Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 24, 2025

देखें वीडियोः हौसले को सलाम, अंकिता ने पैरों से लिखकर दी एमए की परीक्षा, आइएएस बनने का है सपना

उत्तराखंड के देहरादून में डीएवी पीजी कॉलेज में परीक्षा कक्ष। एमए इतिहास का पेपर। सभी छात्र और छात्राएं सवालों के जवाब उत्तर पुस्तिका में लिखने में व्यस्त। इनमें एक छात्रा ऐसी भी थी, उसके हौसले को देखकर सभी सलाम करेंगे।

उत्तराखंड के देहरादून में डीएवी पीजी कॉलेज में परीक्षा कक्ष। एमए इतिहास का पेपर। सभी छात्र और छात्राएं सवालों के जवाब उत्तर पुस्तिका में लिखने में व्यस्त। इनमें एक छात्रा ऐसी भी थी, उसके हौसले को देखकर सभी सलाम करेंगे। ये है अंकिता। जो डीएवी पीजी कॉलेज में एमए इतिहास के प्रथम सेमेस्टर की छात्रा हैं। वह उत्तर पुस्तिका में पैरों से सवालों के जवाब लिख रही थी और कक्ष निरीक्षक की निगाह भी बार बार इस बेटी की तरफ जा रही थी। इस छात्रा अंकिता के हौसले जहां बुलंद हैं, वहीं उसके सपने भी बड़े हैं। वह अपनी मेहनत और लगने के बूते आइएएस के साथ ही नेट की तैयारी कर रही हैं। अंकिता का मानना है कि वह अपने सपनों को जरूर साकार करने में कामयाब रहेंगी। यहां बताते हैं हम अंकिता की कहानी।

मूल रूप से चमोली गढ़वाल कर्णप्रयाग ब्लाक के विदोली गांव के निवासी प्रेम सिंह तोपाल की बेटी अंकिता तीन बच्चों में मजौली बेटी है। उससे एक भाई बड़ा और एक छोटा है। प्रेम सिंह तोपाल टिहरी में आइटीआइ में इंस्ट्रक्टर हैं। लोकसाक्ष्य से बातचीत के दौरान अंकिता ने बताया कि जन्म से ही उनके दोनों हाथ कमजोर थे। माता पिता ने उनका इलाज कराया, लेकिन सफलता नहीं मिली। ऐसे में जब वह स्कूल गई तो लिखने में परेशानी होने लगी।
अंकिता ने बताया कि हाथ से लिखने में समय काफी लग रहा था और लिखते समय हाथ में कंपन भी होती थी।
ऐसे में उन्होंने खुद ही पैरों से काम करने का अभ्यास आरंभ किया। इसके लिए उन्हें माता पिता के साथ परिवार के लोगों, नातेदारों ने भी प्रेरित किया। फिर उन्हें पता ही नहीं चला कि वह कब हाथ ही अपेक्षा पैरों से लिखना सीख गई। धीरे धीरे उनकी लिखने की स्पीड भी बढ़ती चली गई।

अंकिता के मुताबिक, उनकी शुरुआती शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल से हुई। पांचवी के बाद देवाल में बालिका जूनियर हाई स्कूल से उन्होंने दसवीं पास की। इसके बाद ऋषिकेश में गर्ल्स विद्या मंदिर ढालवाला एस इंटरमीडिएट की पढ़ाी के बाद एमकेपी महाविद्यालय देहरादून से स्नातक किया। इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएट के लिए देहरादून में डीएपी पीजी कॉलेज में प्रवेश लिया। यहां से वह इतिहास विषय से एमए कर रही हैं।
देहरादून में पढ़ाई के लिए अंकिता अपनी माता के साथ धर्मपुर स्थित सुमननगर में किराए के मकान में रह रही हैं। अंकिता ने बताया कि पढ़ाई के साथ ही वह आइएएस की तैयारी कर रही हैं। साथ ही नेट की भी तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पहले माता पिता ने उनका इलाज कराया, लेकिन फायदा नहीं मिला। चिकित्सकों ने यही बोला कि धीरे धीरे हाथों में कुछ जान आ जाएगी। बस इसी उम्मीद में वह अपने हौसलों की उड़ान भर रही है।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *