विश्वविद्यालय विधेयक की विसंगतियों को लेकर मुख्य सचिव से मिले शिक्षक
राजकीय शैक्षिक महासंघ के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव ओमप्रकाश से भेंट कर उत्तराखंड के सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में अनुदान की व्यवस्था पूर्व की भांति करने की मांग की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, 2020 में वर्तमान में लागू उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के कुछ महत्वपूर्ण प्रायोजन शामिल नहीं किए जाने से शिक्षको और कर्मचारियों को वेतन भुगतान की समस्या से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अधिनियम में शिक्षकों के हितों की उपेक्षा की गई है। इस संबंध में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव को ज्ञापन भी प्रेषित किया।
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने अवगत कराया कि 14 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक के निर्णय के अनुरूप उनकी अध्यक्षता में चार प्रमुख सचिवों के साथ बैठक आयोजित की गई। साथ ही संस्तुतियां अगली कैबिनेट की बैठक के लिए प्रेषित कर दी गई। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनंदवर्धन ने भरोसा दिलाया कि अनुदान की व्यवस्था को पूर्व की भांति जारी रखा जाएगा। साथ ही इससे संबंधित आवश्यक संशोधनों को भी भविष्य में करने का उन्होंने आश्वासन दिया। उन्होंने प्रदेश के राजकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रबंधतंत्रों से शीघ्र ही संबंधित विश्वविद्यालयों से संबद्धता के मामले में समुचित निर्णय लेकर उच्च शिक्षा विभाग को भी अवगत कराने को भी कहा है।
सचिव न्याय प्रेम सिंह खिमाल ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उच्च शिक्षा से प्राप्त प्रस्ताव को विधिपूर्वक जांच कर प्रदेश के उच्च शिक्षा के ढांचे को बेहतर बनाने के लिए समुचित सलाह दी जाएगी, जो कि सर्वमान्य और न्यायसंगत होगी। प्रतिनिधिमंडल में महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत सिंह, प्रदेश संरक्षक व पूर्व अध्यक्ष ओपी कुलश्रेष्ठ तथा विशेष सलाहकार डॉ. हरबीर सिंह रंधावा शामिल थे।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।