विराट कोहली ने तोड़ी चुप्पी, कहा-नेतृत्व के लिए कप्तान रहने की जरूरत नहीं
भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली ने टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ने के बाद पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी। पूर्व भारतीय कप्तान ने अपने फैसले पर पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है।
विराट ने फायराइड चैट से बातचीत के दौरान कहा कि महेंद्र सिंह धोनी भी भारत की कप्तानी छोड़ने के वक्त टीम का हिस्सा थे। कप्तानी से हटने के बाद भी वो टीम के लीडर थे। धोनी ऐसे शख्स थे जिनसे हमने काफी सुझाव लिए। जब मैं भारत का कप्तान बना तो मेरा लक्ष्य टीम का कल्चर चेंज करने का था क्योंकि भारत में कौशल की कोई कमी नहीं है। दुनिया में शायद ही ऐसा कोई देश होगा जिसमें इतने कुशल खिलाड़ी हों।
विराट अब बतौर बल्लेबाज भारतीय टीम की तरफ से खेलेंगे। उन्होंने इस पर कहा कि मुझे लगता है कि आपको इस बात की समझ होनी चाहिए कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं और क्या आप उसे हासिल कर पाए हैं या नहीं? हर चीज की एक समय सीमा होती है और आपको उसके बारे में मालूम रहना चाहिए। एक बल्लेबाज के रूप में आप टीम को ज्यादा दे सकते हैं, इसलिए उसमें गर्व महसूस करें।
उन्होंने आगे कहा कि आगे बढ़ना भी लीडरशिप का ही हिस्सा है। मुझे लगता है कि किसी को हर भूमिका और जिम्मेदारी के लिए तैयार रहना चाहिए। मैंने महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में खेला और फिर कप्तान बना लेकिन मेरी सोच हमेशा एक ही रही। मैंने हमेशा एक कप्तान की तरह सोचा है। विराट ने 68 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की। इसमें टीम इंडिया को 40 में जीत मिली जो किसी भी भारतीय कप्तान की तुलना में अधिक है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।