मायावी अहिरावण ने किया राम और लक्ष्मण का अपहरण, हनुमान ने किया वध, राम के वाण से मारा गया रावण
देहरादून में श्री आदर्श रामलीला सभा राजपुर की ओर से वीरगिरवाली में आयोजित किए जा रहे 72वें रामलीला महोत्सव में मंगलवार 18 अक्टूबर की रात को मेघनाथ वध, अहिरावण वध, रावण वध और भगवान श्रीराम का माता सीता से पुर्नमिलन की लीला दिखाई गई।
आहत रावण ने द्वारा अपने भाई पाताल लोक के राजा अहिरावण को पुकारा। रावण के आह्वान पर पाताल लोक से आये अहिरावण ने छल और कपट के साथ विभीषण का वेश धारण कर सोते हुए राम और लक्ष्मण को मायावी स्वरूप में अपहृत कर लिया। इस प्रकार अपहृत राम और लक्ष्मण को लेकर अहिरावण पाताल लोक पहुंचा। इधर निद्रा से जागने के पश्चात हनुमान ने जब अपने प्रभु राम और लक्ष्मण को नहीं पाया तो उन्होंने विभीषण से प्रभु राम और लक्ष्मण विश्राम के विषय में जानकारी प्राप्त की। संतोषजनक उत्तर न होने पर हनुमान जी के क्रोध में विभीषण को सजा भी देने का मन बनाया। तभी विभीषण ने कहा कि मेरा स्वरूप सिर्फ अहिरावण भर सकता है। वही प्रभु राम और लक्ष्मण को उठाकर पाताल लोक ले गया होगा।
उसका पता जानकर हनुमान सीधे पाताल लोक पहुंचे। जहां उन्होंने एक ही मुस्टिक के प्रहार से अहिरावण को धराशाई कर दिया। इस प्रकार हनुमान ने अहिरावण का वध कर राम और लक्ष्मण के जीवन की रक्षा की। मेघनाथ और अहिरावण के वध के पश्चात रावण के अकेला होने पर वह भारी क्रोध में रामा दल पर टूट पड़ा। जहां राम और रावण का घनघोर युद्ध हुआ। इसी दौरान हनुमान ने रावण से पराक्रम का पैमाना तय करने का निर्णय किया और हनुमान जी और रावण में युद्ध होता है। रावण ने हनुमान जी को मुष्टिका मारी, जिससे हनुमान कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडा। हनुमान को कुछ नहीं हुआ। वहीं हनुमान के प्रहार से रावण धराशाई हो गया।
राम और रावण युद्ध काफी देर तक चला। राम रावण के कई शीश काट कर डालते रहे और रावण के शीश फिर से निकल आते रहे। तभी विभीषण ने आकर राम को बताया कि रावण की नाभी में अमृत है। जिसे सुनकर रावण और को क्रोध आता है वह विभिषण को मारने को दौड़ा। तभी राम ने रावण की नाभी के अमृत को अपने वाण से सुखा दिया। इस प्रकार रावण राम के हाथों मारा गया। अंतिम समय में रावण अपने मन को साफ करते हुए धर्म की ओर चलने का संदेश दिया। राम ने रावण का मन पवित्र होते देख शिष्टाचार का वास्ता देकर लक्ष्मण को रावण के चरणों के पास भेजा। तभी रावण ने कहा कि मैंने अपने भाई को तिरस्कार करके निकाल दिया और तुम राम के भाई होकर उनके साथ थे। क्योंकि राम का भाई राम के साथ था, इसलिए राम की विजय हुई।
रावण ने उपदेश दिया कि कभी लालच, क्रोध, बैर किसी ने न रखो। नीति और ज्ञान के अनुसार राज्य का संचालन करना चाहिए। इस प्रकार रावण ने कहा- राम मैं युद्ध जीत गया हूं। मैं तुम्हारे जीते जी तुम्हारे धाम को जा रहा हूं और वहीं मैंने अपनी लंका में अपने जीते जी तुम्हें नहीं आने दिया। इसके पश्चात हनुमान और लक्ष्मण के साथ सीता ने आकर प्रभु राम को प्रणाम किया। राम ने सीता की अवहेलना की। इससे सीता व्यथीत हो गई। राम ने कहा कि लोक लाज के कारण मुझे सीता की अग्नि परीक्षा लेनी पड़ेगी। इसके बाद राम ने कहा कि हमारी वनवास की अवधि पूर्ण हो गई है। कल हमें वापस आ जाना है। क्योंकि हम भरत को समय पर वापस लौटने के लिए आश्वस्त कर चुके थे।
आज यानी बुधवार की दोपहर शहनशाही आश्रम से ढाकपट्टी राजपुर तक शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें रामलीला से संबंधित झांकियां होंगी। जहां श्रीराम भरत मिलाप की लीला का मंचन होगा। इसके बाद अगले दिन 21 अक्टूबर की रात रामलीला मंचन में राम राज्यभिषेक के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। रामलीला मंचन में संरक्षक जयप्रकाश साहू, प्रधान योगेश अग्रवाल, उपप्रधान संजीव गर्ग, उपप्रधान शिवदत्त अग्रवाल, मंत्री अजय गोयल, कोषाध्यक्ष नरेंद्र अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत और सम्मान किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।