कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट ने की निस्तारित, कुलाधिपति स्तर पर होगा फैसला
उत्तराखंड में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का प्रत्यावेदन कुलाधिपति के पास लंबित है। ऐसे में इस आधार पर याचिका निस्तारित की जा रही है।
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले में मामले में सुनवाई की। इससे कुलपति को बड़ी राहत मिली है। देहरादून के राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर कर नियुक्ति को चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि जोशी ने कुलपति के पद के आवेदन पत्र के साथ संलग्न बायोडाटा में गलत जानकारियां दी हैं। कुलपति के पद पर तैनाती के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और यूपी यूनिवर्सिटीज एक्ट में नियम बने हैं। इसके लिए प्रोफेसर के पद पर 10 वर्ष का अनुभव या किसी शोध संस्थान या अकादमिक प्रशासनिक संस्थान में समान पद पर अनुभव निर्धारित किया है।
याचिका में कहा गया था कि प्रो.जोशी ने आवेदन पत्र के साथ संलग्न बायोडाटा में भ्रामक जानकारियां दी हैं। वीसी के पद पर किसी व्यक्ति की तैनाती विवि अनुदान आयोग और यूपी यूनिवर्सिटीज ऐक्ट के अनुपरूप होनी चाहिए। इस पद पर नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत पहले कुलाधिपति योग्य उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करते हैं। इसके बाद एक सर्च कमेटी का गठन किया जाता है। यह सर्च कमेटी योग्य उम्मीदवारों में से तीन अभ्यर्थियों का चयन करती है। बाद में राज्यपाल/कुलाधिपति उन तीन अभ्यर्थियों में से एक को वीसी के रूप में नामित करते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।