राज्यकर्मियों को भी एमएसीपी की शर्तों में मिली राहत, कार्मिकों के संगठन ने किया स्वागत
उत्तराखंड में राज्य सरकार के सरकारी सेवकों के लिए लागू एमएसीपी की व्यवस्था में शासन ने कुछ सुधार किया है। इससे राज्य कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। आज शासन ने एसीपी की पूर्व की शर्तों में मंत्रीमंडल की ओर से लिए निर्णय के अनुसार संशोधन किया गया है।इस संशोधन के अनुसार जहां पूर्व में 10 वर्ष की चरित्र पंजिका मे अति उत्तम प्रविष्टि होने के बाद ही किसी भी कार्मिक को एसीपी की सुविधा अनुमन्य की जाती थी, वही अब इस संशोधन के उपरांत 1-1 -2022 से 5 वर्ष की चरित्र पंजिका उत्तम होने के बाद भी कार्मिक को एसीपी की सुविधा अनुमन्य की जाएगी। इस संशोधन से प्रदेश के हजारों कार्मिकों को लाभ पहुंचेगा जिन्हें उनके नियंत्रण अधिकारी द्वारा अति उत्तम की वार्षिक प्रविष्टि नहीं दी जाती है। इस संबंध में सचिव अमित नेगी की ओर से शासनादेश जारी किए गए।पहले व्यवस्था थी कि कि उपयुक्त अपग्रेडेशन उपयुक्ता के आधार पर अनुमय होगा। वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियां उत्तम और इसके पश्चात के स्तरों के लिए अति उत्तम आधार पर वित्तीय स्तरोन्नयन होगा। इससे पहले 10 साल की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियां देखी जाएंगी। आदेश में कहा गया है कि अब निर्णय किया गया है कि वित्तीय स्तरोन्नयन की अनुमनयता के लिए वेतन मैट्रक्स के स्तर 5 के पश्चात वेतन स्तरों के लिए वार्षिक प्रविष्टि का मानक अति उत्तम के स्थान पर उत्तम होगा। साथ ही वित्तीय स्तोरन्नयन की अमुमयता के लिए अर्हकारी सेवा की गणना के लिए एमएसीपी की देयता की तिथि से पीछे पांच वर्षों की उत्तम प्रविष्टियां देखी जाएंगी।
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इन मांगों को लेकर राज्य कर्मचारी लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। उनका संघर्ष का ही नतीजा है कि उनकी लंबित मांग पूरी हुई। शासनादेश जारी होने पर उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने इस शासनादेश का स्वागत किया। साथ ही इसके लिए मुख्य मंत्री, मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन एवं अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन का बहुत-बहुत धन्यवाद व्यक्त किया। समिति के प्रवक्ता अरुण पांडे ने कहा कि अब उम्मीद है कि समिति की मांग के अनुसार 10,16 एवं 26 वर्ष की सेवा पर एसीपी के अंतर्गत पदोन्नत वेतनमान की व्यवस्था भी प्रदेश के कार्मिकों को अनुमन्य की जायेगी।
उन्होंने कहा कि संगठनों का काम सतत संघर्ष करना है और हमारा संघर्ष जारी रहेगा। सरकार कोई भी रहे इससे फर्क नहीं पड़ने वाला है। आचार संहिंता मात्र कुछ समय के लिए ही लगती है। उसके बाद फिर भी सरकार आनी है और हमारा संघर्ष फिर से प्रारंभ किया जाएगा। जब तक सभी मांगे पूरी नहीं हो जाती। ऐसा आश्वासन हम अपने कर्मचारियों को देना चाहते हैं। अपने सदस्यों को देना चाहते हैं।




