ग्राफिक एरा में सेंसर फैब्रिकेशन पर एफडीपी में दी रोचक जानकारी, कंचे डालते ही साफ हो जाता है पानी
सीमा पर शुद्ध पेयजल ना मिलने की सूरत में भारतीय जवान अब अपनी जेब में रखे सेंसर युक्त कंचे के उपयोग से तुरन्त गंदे पानी को शुद्ध करके उसे पी सकते हैं।

सेंसर फैब्रिकेशन एंड इट्स एफिलिएशन इन आईओटी विषय पर आयोजित इस पांच दिवसीय एफडीपी के आखरी दिन डीआरडीओ के डायरेक्टर ग्रेड सांइसटिस्ट प्रो. वीके जैन ने 200 से ज्यादा प्रतिभागियों को वीवी डिटेक्टर सेंसर के वॉटर ट्रीटमेंट, मिसाइल एफिलिएटर, बॉयोमेडिकल, फूड इंस्पेक्शन, अर्ली मिसाइल प्लम डिटेक्शन, टू कॅलर डिटेक्शन, बर्न टाईम एसेसमेण्ट, ड्रग स्क्रिनिंग और ओजोन डिटेक्शन जैसे क्षेत्रों में बढ़ रहे उपयोग के बारे में बताया।
प्रो. जैन ने कहा कि डीआरडीओ भारतीय सेना के लिए सिल्वर एटैच्ड पोरस कंक्रिट पेब्बल
सेंसर डिवाइस बना चुका है। इस का उपयोग जवान गंदे पानी का तुरन्त पीने योग्य बनाने के लिए करते हैं। उन्होंने मेनहोल्स में उपयोगॉ किए जाने वाले टाक्सिन गैस डिटेक्टर सेंसर, रेन जनरेटेड पॉवर सिस्टम सेंसर, ह्यूमिडीटी जनरेटेड पॉवर सेंसर और एग्री वोल्टिक सेंसर के
बारे में भी बताया। दूसरे सत्र में डीटीयू, दिल्ली की प्रोफेसर डा. ऋशु ने एमओएसएफईटी टेक्नोलॉजीस के बारे में जानकारी दी।
एआईसीटीई ट्रेनिंग एण्ड लर्निंग (अटल) एकेडमी के सौजन्य से आयोजित इस एफडीपी में नेशनल फिजिक्स लैबोट्री (एनपीएल) के प्रो. बीडी मलहोत्रा, डा. आर भट्टाचार्या, सीएसआइआर, सीईईआरआई पिलानी के डा. अवनीश भादोरिया सहित कई विशेषज्ञों के वर्चुअल सेशन आयोजित किए गए। ग्राफिक एरा डीम्ड युनिवर्सिटी के प्रो. एचएन नागाराजा, डिपार्टमेण्ट ऑफ इलैक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. इरफान-उल-हक और डा. पंवार कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।