धस्माना की कोविड-19 शहीद श्रद्धाजंलि यात्रा का तीसरा दिवस, दिल दहलाने वाली कहानी, उनकी ही जुबानी

फोटोः शोक संतप्त दिवंगत विजय जोशी की माता जी को सांत्वना देते सूर्यकांत धस्माना
कोरोना की दूसरी लहर में जान गंवा चुके लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना की कोविड 19 शहीद श्रद्धांजलि यात्रा जारी है। वह मृतकों के परिजनों से मिल रहे हैं। उन्हें ढाढस बंधा रहे हैं। साथ ही जरूरतमंद परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दे रहे हैं। आज उनकी यात्रा की तीसरा दिन था। यात्रा का वृतांत आप धस्माना की जुबानी ही जानिए जो इस प्रकार है-
आज जब मेरी कोविड19 शहीद श्राद्धाजंलि यात्रा कांवली क्षेत्र के द्रोणपुरी वार्ड में काली मंदिर कालौनी पहुंची तो एक ही गली में पांच घरों में गया। उन परिवारों से मिलने जिन्होंने इस कोरोना काल में अपनों को खोया। बैंक अधिकारी रहे विजय जोशी की गमजदा माता जी से विजय भाई की बीमारी और फिर उनकी मृत्यु की दुखभरी दास्तान सुन कर बाहर निकला।
विजय की माता के नहीं थम रहे थे आंसू
विजय जोशी की माता जी के तो आंसू ही नहीं रुक रहे थे। विजय की बात करते करते रोते हुए कहने लगी कि सूर्यकांत हमें तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अब नहीं है। 26 अप्रैल को अरिहंत में भर्ती हुआ। 30 अप्रैल को फिर हम को छोड़ गया।
फोटोः हरिश्चंद्र नैनवाल ने सगे साले के अंतिम दर्शन भी नहीं किये, पत्नी चार साल से बिस्तर पर कौमा में है। खुद वे बीमार हो गए थे।
चार साल से बेड पर पड़ी है महिला, साले की भी मौत
इसी बीच हरिश्चंद्र नैनवाल जी ने आवाज लगा कर बुला लिया अपने घर। मैंने हाल चाल पूछा तो हाथ पकड़ कर ड्राइंग रूम से अपने बैड रूम में ले गए और सामने बिस्तर पर लेटी अपनी पत्नी को देखकर बोले कि पूरे चार साल हो गए ये इसी तरह लेटी है। खाना पीना ट्यूब से और बाकी सब कुछ यहीं। बगल में सोता हूँ और अब तो कहीं आ जा नहीं सकता। बीच में बुखार और खांसी जुखाम भी हो गया। तभी खबर मिली कि सगा साला जो राजभवन में था समीक्षा अधिकारी प्रकाश मैठाणी वो भी कोरोना से चल बसा। वे बहुत दुखी हो कर बोले मैं उसके अंतिम दर्शन भी नहीं कर सका।
एम्स ले गए, लौट कर नहीं आए
कुलदीप पयाल की धर्मपत्नी बोली कि पयाल जी अभी कुछ समय पहले ही तो रिटायर हुए थे। अचानक संक्रमित हुए तो एम्स ले गए और फिर आये ही नहीं। वे बोली कभी कल्पना भी नहीं कि थी कि हम ऐसे दुख की घड़ी में इंसानों को देखने और बात करने के लिए भी तरस जाएंगे। कई दिन हम मां बेटे ने ऐसे ही एकांत में गुजारे।
फोटोः दिवंगत दिनेश पांडेय के सुपुत्र को सांत्वना देने उनके घर पहुंचे सूर्यकांत धस्माना
मकान का जीर्णोद्धार कराया, लेकिन नहीं भोग पाए सुख
श्री दिनेश पांडे जी ने बड़े शौक से अभी हाल ही में मकान का जीर्णोद्धार कराया था। लेकिन अचानक 26 अप्रैल को तबियत बिगड़ी और ऑक्सीजन लैवल एक दम गिरने लगा। अस्पताल ले जाने की तैयारी की, किन्तु कहीं भी बेड व आईसीयू नहीं मिल रहा था। बड़ी मुश्किल से केशव अस्पताल में बैड मिला। उनके बेटे शिवांशु ने बताया जो बंगलौर में आईटी सेक्टर में काम करते हैं। आजकल वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लग रहा था कि वे रिकवर कर जाएंगे, लेकिन 1 मई को वे चल बसे। शिवांशु के घर हल्द्वानी से आई उनकी मौसी ने कहा कि वे अपने जीजा के अंतिम दर्शन के लिए उस वक्त नहीं आ पायीं। इसलिए अब आईं हैं बहन व बेटे से मिलने। मैं आज कालीमंदिर में ही दिवंगत जीवन भंडारी व शास्त्रीनगर में दिवंगत दीपक के घर भी गया जो इसी कोविड काल में चल बसे। मेरी इस यात्रा का सिलसिला जारी है।
फोटोः दिवंगत जीवन भंडारी की धर्मपत्नी को ढाढस बंधाते सूर्यकांत धस्माना।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।