नेता जुटा रहे हैं भीड़, मास्क हुए गायब, तीसरी लहर की कर लो तैयारी, कहीं लापरवाही न पड़ जाए भारी, पूर्व सीएम के ये सुझाव
इन दिनों की स्थिति
उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर दम तोड़ने लगी है। कोरोना के नए संक्रमितों की संख्या पिछले कई दिनों से 50 से कम है। फिलहाल दो दिन से तो संख्या लगभग स्थिर है। शुक्रवार 13 अगस्त की शाम स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 24 घंटे में प्रदेश में कोरोना के 27 नए संक्रमित मिले। इस अवधि में एक की मौत हुई। वहीं, पूरे देश की बात करें तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शनिवार 14 अगस्त की सुबह जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोनावायरस के 38667 नए मामले सामने आए हैं। इस अवधि में 478 लोगों की इस महामारी से मौत भी हुई है।
उत्तराखंड में नियमों की स्थिति
उत्तराखंड में तो ऐसा लग रहा है कि जैसे कोरोना समाप्त हो चुका है। आगाह तो राजनीतिक दलों के लोग भी कर रहे हैं, सिर्फ भाषणों में। सार्वजनिक कार्यक्रमों में लोगों के साथ ही नेताओं के चेहरों से मास्क गायब हो रहे हैं। बाजारों में भीड़ उमड़ रही है। पर्यटक स्थलों में भी कोई नियंत्रण नहीं है। नवीं से लेकर 12वीं तक के स्कूल तो खोल दिए गए, लेकिन अभिभावकों को चिंता ज्यादा है। कई स्कूलों में दो तीन हजार छात्र संख्या के बावजूद आफलाइन क्लास में सिर्फ दस पंद्रह बच्चे ही पहुंच रहे हैं। यदि किसी दिन टेस्ट होता है तो विद्यार्थियों की संख्या शून्य हो रही है। शायद बच्चों को घर में किताबें खोलकर टेस्ट देना ज्यादा सुविधाजनक विकल्प नजर आ रहा है।
नियम तो कहते हैं कि दो या इससे अधिक लोग जब एक साथ हों तो मास्क जरूर लगाएं। किसी वस्तु या व्यक्ति को स्पर्श करने के बाद हाथों को साबुन से धोएं या सैनिटाइजर से साफ करें। नाक व मुंह को मास्क से ढका जाए। अब यदि वास्तविकता पर जाएं तो नेताओं की भीड़ में न तो नेता मास्क में नजर आ रहे हैं और न ही उसके समर्थक। सीएम, मंत्री से लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ताओं के अब मास्क हट चुके हैं। इतना ही नहीं चिकित्सक मास्क लगाने की सलाह देते हैं, लेकिन यदि किसी अस्पताल या फिर ऐसे कार्यक्रम की फोटो देखी जाए, जहां चिकित्सक उपस्थित हैं, तो वे भी फोटो खिंचवाने के लिए मास्क से परहेज कर रहे हैं। लोकार्पण, शिलान्यास, जनसभाओं, पार्टी बैठकों में तो मास्क नाम का शब्द भी गायब हो चुका है। सामाजिक, धार्मिक संगठनों के साथ ही पत्रकारों की भी ऐसी ही स्थिति है। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर की रोकथाम करना बेमानी साबित होगा।
हरीश रावत ने जताई चिंता
हांलाकि, कांग्रेस के कार्यक्रमों में भी नेताओं के मास्क गायब हैं। इस पर बड़े नेताओं का भी नियंत्रण नहीं है। ऐसे में यदि नेताओं की ओर से अपील की जाए तो कुछ कम ही हजम होती है। अब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट डाली। इसमें सरकार पर तीसरी लहर की तैयारी न करने के आरोप लगाए, वहीं लोगों को भी जागरूक करने का प्रयास किया।
उन्होंने पोस्ट में लिखा कि-कोरोना की तीसरी लहर की बात वैज्ञानिक भी कह रहे हैं, विशेषज्ञ भी कह रहे हैं, प्रशासक भी कह रहे हैं, मगर न दिल्ली में, न उत्तराखंड में उससे बचाव के उपाय क्या होंगे, उस पर कोई काम होता दिखाई नहीं दे रहा है। केरल के अंदर संक्रमण बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। कर्नाटक में भी स्थिति खराब है। ऐसा लग रहा है जैसे तीसरी लहर कभी भी दस्तक दे सकती है। मगर राज्य सरकार को खतरे का अहसास होते हुये भी खतरे से निपटने के प्रबंध करते हुये हम देख नहीं रहे हैं।
फोटोः ये है अनुशासन, जिस परेड के दौरान पूरी ताकत लगती है, दम फूलने लगता है, वहीं मसूरी में आइटीबीपी के ये जवान मास्क में नजर आए। इनसे हमारे नेता भी सबक ले लेते।
उन्होंने आगे लिखा कि-उत्तराखंड जैसे राज्यों में तो नागरिकों की सचेतता व सचेष्टता ही सर्वाधिक प्रभावी बचाव है। हमने पिछली बार लोगों से आग्रह किया था कि self-imposed कर्फ्यू आप अपने परिवार व अपने ऊपर स्वयं प्रतिबंध लगाइए और कम से कम बाजारों में जाइए। इस बार भी मास्क, एक दूसरे से दूरी और इस तरीके के उपाय ताकि भीड़भाड़ कम हो उसके लिए प्रचार-प्रसार होना आवश्यक है। मैं भी उसी कड़ी में ये ट्वीट आप सबकी सेवा में पोस्ट/साझा कर रहा हूं।
फोटोः फोटो खिंचवाने के फेर में उत्तराखंड के मुखिया सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी न तो मास्क लगाया और न ही शारीरिक दूरी का ख्याल रखा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।