ऊर्जा निगम के कर्मियों को बता रहे मोर्चा पदाधिकारी, समस्याओं को लेकर हैं गंभीर, एमडी को कराया अवगत
ऊर्जा के तीनों निगमों के कर्मचारियों की हड़ताल स्थगित होने पर कर्मचारी नेताओं से नाराज है। उनका कहना है कि बगैर कुछ हासिल किए ही पीछे हटना गलत है।
ऊर्जा निगम के कार्मिकों की पेंशन और भत्तों के मुद्दों को लेकर अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक में विस्तार से चर्चा की गई। इस मौके पर ये बात सामने आई कि पेंशन और भत्तों के संशोधन से कार्मिकों को को नुकसान हो रहा है। तय किया गया कि इन समस्याओं से निगम प्रबंधन को अवगत कराया जाएगा।
मोर्चा नेताओं ने कर्मियों को जानकारी दी कि उज्जवल भवन में आयोजित बैठक में विशाल गुप्ता, प्रमोद, यतिन धीमान ने निगमों की ओर से जारी भत्तों के पुनरीक्षण संबंधी आदेश के मुद्दों पर उठाया। मोर्चा अध्यक्ष इंसारूल हक की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया गया कि इन इस आदेश के जरिये द्विभाषी भत्ता और कंप्यूटर भत्ता समाप्त कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों के कुल भत्तों में कमी आई है। साथ ही पाली भत्ते के 40 प्रतिशत से कम बढ़ने व अन्य भत्तों जैसे आरएलटीए के पुनरीक्षण न किये जाने पर भी चर्चा हुई।
निगम के इस आदेश के बाद भत्तों में आई कमी के मामले को मोर्चा के पदाधिकारियों ने गंभीरता से लिया और इसको शीघ्र प्रबंधन सम्मुख रखने का निर्णय लिया गया। बैठक के बाद ही इस मुद्दे को लेकर मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने यूजेवीएनएल के एमजी से भेंट कर उन्हें कार्मिकों की इस समस्या से अवगत कराया। इस पर साकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन मिला।
गौरतलब है कि बिजली कर्मचारी पुरानी एसीपी व्यवस्था, पुरानी पेंशन बहाली, संविदा कर्मियों के नियमितीकण जैसी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। उन्होंने छह अक्टूबर से हड़ताल की चेतावनी दी थी। वहीं पांच अक्टूबर की शाम बिजली कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से वार्ता हुई। उन्होंने बिजली कर्मियों की मांगों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण निर्णय लेने का आश्वासन दिया। इस पर मोर्चा ने छह अक्टूबर से प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित कर दिया था। इसका निगम कर्मचारियों ने विरोध भी किया था।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।