माइक से भी हो सकता है कोरोना, पर हम किसी से कम नहीं, मास्क लगाएं और सुरक्षित रहें
कोरोना को लेकर जहां सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जता रहा है, वहीं, हमारे नेता तो शायद ये भी भूल गए कि कोरोना के कुछ नियम हैं। इसका पालन हर नागरिक का कर्तव्य है। यहां तो नियमों का पालन न करने के लिए ही नेताओं में जैसे प्रतिस्पर्धा सी मची है। शायद वे ये संदेश देना चाहते हैं-हम किसी से कम नहीं। राजनीतिक दलों के नेताओं में यदि नियम और कानूनों के पालन का कंप्टीशन होता तो कितना सुखद होता, लेकिन जैसी तस्वीरें उनकी आ रही हैं उसे देखकर तो आने वाले दिनों की कल्पना करके ही सिहरन सी उठने लगती है। जैसा कि वैज्ञानिक मान रहे, यदि वैसा होता है तो कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलेगा।
ये रहा नजारा
अब बात करते हैं नियमों की। नेताजी प्रेस वार्ता करते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा और खुद का आसन पत्रकारों से दूर लगाया। मुंह से मास्क नीचे सरका दिया। नेताजी के आगे मुश्किल से एक फीट की दूरी पर कई चैनलों के माइक रखे हैं। उनके आगे माइक रखने से पहले शायद ही सारे माइक सैनिटाइज किए गए हों। ये भी किसको पता कि पहले उन माइक को किस-किस से मुंह के निकट लाया गया है। फिर नेताजी पत्रकारों को संबोधित करते हैं। संबोधन में ये तो है नहीं कि खाली नाक से ही सांस ली जाएगी। जब किसी बात पर जोर दिया जाएगा तो फैफड़ों में मुंह से भी हवा भरी जाएगी। ऐसे में यदि माइक ही कोरोना वायरस की चपेट में होगा तो नेताजी की नाक व मुंह के रास्ते संक्रमण का प्रवेश करना तो निश्चित है। खैर भगवान से यही दुआ है कि माइक संक्रमित न रहे हों। ये सीन है उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यालय का। मौका था प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना की पत्रकार वार्ता का।
बोले नेताजी
पत्रकार वार्ता में सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि राजधानी देहरादून की जनता पिछले दो वर्षों से स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर भर में चल रहे बेतरतीब कामों से हल्कान है। काम की कछुवा गति से धीरे धीरे लोगों में आक्रोश पनप रहा है। जो भविष्य में आंदोलन का रूप ले सकता है। उन्होंने कहा कि जब शुरू में देहरादून को केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया तो बीजीपी ने खूब अपनी पीठ स्वयं थपथपाई। आज जब पूरा शहर बेतरतीब खोद दिया गया है तो कोई जन प्रतिनिधि इस बारे में बोलने को तैयार नहीं है।
धस्माना ने कहा की शहर की सबसे महत्वपूर्ण सड़क राजपुर रोड ईसी रोड व सुभाष रॉड पूरी खुदी पड़ी हैं।कई जगह तो महीनों से आधी सड़क बन्द कर खुदाई कर के छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि सीवर की खुदाई पुरानी हो चुकी तकनीक से की जा रही है। जिसके कारण पूरे शहर में गड्ढे धूल मिट्टी से परेशान हैं। स्माना ने कहा कि कोरोना काल में संक्रमित मरीज को सबसे बड़ी परेशानी सांस लेने में होती है और पहला आक्रमण कोरोना इंसान के फेफड़ों पर करता है। आज पूरे शहर की जो हालात है वो करेला ऊपर से नीम चढ़ा वाली हो रखी है। क्योंकि एक तो सरकार कोरोना को नियंत्रित नहीं कर पाई, उल्टा कोरोना में सबसे ज्यादा सहायक प्रदूषण को बढ़ाने का काम सरकार का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट कर रहा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।