जौनसार-बावर में दिवाली के एक दिन बाद जदोई पर्व की रही धूम, चकराता में हुआ सीजन का पहला हिमपात
देहरादून जिले के जौनसार-बावर क्षेत्र में नई दिवाली का त्यौहार धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। दीवाली के एक दिन बाद स्थानीय ग्रामीणों ने परंपरागत जदोई पर्व मनाया। हालांकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हुई बर्फबारी और बारिश ने पर्व की रंगत कुछ फीकी कर दी। बावजूद इसके लोगों ने पंचायती आंगनों में लोक संस्कृति की अनुपम छटा बिखेरी।
बावर के पुरटाड़, निमगा, केराड़, शूनीर, चिल्हाड़, शिलवाड़ा, भंद्रौली, चाजोई, डिमीच, खरोड़ा आदि गांवों में सुबह से लेकर देर रात तक पंचायती आंगनों में हारुल, तांदी नृत्य का लंबा दौर चला। जैसे की मौसम खुला ग्रामीण महिला, पुरुष पंचायती आंगनों में आना शुरु हो गए थे। ग्रामीणों ने ‘मोड़े मोड़ाए केरे मोड़ाए’, ‘रावते री बेटकी बीजा भकाणो मांग, बेटकी ना देंदा जाति रा खसो’ हारुल पर पारंपरिक लोकनृत्य किया। हालांकि मशक, कुनैन, लोहारी, जाड़ी, भरम सहित दो दर्जन से अधिक ऊंचाई वाले गांवों में बर्फवारी के कारण जदोई पर्व की रंगत फीकी रही।

इन गांवों में लोगों ने पारंपरिक पकवान बनाकर घरों के अंदर की पर्व मनाया। स्याणा फतेह सिंह चौहान, कृपाल सिंह, शमशेर सिंह, जवाहर सिंह आदि ने बताया कि घरों के अंदर ही परिवार के सदस्यों ने हारुल, तांदी, जैंता, रासो नृत्य कर जदोई पर्व की खुशियां बांटी। बताया कि जौनसार-बावर क्षेत्र में नई दिवाली भी बूढ़ी दिवाली की तर्ज पर पारंपरिक तौर तरीकों से मनाई जाती है।
मैदानी क्षेत्रों की परंपरा से इतर यहां प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाई जाती है। पटाखों के शोर शराबों के बजाय पंचायती आंगनों ने लोग संस्कृति सामूहिक छटा दिखाई देती है। ग्रामीण बाजार की मिठाई के बजाय घर में बने पारंपरिक पकवान एक दूसरे को उपहार में देकर दीवाली की शुभकामना देते हैं।
चकराता में सीजन का पहला हिमपात
चकराता क्षेत्र की ऊंची पहाड़ियों में सीजन की पहली बर्फबारी कोटी कनसर और कटियान में हुई। इस साल सर्दियों में अभी तक चकराता की पहाड़ियों में हिमपात नहीं हुआ था। रविवार की रात से सोमवार की सुबह तक हुई लगातार बारिश के बीच ऊंची चोटियों में खूब हिमपात हुआ। इससे सर्दी बढ़ गई है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।