मशहूर रंगकर्मी एवं एक्टिंग गुरु चंद्रमोहन बौठियाल को दून में रंगकर्मियों ने दी श्रद्धांजलि, देहरादून से शुरू हुआ था सफर
देहरादून में वातायन संस्था के संस्थापक सदस्य गजेंद्र वर्मा के मुताबिक माजरा निवासी चंद्रमोहन बौठियाल वर्ष 1978 में वातायन संस्था से जुड़े। उन्होंने पहला नाटक-लाश से अपने अभिनय की छाप छोड़ी। इसके बाद उन्होंने निशाचर, पहला विद्रोही, आदमी आजाद है, आदि नाटक में भी दमदार अभियन किया। इसके बाद वह भारतेंदु नाट्य केंद्र लखनऊ गए, जहां उन्होंने दो साल तक नाटक विधा का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उनका चयन राष्ट्रीय नाट्य अकादमी (एनएसडी) में हुआ। वहां से स्नातक होने के बाद उन्होंने मुंबई को अपना कार्य क्षेत्र बनाया।
उन्होंने बताया कि चंद्रमोहन बौठियाल ने एनएसडी में प्रशिक्षण के दौरान देहरादून आकर-कंजूस नाटक का निर्देशन किया। इसके बाद उन्होंने ओएनजीसी में नाटक की वर्कशाप आयोजित की और उनके निर्देशन में नीम हकीम नाटक का मंचन किया गया। आज देहरादून में अखिल गढ़वाल सभा के सभागार में रंगकर्मी चंद्रमोहन बोठियाल के निधन पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इसमे दून के रंगकर्मियों के द्वारा दिवंगत रंगकर्मी साथी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
वर्तमान मे चंद्रमोहन बौठियाल एक्टर्स प्रिपेयर (अनुपम खेर ) के साथ जुड़कर नवोदित कलाकारों को अभिनय की बारीकियां सिखा रहे थे। मुंबई में उनकी पहचान एक्टिंग गुरु के रूप में थी। चंद्रमोहन अपने पीछे अपनी पत्नी निवेदिता बोठियाल और बेटी टुकटुक को छोड़ गए। उनकी पत्नी निवेदिता भी एक असाधारण अभिनेत्री हैं। श्रद्धांजलि देने वालो मे रोशन धस्माना, गजेंद्र वर्मा, रमेश डोबरियाल, प्रदीप घिल्डियाल, अभिषेक मेंदोला, विमला ढौंडियाल, सुनीता चौहान आदि उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।