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July 4, 2025

सीएम के चांदी मुकुट पहनने पर भाजपा ने साधी थी चुप्पी, अब हरीश रावत के माफी मांगने के बाद भी मचा रहे बवाल

इसे कहते हैं राजनीति में  दोहरा चरित्र। जब उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब के दरबार में चांदी का मुकुट पहना और इसे लेकर सिक्ख संगत ने बवाल मचाया तो उत्तराखंड भाजपा ने चुप्पी साधे रखी।

इसे कहते हैं राजनीति में  दोहरा चरित्र। जब उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब के दरबार में चांदी का मुकुट पहना और इसे लेकर सिक्ख संगत ने बवाल मचाया तो उत्तराखंड भाजपा ने चुप्पी साधे रखी। जब पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने पीएम मोदी की तुलना भगवान राम और कृष्ण से की, तब भी भाजपा चुप रही। तब  इस मामले में विपक्षी दल कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया नहीं आई। वहीं, अब पूर्व सीएम हरीश रावत के पंच प्यारे संबंधित पंजाब में दिए गए बयान को लेकर भाजपा हमलावर हो गई है। हरीश रावत के माफी मांगने के बाद भी भाजपा ने उन पर सियासी हमले शुरू कर दिए हैं। वहीं, अपनी बारी में न तो सीएम ने ही इस मामले में कुछ कहा। ना ही माफी जैसी कोई जानकारी मीडिया में आई। वहीं, हरीश रावत के माफी मांगने के बाद भी भाजपा ने इसे लेकर सियासी हमले करने शुरू कर दिए हैं। इसे कहते हैं राजनीति का दोहरा चरित्र। अब हम आपको पिछली घटना की ओर ले चलते हैं, इससे आपको पता चलेगा कि सीएम के गुरुद्वारा में कार्यक्रम के दौरान क्या बवाल मचा था।
सीएम धामी के दौरे के बाद ये हुआ था बवाल
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब में आगमन के दौरान उन्हें चांदी का मुकुट पहनाया गया था। इसे सिख धर्म की परंपराओं के खिलाफ माना गया था। दरबार में सरोपा भेंट करने की परंपरा है। वहीं, सीएम के साथ दरबार तक नृत्य करते हुए सांस्कृतिक दल की बालिकाएं पहुंच गई थी। इस पर सेवादारों ने उन्हें रोका भी था। नृत्य सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सिख समाज में रोष फैल गया था। गुरुघर में मर्यादाओं का उल्लंघन को लेकर लखनऊ तक से समाज के लोग गुरुद्वारा साहिब में एकत्र हो गए थे।


