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November 12, 2024

राफेल सौदे डील को लेकर फ्रांस में जांच शुरू, भारत में कांग्रेस हुई मोदी सरकार पर हमलावर

राफेल फाइटर प्लेन के सौदे में डील पर भ्रष्टाचार के आरोपों का जिन्न फिर बोतल से बाहर निकलता नजर आ रहा है। इस सौदे की जांच के लिए फ्रांस में एक जज की नियुक्ति की गई है।

राफेल फाइटर प्लेन के सौदे में डील पर भ्रष्टाचार के आरोपों का जिन्न फिर बोतल से बाहर निकलता नजर आ रहा है। इस सौदे की जांच के लिए फ्रांस में एक जज की नियुक्ति की गई है। फ्रांस की पब्लिक प्रॉसिक्यूशन सर्विस (PNF) के मुताबिक मजिस्ट्रेट ने जांच शुरू कर दी है। सौदे में भ्रष्टाचार के साथ ही पक्षपात के आरोपों की भी जांच की जाएगी।
राफेल डील की फ्रांस में जांच की बात सामने आने के बाद भारत में कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर किया। साथ ही मामले में संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि यह प्रथम दृष्टि में भ्रष्टाचार का आरोप है।
सुरजेवाला ने कहा कि फ्रांस में प्रथम दृष्या भ्रष्टाचार के आरोप सामने आ गए हैं तो सरकार जेपीसी की जांच क्यों नहीं करवाती। यदि दाल में कुछ काला नहीं है तो फिर जांच से सरकार को डर किस बात का डर है। यदि दाल में कुछ काला है कि तो अलग बात है। सुरजेवाला ने कहा कि यह राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा मामला है, इसलिए जेपीसी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा की पारदर्रिशता, जवाबदेही, भ्रष्टचार मुक्त शासन देना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
कांग्रेस का आरोप है कि इस सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है और 526 करोड़ रुपये के एक विमान की कीमत 1670 करोड़ रुपये अदा की गई। उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। भाजपा और सरकार की तरफ से आरोपों को कई मौकों पर खारिज किया गया और यह कहा गया कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में क्लीन चिट दे चुका है।
मीडिया पार्ट के अनुसार, दो सरकारों के बीच हुए इस सौदे को लेकर जांच गत 14 जून को औपचारिक रूप से आरंभ हुई। इस सौदे पर फ्रांस और भारत के बीच 2016 में हस्ताक्षर हुए थे। इस वेबसाइट की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत को 36 राफेल विमान बेचने के लिए 2016 में हुए 7.8 अरब यूरो के सौदे को लेकर फ्रांस में संदिग्ध भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच आरंभ हुई है। उसने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रीय वित्तीय अभियोजक कार्यालय (पीएनएफ) की ओर से जांच की पहल की गई है।
सौदे में कथित अनियमितताओं को लेकर अप्रैल में मीडिया पार्ट की एक रिपोर्ट सामने आने और फ्रांसीसी एनजीओ शेरपा की ओर शिकायत दर्ज कराने के बाद पीएनएफ की ओर से जांच का आदेश दिया गया है। इस फ्रांसीसी वेबसाइट ने कहा कि दो सरकारों के बीच हुए इस सौदे को लेकर 14 जून को बहुत ही संवेदनशील न्यायिक जांच औपचारिक रूप से आरंभ हुई। मीडिया पार्ट’ से संबंधित पत्रकार यान फिलिपीन ने कहा कि 2019 में दायर की गई पहली शिकायत को पूर्व पीएनएफ प्रमुख की ओर से दबा दिया गया था।
अप्रैल महीने में इस वेबसाइट ने फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की जांच का हवाला देते हुए दावा किया था कि राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉं एविशन ने एक भारतीय बिचौलिए को 10 लाख यूरो दिए थे। दसॉं एविएशन ने इस आरोप को खारिज कर दिया था और कहा था कि अनुबंध को तय करने में कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार ने इस विमान सौदे पर 23 सितंबर, 2016 को हस्ताक्षर किया था।
36 राफेल जेट्स की खरीद का हुआ था सौदा
फ्रांस और भारत के बीच राफेल विमानों का सौदा हुआ था। करीब 7.8 अरब यूरो सौदे में भारत को 36 फाइटर जेट्स मिलेंगे। ये सौदा दसॉल्ट एविएशन और भारत सरकार के बीच हुआ था। सौदे को लेकर कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोप लगती रही है। इस सौदे को लेकर फ्रांस के एक एननजीए शेरपा ने 2018 में जांच के लिए शिकायत दर्ज कराई थी और उस समय पीएनएफ ने जांच की मांग को खारिज कर दिया था।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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