अल्पाइन कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी ने कि एक और बड़ी खोज, पेटेंट को मिली सरकार से मान्यता
देहरादून में नंदा की चौकी स्थित अल्पाइन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट ने एक और बड़ी खोज की है। फार्मेसी के क्षेत्र में एक शोध विद्वान डॉ. कपिल कालरा एवं अल्पाइन कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के प्रधानाचार्य की ओर से की गई दवा की खोज के पेटेंट को भारत सरकार से मान्यता मिल गई।

केंद्र सरकार ने इस नई खोज के लिए हिम और एल्पाइन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स, देहरादून के नाम से पेटेंट दर्ज किया है। जो ट्यूबक्यूलोसिस टीबी के रोगियों को ठीक होने में महान चमत्कार लाने जा रहा है। डॉ कपिल कालरा और उनके सहयोगियों द्वारा हासिल किया गया है। इस महान प्रगति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक द्वारा मान्यता दी जा रही है और उनके नाम पर पेटेंट कराया गया है।
डॉक्टर कपिल कालरा ने बताया कि फार्मेसी के क्षेत्र में तपेदिक जैसी घातक बीमारियों का भी अब उपाय है। इसकी दवा रिफाबूटिन पहले कम घुलनशीलता थी और अब 99 फीसद घुलनशीलता है। इस पर उनके दो पेटेंट प्रकाशित किए गे हैं। ताकि रिफाबूटिन दवा की घुलनशीलता और जैवउपलब्धता को बढ़ाने के लिए दो तरीकों का विकास किया जा सके।
अल्पाइन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के चेयरमैन अनिल सैनी, प्रबंध निदेशक भावना सैनी ने इस खोज पर कॉलेज के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इसे दुनिया के लिए बहुत उपयोगी बताया। डॉ एस के चौहान निर्देशक अल्पाइन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट ने कहा कि यह सफलता कई प्रयोगों और लंबी प्रक्रिया के बाद प्राप्त हुई है। चिकित्सा विज्ञान और पेटेंट की प्रगति में निपुण और मान्यता प्राप्त आवश्यक कार्य के लिए डॉ कपिल कालरा और उनकी टीम को सम्मानित किया गया है।