उत्तराखंड के प्रसिद्ध शायर हरजीत और चित्रकार अवधेश की याद में धाद ने पौधे रोपे
सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था धाद की ओर से हरेला घी संग्रांद पर्व के उपलक्ष्य में चल रहे अभियान के तहत मालदेवता स्थित स्मृति वन में देहरादून के प्रसिद्ध शायर हरजीत सिंह और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकार और कवि अवधेश कुमार की याद में गुलमोहर और अमलताश का पौधा रोपा गया। इस मौके पर दोनों साहित्यकारों की यादों को भी ताजा किया गया।
प्रसिद्ध कवि राजेश सकलानी ने दोनों साहित्यकारों को नमन करते हुए कहा कि दून के साहित्यिक क्षेत्र में उनका अहम योगदान रहा। कोई भी साहित्यिक कार्यक्रम हरजीत या अवधेश के बिना आधूरा रहता था। शायर प्रेम साहिल ने हरजीत के आखिरी दिनों की याद ताजा करते हुए उन्हें पर्यावरण के लिए समर्पित बताया। हरजीत का एक शेर ‘हरी ज़मीन पे तू ने इमारतें बो दीं। मिलेगी ताज़ा हवा तुझ को पत्थरों में कहाँ।।’ तो आज दून की वादियों में फैल रहे प्रदूषण और चारों तरफ उग रहे कंक्रीट के जंगल को लेकर उकी फिक्र को बयान करता है।
साहित्यकार शशिभूषण बडोनी ने भी हरजीत की ग़ज़लों को सामयिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। धाद के केंद्रीय अध्यक्ष लोकेश नवानी ने अवधेश कुमार की याद को ताजा करते हुए कहा कि तमाम बड़ी पत्रिकाओं के लिए वह कोलाज बनाते थे। बंगाली स्वीट शाप और कुमार स्वीट शाप के मालिक तो अवधेश से अपने मिठाई के डिब्बे तक डिजाइन कराते थे। इस मौके पर साहित्यकार कल्पना बहुगुणा, मंजू काला और धाद के केंद्रीय महासचिव तन्मय ममगाईं ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन दर्द गढ़वाली ने किया।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।