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September 22, 2024

सम्राट पृथ्वीराज पर धामी कैबिनेट ने लगाया जोर, फिर भी सुपर फ्लाप, गढ़वाली फिल्म नजरअंदाज, जानें पृथ्वीराज और गौरी की मौत का सच

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पृथ्वीराज चौहान को लेकर इतिहासकारों में भी दो मत हैं। एक मानते हैं कि हिंदू शासक ने आक्रमणकारी शहाबुद्दीन गौरी (मोहम्मद गौरी) को मारकर युद्ध में हार का बदला लिया। वहीं, दूसरे इतिहासकार इसे गलत बताते हैं और दोनों के बीच मौत का अंतर 14 साल का बताते हैं।

इन दिनों फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार और मानुषी छिल्‍लर स्‍टारर ‘सम्राट पृथ्‍वीराज’ चर्चा में है। चर्चा हो भी क्यों नहीं, क्योंकि फिल्म रिलीज होने से पहले ही अक्षय कुमार ने कहा था कि इतिहास सही नहीं पढ़ाया गया है। वहीं, इस फिल्म को प्रमोट करने के लिए बीजेपी सरकारों ने पूरी ताकत लगाई, लेकिन फिल्म सुपर फ्लाप साबित हुई। पृथ्वीराज चौहान को लेकर इतिहासकारों में भी दो मत हैं। एक मानते हैं कि हिंदू शासक ने आक्रमणकारी शहाबुद्दीन गौरी (मोहम्मद गौरी) को मारकर युद्ध में हार का बदला लिया। वहीं, दूसरे इतिहासकार इसे गलत बताते हैं और दोनों के बीच मौत का अंतर 14 साल का बताते हैं। समाचार में इस तर्क पर चर्चा करने से पहले हम फिल्म को लेकर बीजेपी सरकारों की तरफ से किए गए हर प्रयास पर चर्चा करेंगे।

ऐसे की गई फिल्म प्रमोट
इस फिल्म को यूपी में योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने अभिनेता अक्षय कुमार के साथ देखा था। वहीं, दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह अपनी पत्नी और बेटे जय शाह के साथ फिल्म देखने गए थे। इसके अलावा बीजेपी शासित कई राज्य सरकारों ने फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया। उत्तराखंड में भी फिल्म टैक्स फ्री है। इसके बावजूद फिल्म में कई शो की स्थिति ऐसी हो रही है कि एक या दो दर्शक के चलते शो ही कैंसिल किए जा रहे हैं।

गढ़वाली फिल्म की उपेक्षा, टैक्स फ्री की मांग
उत्तराखंड की ही बात करें तो यहां गढ़वाली फिल्म “खैरी के दिन” देहरादून में सिल्वर सिटी में रिलीज हुई। अखिल गढ़वाल सभा के पदाधिकारियों और सदस्यों ने भी इस फिल्म को देखा। साथ ही सरकार से मांग की है कि उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने वाली इस फिल्म को टैक्स फ्री किया जाए। फिलहाल ये मांग मांग तक सीमित है। सरकार की ओर से अभी तक उत्तराखंड की इस फिल्म को प्रमोट करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। इस फिल्म के निर्माता एवं निर्देशक अशोक चौहान हैं। मुख्य कलाकारों राजेश मालगुडी, गीता उनियाल, पूजा काला आदि हैं।

मुख्यमंत्री ने देखी फिल्म सम्राट पृथ्वीराज
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को राजपुर रोड़ स्थित सिल्वर सिटी मॉल में अपने कैबिनेट सहयोगियों एवं विधायकों के साथ फिल्म सम्राट पृथ्वीराज देखी। उन्होंने कहा कि यह फिल्म सम्राट पृथ्वीराज चौहान की वीरता, शौर्य एवं राष्ट्र धर्म को ही नहीं प्रदर्शित करती है, बल्कि इतिहास के उस कालखण्ड की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक वैभवता को समाज के समक्ष प्रस्तुत करती है। इस फिल्म के माध्यम से अधिक से अधिक लोग पृथ्वीराज चौहान की वीरता से परिचित हो सकें। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा फिल्म को राज्य में टैक्स फ्री किया गया है।
बॉक्स आफिस में लुढ़की फिल्म
अक्षय कुमार और मानुषी छिल्‍लर स्‍टारर ‘सम्राट पृथ्‍वीराज’ की कमाई बॉक्‍स ऑफिस पर हर दिन बद से बदतर होती जा रही है। पहले हफ्ते में जहां यह फिल्‍म 55 करोड़ रुपये भी नहीं कमा पाई, वहीं रिलीज के दूसरे ही शुक्रवार को इसकी कमाई 82 परसेंट गिर गई है। ओपनिंग डे पर 10.75 रुपये कमाने वाली इस फिल्‍म ने 8वें दिन शुक्रवार को महज 1.85 करोड़ रुपये का बिजनस किया है। फिल्‍म की कुल कमाई आठ दिनों में महज 56.60 करोड़ रुपये है। करीब 200 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्‍म के मेकर्स के लिए यह जहां एक बड़ा झटका है, वहीं कंगना रनौत की ‘धाकड़’ के बाद टिकट ख‍िड़की पर ‘सम्राट पृथ्‍वीराज’ बॉलिवुड की नई डिजास्‍टर फिल्‍म साबित हो रही है।

