Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 8, 2024

शिक्षक श्याम लाल भारती का कोरोना को लेकर अनुभव, कोरोना का डर, दोस्तों का मिला साथ, ऐसे जीती जंग

श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।

कोरोना महामारी के संक्रमण की चपेट में आने के बाद पहली बार हर कोई भयभीत हो जाता है। फिर इससे जंग जीतने के लिए आत्मविश्वास की जरूरत है। यहां शिक्षक श्याम लाल भारती संक्रमित होने के बाद इस बीमारी से उबरने पर अपने अनुभव बता रहे हैं। संदेश ये है कि हिम्मत और धैर्य के साथ इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। प्रस्तुत है उनकी जुबानी।

कोरोना का डर
कोरो ना! नाम सुनते ही जेहन में अलग तरह का डर, भय समा जाता है। ज्यों ही मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो मन घबराने लगा, लेकिन सोचा धैर्य रख लूं। अखबारों में रोज मौत की खबरें देखकर लगने लगा कि अब शायद मेरे भी जिंदगी के अंतिम दिन निकट आ गए हैं।
मन में आशा जगी
जब अपनी पत्नी को निडर होकर काम करते देखा तो कुछ आशा मन में बंधी। पत्नी ने कोरोना के नियमों का पूरा पालन करते हुए समय पर दूध, गर्म पानी, फल, खाना दिया। तब लगा यदि बीमारी के समय अपनों का साथ मिले, अपनापन मिले तो इंसान हर दुःख बीमारी से लड़ सकता है।
मन की पीड़ा
उस समय मन में बहुत पीड़ा हुई जब बाहर से ही मुझे बर्तन में गिराकर खाना दिया जाता था। बड़ा ही दिल को छलनी करने वाला वो दृश्य था, पर सोचा मेरी वजह से पूरा परिवार सुरक्षित रहता है तो सह लेता हूं। मन छोटा नहीं किया। परमात्मा परमेश्वर से यही प्रार्थना की- हे! प्रभु मेरी वजह से कोई दुखी न हो। समय तो अपनी धारा में बह गया, लेकिन कुछ खट्टी मीठी यादें छोड़ गया।
साथियों का साथ
आज मैं स्वस्थ हो गया हूं। मेरे स्वस्थ होने में मेरे साथियों का भी बड़ा हाथ है। ज्यों ही सुबह उनका मेसेज आता “आप ठीक हो” अपना ख्याल रखिए। ये शब्द दवा का काम करते थे। बीमारी में मैंने एक बात बहुत महसूस की कि यदि इस दौरान अपनों का साथ हो तो बीमारी जल्दी ही ठीक हो जाती है।
इस दौरान क्या करें
एक बात जरूर कहूंगा। इस दौरान यदि बेचैनी महसूस होने लगे, मन उदास होने लगे, मन दुखी होने लगे तो संगीत सुने। कुछ लिखें। कविता लिखे, डायरी लिखें, किताबे पढ़े। ये भी दवा का काम करती हैं। मुझे लिखने का शौक है और इसी शौक के कारण मेरा 4 से पांच 5 घंटे इसी में बीत जाता था। उस समय बीमारी मेरे से कोसों दूर होती थी। मन में ये रहता था कुछ बीमारी नहीं है।
अफवाहों पर ध्यान न दें
एक बात कहना चाहूंगा कि इस वक्त अफवाहों पर ध्यान न दें। जो लोग इस बीमारी से जा चुके हैं, यदि उनको अपनों का पूरा साथ मिलता वो भी जिंदा होते। दोषी जो भी हों पर जो लोग इस व्यवस्था को देख रहे हैं, उनसे आग्रह है कि कोरोना के नियमों का पालन कराएं पर अपनों को दूर से ही मिलने दें। समाचार वालों से भी निवेदन है कि खबरों में अच्छी खबरें पहले पन्ने पर दें। जैसे कविताएं, धार्मिक कहानियां, गीत, चुटकुले, पहेली, चित्रकारी, महान लोगों की जीवनी। जिससे दिन कि शुरुआत सही हो। भगवान से दुआ करूंगा कि मैं तो इस दुख से उबर गया पर लोगों को सही सलामत रखे। हां सभी से निवेदन नियमों का पालन जरूर करें। तभी जीवन सलामत है।
अंत में यही दुआ
“हे प्रभु इस प्रकृति को सजाए रखना,
जिंदगी किसी की भी हो बचाए रखना।।
न हो कोई अपना इस बीमारी से दूर,
प्रभु!अपनी नेमत हम पर बनाए रखना।।

लेखक का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

2 thoughts on “शिक्षक श्याम लाल भारती का कोरोना को लेकर अनुभव, कोरोना का डर, दोस्तों का मिला साथ, ऐसे जीती जंग

  1. इस प्रसंग पर मेरी आज कि रचना / गज़ल …..
    *” दिल-दिमाका खेल “*

    गज़ल
    *****
    दिल- दिमाक कू , खेल कोरोना.
    सोच – समझ कू , मेल कोरोना..

    कख बटि आई , कख तक फैल,
    बड़ा देसौं कू , घाऴमेल-कोरोना..

    ढंगरचाळ , बिगण्यू़ं च दुन्या कू,
    घर- घर की- ह्वे , देऴ – कोरोना..

    देऴ – लांगा त , भैर- कोरोना,
    भितर रैकि , ज्यू- जेल कोरोना..

    भलु-भलु स्वाचा, नीच कोरोना,
    बुरैं- कि , लम्बी – बेल कोरोना..

    परदेस – छ्वाणा , घैनै कु पल्टा,
    अल्टा-पल्टी करदि, ह्वेल कोरोना..

    साल – दर – साल , ऐ जांणी चा,
    जन हो घर-घरौं, रखैल कोरोना..

    ‘दीन’ ज्यू सम्माळा, कतै न पाळा,
    कतै नि- या , अमरबेल- कोरोना..

    @ दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’
    02062021
    दिल्ली बटि.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page