इसके बाद अकाल तख्त की तरफ से जांच कमेटी गठित कर दी गई थी। जांच कमेटी के समक्ष गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सेवा सिंह, महामंत्री धन सिंह, उपाध्यक्ष जसविंदर सिंह गिल व सचिव केहर सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। कमेटी ने गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के संचालन के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच रिपोर्ट अकाल तख्त के जत्थेदार के समक्ष प्रस्तुत की।
सिख पंथ की अदालत श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह के आदेश के अनुसार अध्यक्ष, महासचिव व डेरा कार सेवा प्रमुख अकाल तख्त में पेश हुए। अकाल तख्त साहिब ने जांच के बाद कमेटी की ओर से दिए गए इस्तीफे को नामंजूर करते हुये भूल सुधार करने का मौका दिया दिया। इसके तहत 15 दिनों तक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीतसिंह सिंघसाहिब ने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सरदार सेवा सिंह, प्रधान सरदार घन्ना सिंह, जनरल सकत्तर, बाबा तरसेम सिंह व डेरा कार सेवाकार को 15 दिन तक लगातार गुरुद्वारा साहिब में एक घंटा कथा सुनने, जोड़ा घर में जोड़ो की सेवा, लंगर हाल में लंगर की सेवा करने, प्रसाद भेटा करवाने तथा ग्रंथी साहिबान से अरदास करवा कर क्षमा याचना करने सहित गुरुघर की मर्यादा उल्लंघन करने पर सेवा लगाई है।
हरीश रावत का बयान
पंजाब में कांग्रेस की कलह को सुलझाते सुलझाते उत्तराखंड के पूर्व सीएम एवं पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत भी ऐसा बोल गए, जिसे सिख समुदायक धार्मिक भावनाओं पर ठेस पहुंचाने वाला बता रहा है। जब हरीश रावत बोल रहे थे, तब उनके पीछे खड़े सिद्धू मंद मंद मुस्करा रहे थे। अकाली दल हरीश रावत की तुलनात्मक टिप्पणी से नाराज हो गया। दल की ओर से सिख संगत से माफी मांगने की मांग की जा रही है।
पंजाब कांग्रेस में अंदरूनी कलह के बीच पार्टी प्रभारी हरीश रावत मंगलवार को चंडीगढ़ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू और उनके अधीन चार कार्यकारी अध्यक्ष ‘पंज प्यारे’ की तरह हैं। इस टिप्पणी से रावत विवादों में आ गए हैं। अकाली दल ने इसे धार्मिक अपमान कहा है और आरोप लगाया है कि नवजोत सिंह सिद्धू और उनके कार्यकारी अध्यक्षों की तुलना गुरु गोविंद सिंह द्वारा खालसा में शामिल किए गए “पंज प्यारों” से की है।
हरीश रावत ने मांगी माफी
इस मामले में उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक ही दिन बाद माफी मांग ली। सोशल मीडिया में पोस्ट के जरिये उन्होंने कहा कि वह सिख धर्म के प्रति आदर का भाव रखते हैं। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि- कभी आप आदर व्यक्त करते हुये, कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग कर देते हैं जो आपत्तिजनक होते हैं। मुझसे भी कल अपने माननीय अध्यक्ष व चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई है। मैं देश के इतिहास का विद्यार्थी हूं और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है। मुझसे ये गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। हरीश रावत ने कहा कि मैं प्रायश्चित स्वरूप अपने राज्य के किसी गुरुद्वारे में कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा। मैं सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहा हूँ।
अब भाजपा ने किया हमला
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व उत्तराखंड सिख विकास परिषद के अध्यक्ष बलजीत सोनी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पंजाब प्रभारी हरीश रावत के उस बयान पर जिसमें उन्होंने कांग्रेस के नेताओं की तुलना सिख समुदाय के पंच प्यारों के साथ की है, पर कड़ा विरोध जताया है । उन्होंने कहा कि अभी तो सिख समुदाय 1984 की घटना को पूरी तरह से भुला भी नहीं पाया है। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता द्वारा ऐसा बयान सिख समाज के जख्मों पर नमक का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की प्रवृत्ति हमेशा से सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाने की रही है जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
माफी नहीं प्रायश्चित करने का वक्त: चौहान
उत्तराखंड में भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने पंजाब में पंच प्यारे के संबंध में दिए बयांन को दुर्भाग्यपूर्ण और आपत्तिजनक बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हमेशा से ही धार्मिक भावनाओं को आहत करते रहे हैं और राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए वह तुष्टिकरण में पीछे नहीं रहते। हरीश रावत को उतराखंड में भी अपने अध्यक्ष की भगवान गणेश से तुलना करने पर भी देव भूमि की जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान सोशल मीडिया पर छाए पोस्टर और रावत के द्वारा समय समय पर कांग्रेस अध्यक्ष की भगवान से तुलना करने पर स्पष्ट है कि वह राजनीति के लिए धार्मिक रूप से किसी को भी आहत करने में पीछे नहीं है। (हालांकि पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत भी सीएम बनने के कुछ ही दिन बाद 15 मार्च को हरिद्वार में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना द्वापर में भगवान श्री कृष्ण और त्रेता युग में भगवान राम से कर चुके हैं, ये शायद भाजपा मीडिया प्रभारी को पता नहीं है, या वे जानबूझकर अंजान बन रहे हैं)
चौहान ने कहा कि श्री रावत सभी धर्मो को किसी न किसी रूप में आहत कर रहे हैं तो यह शोध का विषय नहीं है कि वह किसे खुश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की नीति की वजह से ही उत्तराखंड की जनता ने उन्हें नकार दिया और हाल ही में उन्होंने अपनी छवि से उबरने के लिए अन्य दलों के नेताओं के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था। रावत को तुष्टिकरण के लिए भी माफी मांगनी चाहिए। चौहान ने कहा कि रावत को जनता से माफी मांगने के बजाय अब प्रायश्चित्त भी करना चाहिए। क्योंकि अब तक जिस तरह उन्होंने धार्मिक क्षेत्र के अलावा राजनैतिक, सामाजिक क्षेत्र में भी जन भावनाओं को आहत किया है। अब उनके लिए राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाओं को छोड़कर यही विकल्प है। (हालांकि हरीश रावत बोल चुके हैं कि प्रायश्चित के लिए वह गुरुद्वारा में झाड़ू लगाएंगे) 

पढ़ें: पूर्व सीएम हरीश रावत के बयान पर बवाल, सिद्धू मुस्कराए, अकाली दल नाराज, मांगी माफी, गुरुद्वारा में लगाएंगे झाड़ू

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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