पंचायतों की मजबूती को संघर्ष करेगी अखिल भारतीय पंचायत परिषद, तय किया मांगों का एजेंडा
अखिल भारतीय पंचायत परिषद उत्तराखंड में पंचायतों की मजबूती के लिए संघर्ष करेगी। इसके लिए परिषद ने विभिन्न मांगों की रूपरेखा तय की है। देहरादून स्थित जेएन प्लाजा में आयोजित परिषद के प्रांतीय पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता में कहा कि परिषद के प्रदेश अध्यक्ष पीके अग्रवाल के निर्देशन में अब प्रदेश भर में परिषद पंचायतों को अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन छेड़गी।
परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष नवीन जोशी ने कहा कि अखिल भारतीय पंचायत परिषद का विस्तार पूरे राज्य में किया जा रहा है। पंचायतों, नगर पालिका, नगर निगम में जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करना परिषद का उद्देश्य है। अभी तक इन जनप्रतिनिधियों को उनके अधिकार नहीं मिल पाए हैं। अब उनकी लड़ाई अखिल भारतीय पंचायत परिषद धरना, प्रदर्शन, रैलियां और अन्य माध्यम से लड़ेगी।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बने हुए साढ़े चार साल हो गए हैं, लेकिन राज्य सरकार ने आज तक पंचायत प्रतिनिधियों की सुध नहीं ली। ना ही उनके अधिकारों के लिए कोई बात कही। इसके विरुद्ध भी अखिल भारतीय पंचायत परिषद पंचायत प्रतिनिधियों को एकजुट कर संघर्ष का आह्वान करेगी।
अखिल भारतीय पंचायत परिषद के प्रदेश संयोजक मनीष कुमार ने कहा कि प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को दिलवाने के लिए पंचायत परिषद शीघ्र ही आंदोलन की रूपरेखा बनाएगी। जितना इस राज्य सरकार में पंचायत प्रतिनिधि अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं उतना आज तक किसी भी सरकार में नहीं हुआ। जिस प्रकार से सांसद, विधायकों को सुविधाएं व क्षेत्र के विकास के लिए निधि दी जाती है, उसी प्रकार से पंचायत प्रतिनिधियों को भी निधि दी जाए।
उन्होंने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाके आज भी विकास से कोसों दूर हैं। मूलभूत सुविधाओं का अभाव इन इलाकों में है।।जो आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी आज तक सुविधाओं से वंचित हैं। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, शिक्षा, बेरोजगारी जैसी समस्याएं मुंह बाए खड़ी है। राज्य की स्थिति बद से बदतर हो गई है। कोरोना काल में हर प्रकार का व्यक्ति पीड़ित हुआ है। महामारी ने कमर तोड़ कर रख दी है। परंतु सरकार ने उनके उत्थान के लिए भी कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनाई व लागू की। जब शहरी क्षेत्रों में ही इन समस्याओं से हालत बदतर है। तो ग्रामीण इलाकों में क्या स्थिति होगी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है इन सभी मुद्दों को लेकर अखिल भारतीय पंचायत परिषद शीघ्र आंदोलन करने को बाध्य होगी ।
ये दोहराई मांग
_ पंचायती राज अधिनियम के तहत धारा 73 एवं 74 लागू करवाने हेतु लड़ाई लड़ना ।
_ सरकारी बसों से निर्वाचन क्षेत्र से जिला मुख्यालय तक बसों में निशुल्क यात्रा ।
_ पहाड़ी क्षेत्रों में आय बढ़ाने हेतु गाड गदेरे में जमा खनन का अधिकार पंचायतों को देने संबंधी।
_ रिटायर होने पर सांसद विधायक की तरह पेंशन व्यवस्था लागू करवाना ।
_ समय पर चुनाव ना होने पर 6 माह का कार्यकाल बढ़ाए जाने का प्रावधान ।
_ प्रत्येक ब्लॉक में पंचायत भवन बनवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना ।
_ जिला पंचायत अध्यक्ष ,मेयर को सुविधाएं विधायक के समान दी जाए नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष रुपये 6000,मानदेय, नगर निगम पार्षद, नगर पालिका का सदस्य नहर पंचायत सदस्य रुपये 3000 मानदेय, ग्राम प्रधान रुपये 5000,मानदेय, ग्राम पंचायत सदस्य रुपये 1000 मानदेय दिया जाय, कार्यकाल समाप्ति पर इनको पेंशन का प्रावधान भी होना चाहिए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।