदेशक राजेंद्र प्रसाद जोशी की कविता-जिंदगी क्या है
आइटीआइ अनुदेशक राजेंद्र प्रसाद जोशी की कविता-जिंदगी क्या है।

जिंदगी क्या है एक पानी का बुलबुला
कब फूट जाए कुछ पता नहीं
या फिर एक हवा का झोंका
कब आए और दूर उड़ा ले जाए कुछ पता नहीं
जिंदगी लगती है कभी कभी रेत सी
कब हाथों से सरक जाए कुछ पता नहीं
या जिंदगी लगती है एक चिराग सी
कब आंधी आए चराग बुझा जाए कुछ पता नहीं
कभी कभी ख्वाब सी भी लगती है ये जिंदगी
कब आंख खुले और ख्वाब बिखर जाए कुछ पता नहीं
कभी साया बनकर हमारे साथ साथ चलती है जिंदगी
कब छांव आकर हमसाया छीन ले कुछ पता नहीं
कभी गुनगुनाती सुबह तो कभी खामोश रात है जिंदगी
कब सूरज को अपने आगोश में ले ले कुछ पता नहीं
कभी पूनम का चांद तो कभी अमावस सी रात है जिंदगी
कब रोशनी अंधकार में बदल जाए कुछ पता नहीं
तो दोस्तों जिंदगी एक राज है, कल नहीं यह आज है
कवि का परिचय
राजेंद्र प्रसाद जोशी
अनुदेशक (Instructor)
राजकीय आइटीआइ महिला देहरादून, उत्तराखंड।