उत्तराखंड की महिला चिकित्सक डॉ. सुजाता संजय का एलानः राष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों का किया जायेगा निशुल्क उपचार
टोकियो ओलम्पिक खेलों में भारत का विश्व में मान सम्मान बढ़ाने वाली खिलाड़ियों के सम्मान में अब उत्तराखंड की विख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता संजय भी आगे आई है। उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों का निःशुल्क उपचार और परामर्श करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि खेल एवं स्वास्थ्य का विशेष संगम है। यदि खिलाड़ी स्वस्थ होगा तो वह बेहतर प्रदर्शन कर सकेगा। चूंकि देश का सम्मान बढ़ाने में खिलाड़ियों की अहम भूमिका होती है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने पर ही देश का विश्व भर में नाम होता है। डॉ. सुजाता संजय के समाज के प्रति निःस्वार्थ भाव से सेवा करने पर इन्हें 100 वूमेन अचीवर्स ऑफ इंडिया अवार्ड से भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणर्व मुखर्जी की ओर से सम्मानित किया जा चुका है।
टोक्यो ओलंपिक में भारत का सात मेडल के साथ ऐतिहासिक प्रदर्शन रहा। भारत के खाते में एक गोल्ड, 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल आए है। महिला खिलाड़ियों में वेटलिफ्टर मीराबाई चानू। बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु, मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने बेहतर प्रदर्शन किया। महिला खिलाड़ियों के इस प्रदर्शन पर डॉ. सुजाता संजय की घोषणा उनके प्रदर्शन के लिए सम्मान है। संजय मैटरनिटी सेन्टर जाखन में स्त्री एंव प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता संजय ने कहा कि भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ियों ने मैचों में दमखम, तकनीक, वैज्ञानिक सूझबूझ के साथ अपने खेल का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि भले ही पदक नहीं ला पाए, लेकिन इन्होंने अपने खेल के बल पर पूरे देश को एक करने का काम किया है।
डॉ. सुजाता संजय का मानना है कि हमारे देश के खिलाड़ी किसी संकोच और निःस्वार्थ भावना खेलों में पदक जीतने की कोशिश कर रहें है तो ये हमारा भी फर्ज बनता है कि हम उनके के स्वाथ्य की देखभाल सुनिश्चित करें, क्योंकि एक स्वस्थ महिला ही एक स्वास्थ समाज का निमार्ण कर सकती है। हम अपने देश के खिलाड़ियों के हमेशा ऋणी रहे है और यह एक छोटा प्रयास है।
सबसे ज्यादा ये रहती है महिला खिलाड़ियों की समस्या
उन्होंने कहा कि लड़कियों के लिए इस समाज में ज्यादा चुनौती है। जो चुनौती उनके लिए सबसे बड़ी और अनुपलब्धता है वह है मासिक धर्म। महिला खिलाड़ियों के लिए मासिक धर्म के दौरान मैच या रियाज दोनों के लिए ही मुश्किल बढ़ जाती है। इन दिनों 70 प्रतिशत महिला खिलाड़ी मासिक धर्म के दौरान परेशान रहती हैं। सायकोलॉजी की बात करें तो उनके मन में इसे लेकर डर रहता है। बॉडी में एनर्जी लेवल कम हो जाता है। वह मेहनत नहीं कर पाती। मन हॉर्मोन का बैलेंस बिगाड़ता है। ब्लड लॉस होने से कमजोरी महसूस होती है। यही वजह है कि वे दौड़ नहीं पातीं। अगर मासिक धर्म के दौरान कोई कॉम्पीटिशन आ जाए तो समझो सारी मेहनत बर्बाद। वह कितने ही फॉर्म में हों उनका कॉन्फिडेंस लेवल कम हो जाता है। अपने टारगेट ही पूरे नहीं कर पातीं। मेरे मुताबिक महिलाओं के लिए स्पोर्ट्स में ये सबसे बड़ी समस्या है।
डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि हर क्षेत्र में आज लड़कियों के कदम आसमान की बुलंदियों को छू रहे हैं। लोगों को बेटे और बेटियों में फर्क नहीं करना चाहिए, बल्कि जिस तरह समाज में बेटों को जो अधिकार दिए गए हैं, उसी तरह से बेटियों को भी अधिकार दिये जाने चाहिए। डॉ. सुजाता संजय ने बताया है कि निःशुल्क परामर्श पाने के लिये महिला खिलाड़ियों को सिर्फ अपना कार्ड लाना होगा।