दर्शकों ने नकारा, हर दिन कैंसिल हो रहे शो
डॉ. चंद्र प्रकाश द्व‍िवेदी के डायरेक्‍शन में बनी पृथ्‍वीराज चौहान की बायोपिक को ‘आख‍िरी हिंदू राजा की कहानी’ कहकर भी खूब प्रमोट किया गया। वहीं, दर्शकों ने फिल्‍म को सिरे से खारिज कर दिया है। इस फिल्‍म की हालत का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि हर दिन इसके कई शोज कैंसिल हो रहे हैं। सम्राट पृथ्वीराज देशभर में 3 जून को 3750 स्‍क्रीन्‍स पर रिलीज हुई थी। कोई भी बड़ी फिल्‍म 2000-2500 स्‍क्रीन्‍स पर रिलीज होती है। ऐसे में मेकर्स ने ‘सम्राट पृथ्‍वीराज’ को ग्रैंड रिलीज दी। अब आलम यह है कि पहले वीकेंड के बाद से ही थ‍िएटर्स में ऑक्‍यूपेंसी 6-7 परसेंट हो गई। यानी 100 सीटों में से सिर्फ 6-7 पर दर्शक नजर आए। 8वें दिन तक आते-आते कई सिनेमाघर में जीरो ऑक्‍यूपेंसी हो गई है। यानी कई शोज के एक भी टिकट नहीं बिके। लिहाजा, शोज को कैंसिल करना पड़ रहा है।
इतिहासकारों का तर्क
इतिहासकार इस तथ्य को प्रमाणिकता के साथ स्वीकार करते हैं कि पृथ्वीराज चौहान और शहाबुद्दीन गौरी (मोहम्मद गौरी) के बीच दो जबरदस्त युद्ध हुए थे। पहले युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह हरा दिया था और परास्त हुए गौरी को सेना समेत वापस अफगानिस्तान भागना पड़ा था। इतिहासकारों के मुताबिक दूसरे युद्ध में गौरी कि सेना जीत गई और युद्ध स्थल कुछ दूर पृथ्वीराज चौहान का पीछा कर उन्हें कत्ल कर दिया गया।
पहले और दूसरे युद्ध को लेकर तर्क
प्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब के मुताबिक पृथ्वीराज चौहान और शहाबुद्दीन गौरी (मोहम्मद गौरी) के बीच पहला युद्ध तराइन में 1191 में हुआ। इतिहासकार इरफान हबीब के मुताबिक पहले युद्ध में पृथ्वीराज की विजय हुई और शहाबुद्दीन गौरी पराजित होकर अपने बची कुची सेना समेत अपने मुल्क अफगानिस्तान भाग गया। फारसी में लिखी इतिहास की पुरानी पुस्तकों का हवाला देते हुए इरफान हबीब बताते हैं कि तराइन का दूसरा युद्ध 1 साल बाद 1192 में शहाबुद्दीन गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ। फारसी कि इन किताबों के हवाले से हबीब का कहना है कि दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की शिकस्त हुई। शहाबुद्दीन गौरी की सेना ने पृथ्वीराज चौहान का पीछा किया। इतिहासकार के मुताबिक तत्कालीन पंजाब में पृथ्वीराज चौहान को घेर कर उनको मार दिया गया।
दोनों की मौत में 14 साल का अंतर
इतिहास की पुस्तकों का हवाला देते हुए इरफान हबीब कहते हैं कि पृथ्वीराज चौहान को मारने के उपरांत करीब 14 वर्ष बाद शहाबुद्दीन गौरी की मृत्यु हुई। उन्होंने बताया कि सिंध नदी के किनारे इस्माइलियों द्वारा शहाबुद्दीन गौरी को मार गिराया गया था। इरफान हबीब कहते हैं कि इतिहास की पुस्तकों के मुताबिक तराइन युद्ध के दौरान 1192 में पृथ्वीराज चौहान मारे गए थे। वहीं दूसरी ओर शहाबुद्दीन गौरी को 1206 में सिंधु नदी के किनारे मारा गया। इतिहासकार अपने इस तथ्य के माध्यम से बताते हैं कि पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी दोनों की मृत्यु के बीच कई वर्षों का अंतर था। हालांकि हिंदी साहित्यकार इस तर्क से सहमत नहीं है। हिंदी साहित्यकार पृथ्वीराज रासो का हवाला देते हुए बताते हैं कि दूसरे युद्ध के उपरांत आंखें खोने के बावजूद पृथ्वीराज चौहान अपनी युद्ध कला से मोहम्मद गौरी को मारने में कामयाब रहे थे।
क्या कहता है रासो ग्रंथ
पृथ्वीराज रासो ग्रंथ बताता है कि पहले युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह पराजित किया। हालांकि दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की पराजय हुई। इसके बाद मोहम्मद गौरी उन्हें बंदी बना कर अपने साथ अफगानिस्तान ले गया। अफगानिस्तान में पृथ्वीराज चौहान की आंखें फोड़ दी गई। बावजूद इसके अपने एक सहयोगी चंद्रवरदाई की मदद से पृथ्वीराज चौहान ने तीर चला कर मोहम्मद गौरी को मार दिया, लेकिन इतिहासकार इस बात से असहमत हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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